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भाजपा के मिशन यूूपी में मददगार हो सकते हैं मांझी, महज शिष्‍टाचार से नहीं जुड़ी मुलाकातों की कड़ी

पीएम नरेंद्र मोदी से मिले हम के नेता और बिहार सरकार के मंत्री संतोष मांझी दो दिन पहले योगी से की थी मुलाकात। मुलाकातों की इन कड़ी को राजनीतिक विश्‍लेषक यूपी विधानसभा चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Wed, 04 Aug 2021 09:14 PM (IST)Updated: Wed, 04 Aug 2021 09:14 PM (IST)
भाजपा के मिशन यूूपी में मददगार हो सकते हैं मांझी, महज शिष्‍टाचार से नहीं जुड़ी मुलाकातों की कड़ी
जीतन राम मांझी, संतोष मांझी एवं यूपी के सीएम योगी आदित्‍यनाथ। फाइल फोटो

पटना, राज्‍य ब्‍यूरो। पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी (Former CM Jitan Ram Manjhi) के पुत्र और बिहार सरकार के मंत्री संतोष मांझी की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi)  से मुलाकात के मायने को महज शिष्टाचार की ओट में नहीं देखा जा सकता। यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है, जब यूपी में विधानसभा चुनाव करीब है और रामविलास पासवान के निधन के बाद राजग के पास हिंदी पट्टी में कोई सर्वमान्य दलित चेहरा नहीं है। ऐसे में दो दिनों में भाजपा के दो शीर्ष नेताओं के साथ संतोष की सहज मुलाकात के भावार्थ को समझा जा सकता है। मोदी से मिलने से पहले संतोष यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi AdityaNath) से भी मिले थे। 

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लोजपा की आंतरिक कलह और बसपा की कमजोर हैसियत

बिहार में लोजपा के आंतरिक कलह और यूपी में बसपा के दिन-प्रतिदिन कमजोर होती सियासी हैसियत का अहसास भाजपा को है। इसलिए उसे ऐसे चेहरे की दरकार है, जो दोनों राज्यों में समान रूप से असर डाल सके। मौजूदा हालात को मांझी की राजनीति के लिए भी अच्छा संकेत माना जा सकता है। राजनीतिक विश्लेषक इन सभी कड़‍ियों को जोड़कर देख रहे हैं। 

दलित और पिछड़ा वोट बैंक पर नजर 

दरअसल, उत्तर प्रदेश के चुनाव में दलित और पिछड़ा वोट बैंक बड़ा फैक्टर है। जीतनराम मांझी यह बात बखूबी समझ रहे हैं। बिहार में अब तक जदयू के ज्यादा करीब रहे मांझी यूपी में भाजपा नेतृत्व की प्रशंसा कर अपना झुकाव जाहिर कर चुके हैं। मांझी की पार्टी हम का भले ही यूपी में कोई बड़ा जनाधार नहीं है मगर दलित चेहरा होने के कारण उसको साथ जोड़े रखने में भाजपा को अपनी भलाई लग रही है। बसपा से रिक्त होने वाली राजनीतिक जमीन को प्राप्त करने के लिए कई बड़े दलों में होड़ है। भाजपा को भी मजबूत दलित चेहरा बनकर उभर रहे चंद्रशेखर आजाद की भीम आर्मी से सतर्क रहने की जरूरत है। जल्द ही कोई मजबूत विकल्प नहीं उभारा गया तो इस समुदाय के युवा मायावती को छोड़कर किसी और दरवाजे पर दस्तक दे सकते हैैं। मांझी भी इस हालात को समझ रहे हैं। प्रधानमंत्री से निजी क्षेत्र व प्रोन्नति में आरक्षण की मांग कर वह भी अपना जनाधार मजबूत करने में जुट गए हैं। 

पीएम को सौंपा दस मांगों वाला अनुरोध पत्र

संतोष मांझी ने प्रधानमंत्री को अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण से जुड़ी दस मांगों वाला अनुरोध पत्र सौंपा है। इसमें निजी क्षेत्र और प्रोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था लागू करने, न्यायपालिका में अनुसूचित जाति जनजाति के लिए आरक्षण का प्रावधान करने और पर्वत पुरुष स्व. दशरथ मांझी को भारत रत्न सम्मान देने का अनुरोध किया गया है। इसके अलावा नवोदय विद्यालय एवं केंद्रीय विद्यालय के समान केंद्र सरकार की सहायता से एससी-एसटी बच्चों के लिए आवासीय स्कूल खोलने की मांग भी की गई है। 


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