बिहार: लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में 'निर्दलीय' बिगाड़ सकते हैं दिग्गजों का खेल
बिहार में पहला चरण का मतदान संपन्न हो गया। अब दूसरे चरण के मतदान की बारी है। इस चरण में निर्दलीय उम्मीदवार बड़े दिग्गजों का खेल बिगाड़ सकते हैं। जानिए इस रिपोर्ट में...
पटना [सुनील राज]। बिहार में पहले चरण का मतदान गुरुवार को समाप्त हो गया। चार लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों के भाग्य ईवीए में कैद हो गए। अब राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों का फोकस चरण के चुनाव पर होगा। दूसरे चरण में लड़ाई आसान नहीं। क्योंकि पांच सीटों पर होने वाले तीन प्रमुख दलों के महासंग्राम में कई छोटे दलों के प्रत्याशियों के साथ ही निर्दलीय भी मैदान में कूद पड़े हैं जो हार जीत के मार्जिन में अंतर ला सकते हैं।
दूसरे चरण में बिहार की पांच प्रमुख सीट भागलपुर, बांका, पूर्णिया, किशनगंज और कटिहार में 18 अप्रैल को मतदान होना है। इन पांच में से दो सीटों पर जहां राजद-जदयू के बीच टक्कर होगी वहीं तीन पर जदयू के मुकाबले में कांग्रेस होगी। लेकिन इन तीन प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के साथ ही आधा दर्जन छोटे संगठन और 32 निर्दलीय भी चुनाव मैदान में हैं।
पिछले चुनाव के आंकड़े बताते हैं कि छोटे दल और निर्दलीय भले ही चुनाव में जोर आजमाइश करें, लेकिन उनकी सफलता का प्रतिशत न के बराबर है। पर छोटे दल और निर्दलीय जीत के मार्जिन को काफी हद तक प्रभावित कर जाते हैं। इस चुनाव भी कमोबेश यही स्थिति है। मुकाबला तो तीन प्रमुख राजनीतिक दलों के बीच होना है, लेकिन छोटे दल और निर्दलीय इस लड़ाई को प्रभावित करने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रहने देना चाहते हैं।
सबसे ज्यादा निर्दलीय उम्मीदवार बांका में हैं। बांका सीट पर जदयू के गिरिधारी यादव का मुकाबला राजद के जय प्रकाश नारायण यादव से होना है। जयप्रकाश ने पिछली बार यहां से चुनाव जीता था। इन दो प्रमुख नेताओं के बीच होने वाली सीधी लड़ाई में पांच छोटे दल भी आ गए हैं। इनमें बहुजन समाज पार्टी, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी, भारतीय दलित पार्टी, भारतीय मोमिन फ्रंट और झारखंड मुक्ति मोर्चा के अलावा 12 निर्दलीय भी चुनाव मैदान में हैं।
निर्दलियों के मामले में पूर्णिया दूसरे पायदान पर है। पूर्णिया में 11 निर्दलीय और तीन छोटे दल बहुजन समाज पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा और बिहार लोक निर्माण दल के उम्मीदवार मैदान में होंगे। पूर्णिया में सीधी टक्कर कांग्रेस के उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह और जदयू प्रत्याशी संतोष कुशवाहा के बीच है।
पिछला चुनाव यहां से संतोष कुशवाहा ने जीता था। तब उनका मुकाबला भाजपा के प्रत्याशी रहे उदय सिंह पप्पू से हुआ था। इस बार पप्पू यहां से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।
किशनगंज में कांग्रेस उम्मीदवार डॉ. मोहम्मद जावेद और जदयू के सईद महमूद अशरफ के बीच होने वाली लड़ाई इस लिहाज से दिलचस्प हो गई है कि यहां से सात छोटे दल के प्रत्याशी और पांच निर्दलीय भी मैदान में हैं। जो दो प्रमुख दलों के लिए वोट कटवा साबित हो सकते हैं। किशनगंज में बहुजन समाज पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन, शिवसेना, झारखंड मुक्ति मोर्चा और बहुजन मुक्ति पार्टी के टिकट पर प्रत्याशी मैदान में हैं।
भागलपुर में नौ प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। यहां सीधी टक्कर राजद के शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल और जदयू प्रत्याशी अजय कुमार मंडल के बीच होनी है। इन दोनों की सीधी लड़ाई को प्रभावित करने के लिए बहुजन समाज पार्टी, सोशलिस्ट युनिटी सेंटर ऑफ इंडिया कम्युनिस्ट, सोशलिस्ट युनिटी सेंटर ऑफ इंडिया कम्युनिस्ट और भारतीय दलित पार्टी के अलावा दो निर्दलीय भी मैदान में होंगे।
फिलहाल भागलपुर की सीट राजद के कब्जे में है। जहां से पिछली बार बुलो मंडल ने जीत दर्ज कराई थी। पिछली बार यहां बुलो और भाजपा उम्मीदवार शाहनवाज हुसैन के बीच टक्कर हुई थी।
कटिहार संसदीय सीट की स्थिति भी अन्य चार सीटों से अलग नहीं। कटिहार में कांग्रेस प्रत्याशी तारिक अनवर के मुकाबले मैदान में जदयू के दुलाल चंद्र गोस्वामी हैं। पर इन दो प्रमुख दलों के खेल में नेशनलिस्ट कांग्रेस, बसपा, पीपुल्स पार्टी ऑफ इंडिया डेमोक्रेटिक, राष्ट्रीय जन संभावना पार्टी और भारतीय बहुजन कांग्रेस के प्रत्याशी भी कूद गए हैं। इनके अलावा दो निर्दलीय भी कटिहार संसदीय सीट से किस्मत आजमाने खड़े हुए हैं।