लॉकडाउन से सांस्कृतिक गतिविधियां ठप, लॉक हुआ मंच तो डाउन हुई इनकम
लॉकडाउन में शहर की सांस्कृतिक गतिविधियां ठप पड़ गई हैं। प्रेक्षागृह और हॉल सूने पड़े हैं। कई आयोजन रद्द होने से सांस्कृतिक संस्थाओं और कलाकारों को काफी आर्थिक नुकसान हुआ है।
प्रभात रंजन, पटना। लॉकडाउन में शहर की सांस्कृतिक गतिविधियां ठप पड़ गई हैं। प्रेक्षागृह और हॉल सूने पड़े हैं। कई आयोजन रद्द होने से सांस्कृतिक संस्थाओं और कलाकारों को काफी आर्थिक नुकसान हुआ है। शहर के कालिदास रंगालय, रवींद्र भवन, विद्यापति भवन, नृत्य कला मंदिर, प्रेमचंद रंगशाला सहित तमाम संस्थानों पर इसकी मार पड़ी है। बिहार आर्ट थियेटर के अंतर्गत चलने वाले कालिदास रंगालय परिसर का हाल भी ऐसा ही है। थियेटर के संयुक्त सचिव प्रदीप गांगुली ने कहा कि 17 मार्च से लेकर छह अप्रैल और मई माह में कई आयोजन होने थे, जिन्हें रद्द कर दिया गया।
मार्च में 16-20 तक 'रंगमार्च' की ओर से 'थियेटरवाला नाट्योत्सव' का आयोजन होना था। इसमें 'चार बेटों वाली मां', 'एनकाउंटर', 'ऐ लड़की', 'धुंध' आदि नाटकों का मंचन होना था। 'जन विकल्प' की ओर से 23-24 मार्च तक 'मैं नास्तिक हूं', 'एक और मोहरा' जैसे नाटकों का मंचन होना था। 27-30 मई तक नृत्य दिवस पर कई आयोजन होने थे। 4-6 अप्रैल तक ¨हदी रंगमंच दिवस पर आयोजन होता था। 8-12 मई तक रवींद्र जयंती का प्रोग्राम होना था जो रद्द किया गया। इन आयोजनों के रद्द होने से बिहार आर्ट थियेटर को लगभग दो लाख रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है।
कर्मचारियों का वेतन और बिजली बिल देना जारी चेतना समिति के अध्यक्ष विवेकानंद झा ने बताया कि मार्च से लेकर मई तक कई आयोजन विद्यापति भवन एवं मिथिला भवन में होने थे। इनके रद्द होने से चेतना समिति को लगभग 20 लाख रुपये का नुकसान तीन माह में हुआ है। उन्होंने कहा कि आयोजकों को सारे पैसे बिना किसी चार्ज के लौटा दिये गए। इसके बावजूद कर्मचारियों और बिजली बिल का भुगतान प्रतिमाह लाख रुपये से अधिक किया जा रहा है। रवींद्र भवन हॉल के बारे में अमिताभ ने बताया कि आयोजन रद्द होने से हजारों रुपये का नुकसान हुआ है। प्रेमचंद रंगशाला में भी ढेर सारे आयोजन लॉकडाउन की भेंट चढ़े हैं। भारतीय नृत्य कला मंदिर में फरवरी से लेकर अप्रैल तक होने वाले आयोजन रद्द होने से लगभग दो लाख रुपये का नुकसान हुआ है। भवन के ट्रेजरर सुदीपा घोष ने बताया कि आमदनी बंद होने का असर देखरेख में होने वाले खर्चे संभालने पर पड़ रहा है।