AyodhyaVerdict: राम मंदिर निर्माण के लिए सालाना दो करोड़ देगा बिहार का महावीर ट्रस्ट
अयोध्या में रामजन्मभूमि मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसले का मामले के पक्षकार व पूर्व आइपीएस अधिकारी किशोर कुणाल ने स्वागत किया है। उन्होंने और क्या कहा जानिए इस खबर में।
पटना [नीरज कुमार]। अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब वहां राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। इसके लिए बिहार की महावीर मंदिर न्यास समिति पांच साल तक हर साल दो करोड़ रुपये देगी। समिति ट्रस्ट को कुल 10 करोड़ देगी। पैसे की व्यवस्था पहले ही कर दी गई है। इसके अलावा समिति अयोध्या में अमांवा मंदिर में राम रसोई शुरू करेगी, जिसमें श्रद्धालुओं को मुफ्त भोजन दिया जाएगा। इसकी जानकारी दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में पूर्व आइपीएस अधिकारी एवं अयोध्या मामले के पक्षकार आचार्य किशोर कुणाल ने कही।
ऐतिहासिक फैसले का सभी करें स्वागत
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आचार्य किशोर कुणाल ने कहा कि उसने तमाम प्रमाणों के आधार पर रामलला के विराजमान होने का जो ऐतिहासिक फैसला दिया है, उसका सभी को स्वागत करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने रामलला के पक्ष में निर्णय देते हुए मंदिर निर्माण की सभी बाधाओं को दूर कर दिया है। मुस्लिम पक्ष को पांच एकड़ जमीन देने का आदेश देकर सभी पक्षों को संतुष्ट करने की भी कोशिश की है। देश पर इसका धार्मिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक असर होगा।
मंदिर के लिए महावीर ट्रस्ट देगा दो करोड़
आचार्य ने कहा कि पांच सालों तक हर साल दो करोड़ रुपये महावीर मंदिर न्यास समिति अयोध्या में राममंदिर निर्माण को बनने वाले ट्रस्ट को देगी। इसके अलावा अयोध्या में अमांवा मंदिर में राम रसोई शुरू करेंगे, जिसमें श्रद्धालुओं को मुफ्त भोजन दिया जाएगा। इसके लिए 5000 वर्ग फीट का परिसर बनाया गया है, जो अयोध्या में स्थिति सामान्य होते ही काम शुरू कर देगा। शुक्रवार को अमांवा मंदिर में भगवान राम के बालस्वरूप की प्रतिमा स्थापित कर दी की गई जिसके बाद आज फैसला आया।
अयोध्या में अमांवा मंदिर में श्रद्धालुओं को मुफ्त भोजन
आचार्य ने कहा कि दो करोड़ रुपये महावीर मंदिर न्यास समिति अयोध्या में राममंदिर निर्माण को बनने वाले ट्रस्ट को देगी। इसके अलावा अयोध्या में अमांवा मंदिर में राम रसोई शुरू करेंगे, जिसमें श्रद्धालुओं को मुफ्त भोजन दिया जाएगा, इसके लिए 5000 वर्ग फीट का परिसर बनाया गया है, जो अयोध्या में स्थिति सामान्य होते ही काम शुरू कर देगा। शुक्रवार को अमांवा मंदिर में भगवान राम के बालस्वरूप की प्रतिमा स्थापित कर दी की गई, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया।
राम मंदिर के लिए 1990 से कर रहे थे तैयारी
आचार्य कुणाल ने कहा कि अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर के निर्माण के लिए वे 1990 से लगे थे। इसके लिए देश के विभिन्न पुस्तकालयों एवं सरकारी कार्यालयों से साक्ष्य एकत्रित किए। साक्ष्यों के आधार पर 'अयोध्या रिविजिटेड' पुस्तक की रचना की। पुस्तक में स्पष्ट है कि अयोध्या में विवादित स्थल के मध्य गुंबद के नीचे भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। इसके लिए सीता रसोई का प्रमाण दिया गया है। इसके अलावा जन्मस्थल से संबंधित एक नक्शा भी तैयार कराया गया जिसे सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में पेश किया गया था।
1856 तक होती थी मंदिर में पूजा
आचार्य का कहना है कि तमाम तथ्यों से प्रमाणित हो गया है कि 1856 तक विवादित स्थल पर हिन्दू समुदाय की ओर से पूजा की जाती थी। कई विदेशी यात्रियों ने अपने अध्ययन में भगवान श्रीराम के अयोध्या में जन्म की बात लिखी है। अयोध्या का भव्य नगरी के रूप में उल्लेख किया गया है। कुछ ग्रंथों में यह भी उल्लेख है कि विवादित स्थल के पास एक चबूतरा था जो 18 फीट लंबा, 15 फीट चौड़ा और पांच इंच ऊंचा था, जिसकी श्रद्धालु परिक्रमा करते थे।
राम मंदिर का सपना होगा पूरा
आचार्य किशोर कुणाल ने कहा कि अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बने, यह सभी की इच्छा है। इस सपने को साकार करने के लिए प्रयत्नशील हूं। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद अब मंदिर निर्माण की प्रक्रिया शुरू होगी। मेरी कोशिश होगी की मंदिर निर्माण में हरसंभव मदद करूं।