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पढ़ें- अंदाजे मोदी- आप नीचे आ गए तो मेरा क्या होगा...

मंच पर जीतन राम मांझी और सामने मैदान में युवाओं का हदें तोड़ता हुजूम। मोदी गदगद हैं। औपचारिक संबोधन शुरू करने से पहले वह भावुक होकर युवाओं से मुखातिब हो रहे हैं। बल्लियों पर चढ़े नौजवानों को दुलार से झिड़कते हैं......आप नीचे आ गए तो मेरा क्या होगा?

By Pradeep Kumar TiwariEdited By: Published: Sun, 09 Aug 2015 09:22 PM (IST)Updated: Mon, 10 Aug 2015 11:47 AM (IST)

गया [कमल नयन]। मंच पर जीतन राम मांझी और सामने मैदान में युवाओं का हदें तोड़ता हुजूम। मोदी गदगद हैं। औपचारिक संबोधन शुरू करने से पहले वह भावुक होकर युवाओं से मुखातिब हो रहे हैं। बल्लियों पर चढ़े नौजवानों को दुलार से झिड़कते हैं......आप नीचे आ गए तो मेरा क्या होगा? मोदी प्रतीक में भाजपा की चुनावी रणनीति का संकेत दे रहे हैं। मुजफ्फरपुर रैली में जो बातें सिर्फ संकेतों में नजर आई थीं, गया के मंच पर साफ-साफ दिख रही हैं।

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डेढ़ बज रहे हैं। गांधी मैदान के भीतर-बाहर साकार 'भगवा ज्वार' के विहंगम दृश्य पर मोहित सूर्यदेव का रथ ठिठका तो लोग उनके ताप से बिलबिला उठे। मंच पर अमित शाह 'अंगारा' बने हुए हैं। अचानक उनकी गर्दन पीछे मुड़ी, और मंच से लेकर मैदान तक नजारा बदल गया। मोदी मंच पर आ गए। अमित शाह ने एक-दो बार नारा लगवाकर माइक अपने कब्जे में रखने की कोशिश की, पर कुछ ही पल में वह भांप गए कि मंच या माइक पर बाकी भूमिकाएं अब अर्थहीन हो चुकी हैं।

मोदी हर कोने पर जाकर प्रशंसकों का अभिवादन कर रहे हैं। सियासी रैलियों में आमतौर पर लड़कियां नहीं दिखतीं, लेकिन गया के गांधी मैदान में नव युवतियों की मौजूदगी अचंभित कर रही है। नवयुवक तो खैर रैली पंडाल की बल्लियों से लेकर पेड़ों तक पर लटके हुए हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव में 'आप' के लिए करिश्मा करने वाली यह फौज बिहार में अपने साथ पाकर मोदी कूल-कूल नजर आ रहे हैं।

स्वागत की औपचारिकता तेजी से निपटाई जा रही है। मोदी अब माइक पर हैं। बीच-बीच में सवाल उछालना, और फिर भीड़ से हां-ना कहलाना उनकी अदा है, पर आज यह शैली उन पर कुछ ज्यादा हावी है। वह युवाओं से सीधा संवाद कर रहे हैं। बाकायदा होमवर्क करके आए हैं।

उनके पास नोट है कि किस राज्य में इंजीनियरिंग शिक्षा की कितनी सीटें हैं, बिहार के कितने युवा शिक्षा और रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में जा रहे हैं, यह भी कि इससे बिहार को कितना वित्तीय नुकसान उठाना पड़ रहा है। मोदी जानते हैं कि इस साइबर पीढ़ी के प्रतिनिधि विकास के हिमायती हैं, लिहाजा वह लगातार बिहार के विकास की बात कर रहे हैं।

'जंगलराज' इसी सोच का दूसरा पहलू है। मोदी उसकी बखिया उधेड़ रहे हैं। ढाई बज रहे हैं। मोदी भाषण पूरा करके मंच से उतर रहे हैं। युवाओं का हुजूम उन्हें नजदीक से देखने के लिए उनकी ओर बढऩा चाहता है, पर सुरक्षा कवच उनकी ख्वाहिश से ज्यादा पुख्ता है।

कई लड़के-लड़कियां मंच के सामने खाली स्थान पर नाचने लगे हैं। मोदी के पीछे मंच से उतर रहे राजग नेताओं के मन-मयूर की छाप उनके चेहरों पर देखी जा सकती है। गांधी मैदान से रवाना होते हुए मोदी की नजरें एक बार फिर मांझी पर टिक गई हैं।

वह उन्हें करीब खींचकर उनकी पीठ थपथपा रहे हैं। युवाओं के जोश ने मंच पर मोद को जोशीला बना दिया था, लेकिन गांधी मैदान छोडऩे से पहले मांझी के साथ उनका भावुक मिलन बता रहा है कि बिहार में भाजपा का रणनीतिक विस्तार कितना ठोस है।


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