अफसरों की बड़ी लापरवाही, 19 साल से सरकारी स्कूलों में खर्च का नहीं दिया हिसाब, शिक्षा विभाग ने दिखाए तेवर
सरकारी विद्यालयों में चल रही विभिन्न योजनाओं के तहत वर्ष 2002 से खर्च राशि हुई राशि का ब्योरा मुख्यालय को नहीं मिला है। इस पर महालेखाकार कार्यालय भी अपनी रिपोर्ट में आपत्ति दर्ज कर चुका है। बार-बार मांगने पर भी हिसाब नहीं देनेवाले जिला शिक्षा अधिकारियों पर कार्रवाई होगी।
पटना, राज्य ब्यूरो। प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में चल रही विभिन्न योजनाओं के तहत वर्ष 2002 से खर्च राशि हुई राशि का ब्योरा मुख्यालय को नहीं मिला है। इस पर महालेखाकार कार्यालय भी अपनी रिपोर्ट में आपत्ति दर्ज कर चुका है। शिक्षा विभाग द्वारा बार-बार निर्देश दिये जाने के बावजूद खर्च राशि का हिसाब नहीं देने वाले जिला शिक्षा पदाधिकारियों पर अब अनुशासनिक कार्रवाई की तलवार लटक गई है। वैसे तो विभाग ने एक और मौका दिया है, लेकिन जवाबदेही भी तय की जा रही है।
इन योजनाओं पर खर्च हुई थी राशि
प्राथमिक शिक्षा निदेशक डॉ.रणजीत कुमार सिंह ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया है कि 28 अप्रैल तक खर्च राशि का हिसाब नहीं देने पर संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। मिली जानकारी के मुताबिक विद्यालयों में प्रयोगशाला, अतिरिक्त कमरे एवं भवन का निर्माण, उपस्कर की खरीद और परिभ्रमण योजना आदि मदों के एसी बिल पर निकासी की गई राशि के डीसी बिल का समायोजन लंबित है।
इन प्रमंडलों के अफसरों को किया गया तलब
अब आगे कुल कितनी राशि का हिसाब नहीं मिला है, इसका आकलन सभी जिलों से हिसाब मिलने पर होगा। फिलहाल, शिक्षा विभाग ने भागलपुर प्रमंडल, दरभंगा प्रमंडल और पूर्णिया प्रमंडल के शिक्षा अधिकारियों को 26 अप्रैल को खर्च राशि का हिसाब देने का समय दिया है। पटना प्रमंडल, मगध प्रमंडल और कोसी प्रमंडल के अधिकारियों को हिसाब के साथ 27 अप्रैल को बुलाया है। सारण प्रमंडल, तिरहुत प्रमंडल एवं मुंगेर प्रमंडल के अधिकारियों को 28 अप्रैल को खर्च राशि का हिसाब के साथ आने को कहा गया है।