आतिशबाजी और पुष्प वर्षा के बीच हुआ प्रकाश
बोले सो निहाल सत श्री अकाल के नारों से तख्त श्री हरिमंदिर परिसर तथा दरबार साहिब गूंजता रहा।
पटना सिटी। फूलों की वर्षा, आतिशबाजी तथा बैंड-बाजे पर गुरुवाणी की धुन के बीच गुरुवार की रात लगभग दो बजे सिखों के दशमेश गुरु श्री गुरु गोविद सिंह महाराज का प्रकाशोत्सव मना। बोले सो निहाल, सत श्री अकाल के नारों से तख्त श्री हरिमंदिर परिसर तथा दरबार साहिब गूंजता रहा। विश्व में सिखों के दूसरे तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब में तीन दिनों से चल रखे अखंड पाठ की समाप्ति रात लगभग डेढ़ बजे हुई। पटना साहिब हजूरी रागी जत्था के भाई जोगेंद्र सिंह ने प्रकाश समय की जन्म कथा-कीर्तन कही। इसके बाद आनंद साहिब का पाठ, आरती, अरदास व हुक्म के बाद दीवान की समाप्ति हुई।
स्टेज की सेवा जत्थेदार ज्ञानी रंजीत सिंह ने दशमेश गुरु की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पौष सुदी सप्तमी यानी 22 दिसंबर 1666 को पटना साहिब में जन्में गोविद राय वर्ष 1699 में खालसा पंथ की स्थापना कर दशमेश गुरु गोविद सिंह बन गए। प्रथम गुरु नानक देव से लेकर गुरु गोविद सिंह तक लंबा अंतराल था। सिख पंथ के दसवें गुरु श्री गुरु गोविद सिंह जी महाराज ने अपने बचपन के लगभग सात वर्ष पटना साहिब में बिताए। वह अपने नन्हे-नन्हें पैरों की अमिट छाप पावन धरती पर छोड़ गए। इस कारण यह धरती पूजनीय है। जत्थेदार ने दशमेश गुरु की जन्म कथा कही। शुक्रवार को बाललीला गुरुद्वारा में दशमेश गुरु का जन्मोत्सव मनाया जाएगा।
इससे पूर्व बडू साहिब के भाई इकबाल सिंह, इग्लैंड के भाई जसबीर सिंह, सचखंड श्री हरिमंदिर साहिब के भाई सतनाम सिंह जबदी, अमृतसर के भाई हरिदर सिंह रोमी वीरजी, पाटियाला के भाई हिम्मत सिंह फक्कर, अमृतसर के भाई गुरइकबाल सिंह ने कीर्तन से संगत को निहाल किया। दिल्ली के भाई चमनजीत सिंह दशमेश गुरु की जीवनी पर प्रकाश डाला।