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देसी गाय के संरक्षण और संव‌र्द्धन की जरूरत : उपमुख्यमंत्री

विष्णुपुरा के समीप स्थित स्टूडेंट ऑक्सीजन मूवमेंट एवं ऑक्सीजन गौशाला के वर्षगांठ पर कार्यशाला हुई।

By JagranEdited By: Published: Mon, 08 Mar 2021 01:09 AM (IST)Updated: Mon, 08 Mar 2021 01:09 AM (IST)
देसी गाय के संरक्षण और संव‌र्द्धन की जरूरत : उपमुख्यमंत्री
देसी गाय के संरक्षण और संव‌र्द्धन की जरूरत : उपमुख्यमंत्री

बिहटा : विष्णुपुरा के समीप स्थित स्टूडेंट ऑक्सीजन मूवमेंट एवं ऑक्सीजन गौशाला के वर्षगांठ पर आधुनिक युग में बेहतर शिक्षा व्यवस्था, देसी गाय को बचाने की मुहिम पर रविवार को परिचर्चा आयोजित की गई। इसका उद्घाटन उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि गौ-वंश के प्रति हमारी आस्था और श्रद्धा है। प्राचीनकाल में गाय और बैल ग्रामीण अर्थव्यवस्था के आधार थे। वर्तमान में भी गौ-संरक्षण और संवर्धन के कार्य आर्थिक स्वावलंबन का आधार बन सकते हैं। आत्मनिर्भर बिहार बनाने के लिए राज्य सरकार काम कर रही है। इस दिशा में गौ-माता अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करेगी। गाय का दूध अमृत के समान होता है। कुपोषण को दूर करने में गाय के दूध का भरपूर उपयोग हो सकता है। गाय का गोबर कृषि के लिए संजीवनी है। इसका उपयोग जैविक खाद बनाने में किया जा सकता है। गोबर से बड़े स्तर पर गौ-काष्ठ का निर्माण और उपयोग कर लकड़ी के प्रयोग को कम किया जा सकता है। गौ-मूत्र से कीटनाशक और औषधियां बनती हैं। गौ संरक्षण और संवर्धन को यह संस्था लोगों के लिए प्रेरणादायी साबित होगा। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार सरकार गौशाला को अनुदान देती है। बिहार में और नए गौशाला स्थापित हो सकें सरकार से इसपर वार्ता करेंगे। दुर्लभ होती देसी नस्ल की गाय को जिस तरह से इस संस्था ने काम किया है वो तारीफ के काबिल है। संबंधित विभाग से आग्रह कर इस गौशाला को और समृद्ध किया जाएगा।

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वहीं ऑक्सीजन गौशाला पर विस्तार पूर्वक चर्चा करते हुए स्टूडेंट ऑक्सीजन मूवमेंट एवं ऑक्सीजन गौशाला के कंवेनर विनोद सिंह ने कहा कि आज देसी गाय के दूध आसानी से उपलब्ध नहीं है। देसी गाय का दूध कई रोगों को रोकने में कारगर है। वहीं विदेशी नस्ल की गायों के दूध में ए-1 जीनोटाइप बीटा केसीन पाया जाता है जो बीमारी का कारण बनता है। दुनिया भर के रिसर्चरों का मानना है कि भारत की देसी गाय का दूध मां के दूध के बाद सबसे ज्यादा लाभकारी है। आज ब्राजील और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भारतीय नस्ल की गाय के दूध की मांग है। वहीं विनोद कुमार ने सदस्यों से आह्वान किया कि यदि कोई भी पारिवारिक कार्यक्रम कर रहें हो तो इस गोशाला में उनका स्वागत है। जन्मदिन, शादी की वर्षगांठ जैसे कार्यक्रम होने से हमारे बच्चों में गाय की सेवा और महत्व से अवगत हो सकेंगे।

मौके पर संस्था के सदस्य विजेता चौबे, डॉ. रामसागर सिंह, डॉ. सुशांतो मुखर्जी, रमेश कुमार सिंह आदि शामिल थे।


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