सत्ता मिलने के बाद वादों का गला घोंट देते नेता
सत्ता हथियाने के लिए सत्ता के लोभी जनता के सामने लोक-लुभावन एजेंडों को पेश करता है नेता
पटना। सत्ता हथियाने के लिए सत्ता के लोभी जनता के सामने लोक-लुभावन एजेंडों को पेश करते हैं। उनके कल्याण के प्रति अपनी नैतिक और संवैधानिक प्रतिबद्धता का इजहार करते नहीं थकते हैं, परंतु वास्तव में वे जनता को ठगने का काम करते हैं। सोमवार की शाम कालिदास रंगालय के मंच पर ऐसी ही कहानी देखने को मिली। मौका था प्रेरणा (जनवादी सांस्कृतिक मोर्चा) की ओर से नाटक 'चीफ मिनिस्टर' के मंचन का। विजय तेंडुलकर द्वारा रचित नाटक चीफ मिनिस्टर समकालीन सत्ता लोलुप राजनीति की कुटिलता और निरंकुशता को उद्घाटित करता है। जनता के वोट से सत्ता में पहुंचने के बाद सत्तासीन ऊपरी तौर पर जनता के समक्ष लोक कल्याणकारी चरित्र को पेश करने की कोशिश करता है। सत्ता के लोभी सत्ता के पद में आ जाने पर निरपराध लोगों पर गोलियां चलवाता है, उनके संवैधानिक अधिकारों को कुचलता है और भ्रष्ट सरमायेदारों और अपराधियों को संरक्षण देते हुए उनके साथ गठजोड़ के बल पर अपना अस्तित्व बनाये रखता है। ये है नाटक की कहानी : नाटक में सिकंदर जनता का प्रतिनिधित्व करता है। मुख्यमंत्री मुराराव एक आम आदमी द्वारा दान की गयी किडनी के कारण जिंदा बच पाता है। मुख्यमंत्री बनने के बाद वह आदमी को खोजता है और उसे मदद करने का वादा करता है। मुख्यमंत्री उस आदमी के एहसान के बदले कुछ देकर एहसान से मुक्ति चाहता है, लेकिन नीतिगत स्तर पर वह गरीबों की हकमारी करता है। अंत में वह उस आदमी को भी मरवा देता है, जिसने उसकी जान बचाई थी। मुख्यमंत्री सपना देखता है कि वह आदमी अपनी दी गयी किडनी वापस मांगने आया है। मुख्यमंत्री को लगता है कि उसकी काली करतूतों का हवाला देकर अपनी दी गयी किडनी वापस मांग रहा है। नाटक में दर्ज सपने का दृश्य वास्तव में जाग चुकी जनता का सत्ता से टकराव और जनता के समक्ष कमजोर सत्ता को दिखाता है।
राइट टू रिकॉल के विमर्श को आगे बढ़ाता नाटक : नाटक में राइट टू रिकॉल के राजनीतिक विमर्श को भी सामने लाया गया है। परिकल्पना और निर्देशन मृत्युंजय कुमार ने किया। मृत्युंजय कुमार, शिवम कुमार, आदर्श राज प्यासा, अमरेंद्र कुमार, राहुल कुमार, पवन कुमार, जीशन फजल, रूबी खातुन ने शानदार अभिनय किया।