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Lockdown Bihar: कर्नाटक में बिहारी कामगारों को रोकने पर गरमाई सियासत, तेजस्‍वी बोले- देखिए नीतीश जी

Lockdown Bihar बिहार लौटने वाले आप्रवासी कामगारों को कर्नाटक में रोक लिया गया है। इसे लेकर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव ने आपत्ति दर्ज की है।

By Amit AlokEdited By: Published: Thu, 07 May 2020 12:22 PM (IST)Updated: Fri, 08 May 2020 09:52 AM (IST)
Lockdown Bihar: कर्नाटक में बिहारी कामगारों को रोकने पर गरमाई सियासत, तेजस्‍वी बोले- देखिए नीतीश जी
Lockdown Bihar: कर्नाटक में बिहारी कामगारों को रोकने पर गरमाई सियासत, तेजस्‍वी बोले- देखिए नीतीश जी

पटना, स्‍टेट ब्‍यूरो। Lockdown Bihar: कर्नाटक में बिहारी कामगारों (Migrant labourers from Bihar) को रोके जाने के मुद्दे पर बिहार में सियासी प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं। विभिन्‍न विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर बिहार की राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार को घेरा है। बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) में नेता प्रतिपक्ष (Leader of Opposition) तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने इसे बिहार का अपमान बताया है और कहा है कि कर्नाटक की भाजपा सरकार (BJP Government) बिहार के आप्रवासी कामगारों को अपना दास न समझे। उन्‍होंने मुख्‍यमंत्री (CM) नीतीश कुमार (Nitish Kumar) से इस मामले में हस्‍तक्षेप की मांग की है।

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तेजस्‍वी बोले: कर्नाटक को कड़ा संदेश भेजें नीतीश कुमार

तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूरे बिहार की ओर से कर्नाटक के मुख्‍यमंत्री को कठोर संदेश (hard Message) भेजने का आग्रह किया है। उन्‍होंने कहा है कि बिहारियों को बंधुआ मजदूर (Bonded labourers) मानने की प्रवृत्ति बर्दाश्त के बाहर है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक के मुख्‍यमंत्री से मिलकर वहां के उद्योगपतियों (Industrialists) ने बिहारी कामगारों की वापसी पर रोक लगवा दी है। यह बिहारी कामगारों के मानवाधिकार (Human Rights) का उल्लंघन है। कोई भी सरकार महामारी (Epidemic) के दौर में बुनियादी सहानुभूति को धता बताते हुए कामगारों को जबरन रोकने और बंधक बनाने का हुक्म जारी नहीं कर सकती है।

मुश्किल दौर में छोड़ दिया साथ, अब जबरन रोक रहे

तेजस्वी ने इस बाबत अपने ट्वीट में कामगारों का एक वीडियो भी जारी किया है। उन्‍होंने कहा है कि मुश्किल दौर में पूंजीपतियों ने 40 दिन तक कामगारों को अपने हाल पर छोड़ दिया। वेतन, आवासीय किराया और राशन तक नहीं दिया गया। उन्हें बोझ समझा और अब व्यापार और उत्पादन शुरू करने के लिए उन्हें घर लौटने से रोका जा रहा है।

जो आना चाहते उन्‍हें आने दे कर्नाटक सरकार

इस मामले में तेजस्‍वी ने मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार से हस्‍तक्षेप की मांग की है। साथ ही कहा है कि अभी केंद्र, कर्नाटक और बिहार में बीजेपी की ही सरकारें हैं। जो कामगार लौटना चाहते हैं, उनके लिए नियमित ट्रेनों का संचालन किया जाए।

कामगारों को रोकने पर बिफरे वाम दल

कर्नाटक में आप्रवासी कामगारों को घर लेकर आने वाली ट्रेनों को रद किए जाने की वाम दलों ने निंदा की है और बीजेपी व जेडीयू से जवाब मांगा है। सीपीआइ माले के राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि आप्रवासी कामगारों को बिहार पहुंचाने के लिए चालू की गईं ट्रेनों को कर्नाटक सरकार द्वारा अचानक रद किया जाना निंदनीय है। सरकार इस आदेश को अविलंब वापस ले।

सीपीआइ के राज्य सचिव सत्यनारायण सिंह ने आरोप लगाया है कि काफी जद्दोजहद के बाद केंद्र सरकार अाप्रवासी कामगारों को घर भेजने पर सहमत हुई थी, लेकिन अब केंद्र सरकार और बीजेपी शासित राज्य सरकारें मजदूरों को धोखा देने का काम कर रही हैं। कर्नाटक सरकार ने बिल्डरों के दवाब में ट्रेनों का रद करवाया है। जबकि, इसी राज्य में बिहारी कामगारों को कोरोना बम कहा जा रहा था और आज भी वे बेहद नारकीय जीवन जी रहे हैं। सीपीएम के राज्यसचिव अवधेश कुमार ने कहा है कि कर्नाटक सरकार के इस अमानवीय कदम के खिलाफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी जवाब दें।


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