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मनोज बाजपेयी व सुशांत सिंह राजपूत को मिले राष्‍ट्रीय फिल्‍म अवार्ड, पहली बार नहीं बजा बिहारी प्रतिभाओं का डंका

67th National Film Awards बिहार दिवस के अवसर पर बिहारी डंका बजा। बॉलीवुड अभिनेता मनोज बाजपेयी को सर्वश्रेष्‍ठ अभिनेता का राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार मिला। दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की फिल्‍म छिछोरे को सर्वश्रेष्‍ठ फिल्‍म का अवार्ड दिया गया। बिहारी प्रतिभा का यह डंका पहली बार नहीं बजा है।

By Amit AlokEdited By: Published: Mon, 22 Mar 2021 10:28 PM (IST)Updated: Tue, 23 Mar 2021 02:43 PM (IST)
मनोज बाजपेयी व सुशांत सिंह राजपूत को मिले राष्‍ट्रीय फिल्‍म अवार्ड, पहली बार नहीं बजा बिहारी प्रतिभाओं का डंका
मनोज बाजपेयी एवं सुशांत सिंह राजपूत। फाइल तस्‍वीरें।

पटना, कुमार रजत। 67th National Film Awards बिहार की झोली में बिहार दिवस के दिन दो नेशनल फिल्म अवार्ड आए हैं। बेतिया के रहने वाले मनोज बाजपेयी को 'भोंसले' फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का अवार्ड दिया गया है तो पटना के लाल सुशांत सिंह राजपूत की सिनेमाहॉल में रिलीज हुई आखिरी फिल्म 'छिछोरे' को सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का अवार्ड दिया गया है। यह पहली बार नहीं है, जब नेशनल फिल्म अवार्ड में बिहारी प्रतिभाओं ने अपना लोहा मनवाया है। इसकी शुरुआत 1971 में आई हिंदी 'फिर भी' से हुई थी। बिहार के शिवेंद्र सिन्हा के निर्देशन में बनी इस फिल्म को नेशनल फिल्म अवार्ड में सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्म का अवार्ड दिया गया था।

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खबर पाकर भावुक हो गए सुशांत के पिता केके सिंह

सुशांत को अवार्ड मिलने की खबर पाकर उनके पिता केके सिंह भावुक हो गए। कहने लगे, खुशी की बात है कि सुशांत के जाने के बाद भी लोग उसके किए गए काम को सराह रहे हैं। उन्होंने बताया कि अगर नेशनल अवार्ड समारोह में जाने का न्योता आया तो उनकी बहनें ही समारोह में जाएंगी।

मनोज बाजपेयी को सर्वश्रेष्‍ठ अभिनेता का अवार्ड

मनोज बाजपेयी को इसके पहले 1998 में आई फिल्म 'सत्या' के लिए भी सपोर्टिंग एक्टर का नेशनल फिल्म अवार्ड मिल चुका है। इसके अलावा उनकी फिल्म 'पिंजर' को स्पेशल ज्यूरी अवार्ड दिया गया था। इस बार उन्हें 'भोंसले' में निभाए मराठी मानुष गणपत भोंसले के दमदार किरदार लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का अवार्ड दिया गया है।

प्रकाश झा के खाते में सबसे अधिक नेशनल अवार्ड

बिहारी मूल के कलाकारों में प्रकाश झा के नाम सबसे अधिक नेशनल अवार्ड पाने का रिकॉर्ड है। उनकी हिंदी फीचर फिल्म 'दामुल', 'गंगाजल' और 'अपहरण' को भी अलग-अलग कैटगरी में नेशनल फिल्म अवार्ड मिल चुके हैं। इसके अलावा उनकी बनाई डॉक्यूमेंट्री 'फेसेज आफ्टर द स्ट्रॉम' और 'सोनल' को भी नेशनल अवार्ड दिए गए हैं।

पंकज त्रिपाठी को भी मिल चुका है नेशनल अवार्ड

बिहार के गोपालगंज के रहने वाले एक और चर्चित अभिनेता पंकज त्रिपाठी भी नेशनल फिल्म अवार्ड पा चुके हैं। 2017 में आई फिल्म 'न्यूटन' में निभाए किरदार के लिए उन्हें स्पेशल कैटगरी में सम्मानित किया गया था। इसके अलावा बिहार के निर्माता-निर्देशक नितिन नीरा चंद्रा के द्वारा बनाई मैथिली फिल्म 'मिथिला मखान' को भी सर्वश्रेष्ठ मैथिली फिल्म की कैटगरी में नेशनल फिल्म अवार्ड मिल चुका है।

बिहारी कलम भी कई बार हो चुकी है सम्मानित

बिहार से जुड़े फिल्मी कलाकारों के अलावा फिल्म पत्रकारिता और लेखन से जुड़े 'बिहारी कलम' को भी तीन बार नेशनल फिल्म अवार्ड मिल चुका है। सबसे पहले 2002 में विनोद अनुपम को यह अवार्ड मिला। इसके 17 सालों बाद हिंदी फिल्म क्रिटिक को अवार्ड मिला तो वह भी बिहार की ही झोली में आया। इस बार वरिष्ठ पत्रकार अनंत विजय को फिल्म क्रिटिक के लिए नेशनल फिल्म अवार्ड दिया गया। इसके अगले साल बिहार के एक और वरिष्ठ पत्रकार गिरिधर झा को यह सम्मान मिला।


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