साहित्य को अपने जीवन में जरूर शामिल करें
पटना। जेडी वीमेंस कॉलेज में गुरुवार को उर्दू विभाग की ओर से भारतीय साहित्य में इस्मत चुगताई के साहित्य में स्थान विषय पर चर्चा आयोजित की गई।
पटना। जेडी वीमेंस कॉलेज में गुरुवार को उर्दू विभाग की ओर से भारतीय साहित्य में इस्मत चुगताई के स्थान पर व्याख्यान आयोजित किया गया। इसमें मुख्य वक्ता प्रसिद्ध आलोचक और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग के पूर्व अध्यक्ष अली अहमद फातमी मौजूद थे। फातमी ने व्याख्यान की शुरुआत करते हुए कहा, जब तक बड़ी मछली छोटी मछली को निगलती रहेगी, तब तक तरक्कीपसंद सोच जिंदा रहेगी। क्या अमेरिका जैसा बड़ा मुल्क छोटे देशों को निगलने की कोशिश नहीं कर रहा है? क्या दौलतमंद और ताकतवर तबका आज कमजोर वर्ग का शोषण नहीं कर रहा है? जब तक ये सवाल जिंदा रहेंगे, तरक्कीपसंद एहसास व ख्याल जिंदा रहेंगे। साथ ही इसी तरह इस्मत की कहानियों का जलाल और जमाल जिंदा रहेगा। वक्ता के रूप में अफसाना खातून ने कहा कि फनकार कभी-कभी पैदा होते हैं। हम और आप जैसे लोग रोज पैदा होते हैं, लेकिन फनकार कभी-कभी जन्म लेते है। इसलिए हमें उनकी इज्जत व कद्र करनी चाहिए। वहीं, हिदी व मैथिली की लेखिका ऊषा किरण खां ने जीवन में साहित्य की अहमियत के बारे में बताते हुए कहा कि साहित्य के बिना जीवन नीरस है। साहित्य जीवन में खुशियां लाते हैं। अपने जीवन में साहित्य को जरूर शामिल करें। उन्होंने इस्मत चुगताई की कहानियों के कई उदाहरण देकर उनके महत्व के बारे में भी बताया। प्राचार्या प्रो. श्यामा राय ने कहा कि छात्राएं खूब मन लगाकर पढ़ें-बढ़ें और तरक्की करें। कॉलेज का नाम रोशन करें। कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्यकार प्रो. शहनाज फातमी और आलोचक व कवि प्रो. अली मुल्लाह हाली ने की। इस अवसर पर शिक्षक व छात्राएं मौजूद रहीं। नशे से बचने को मनोबल की होती है जरूरत
पटना। पटना वीमेंस कॉलेज में गुरुवार को नशा मुक्त भारत के तहत सेमिनार का आयोजन किया गया। इसमें छात्राओं को नशे से होने वाले नुकसान और भविष्य में आने वालीं परेशानियों के बारे में बताया गया। कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए डॉ. अपराजिता कृष्णा ने छात्राओं को पावर प्वॉइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से नशे के बारे में विस्तार से जानकारी दी। वहीं, नशा मुक्ति अभियान की ज्योति कुमारी ने छात्राओं को नशे से जूझ रहे लोगों की कहानियां सुनाई। बताया कि वो कैसे नशा मुक्ति केंद्र में रहते थे। नशा नहीं मिलने पर दर्द से पीड़ित रहते थे। उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में छोटे बच्चे भी नशे की चपेट में तेजी से आ रहे हैं। नशे से बचने के लिए मनोबल की जरूरत होती है। छात्राओं को सोशल सिक्योरिटी के सहायक निदेशक जसलोक व आइएएस अधिकारी दयानिधान पांडेय ने भी जागरूक किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में कॉलेज के शिक्षक व छात्राओं ने अहम योगदान दिया।