वर्षों के रिश्ते को एक झटके में भूले मकान मालिक, किराया नहीं दिया तो घर से धक्का मारकर निकाला
प्रवासी कामगार लगातार बिहार लौट रहे हैं। उनकी पीड़ा भी सामने आ रही है। दिल्ली पंजाब गुजरात जैसे शहरों से लौटने वालों ने जब अपनी पीड़ा सुनाई तो घर वाले रो पड़े।
भागलपुर, ललन तिवारी। केंद्र सरकार की घोषणा को समाज नहीं माने तो इसका दुख समाज को ही झेलना पड़ता है। दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और महाराष्ट्र से लौटे बिहार के प्रवासियों के पास मकान मालिक-किराएदार के रिश्तों को बदनाम करने वाली ऐसी ही कहानियां हैं। केंद्र और दिल्ली सरकार ने भी मकान मालिकों से कहा था कि लॉकडाउन के दौरान किराया वसूली के लिए दबाव नहीं बनाएं। तीन महीने तक राहत दें, लेकिन यह सलाह खुद दिल्ली में भी नहीं मानी गई। दिलवालों की 'दिल्ली' के संवेदनहीन कुछ मकान मालिकों के बारे में अब बिहार के गांवों में बुरा-बुरा कहा-सुना जा रहा। खास तौर पर जब दिल्ली के एक किसान ने अपने मजदूरों को हवाई जहाज से भेजा, तो मकान मालिकों और कंपनी मालिकों की बेरुखी झेल चुके लोग तुलना करने लगे हैं।
धक्के मार कर निकाला घर से
दिल्ली के गांधीनगर में रहने वाले मो. नवाज कपड़ा फैक्ट्री में काम करते थे। पास ही डीडी साहब के घर रहते थे। मकान मालिक ने किराया नहीं देने पर धक्के मारकर बाहर निकाल दिया। इसी 23 मई को श्रमिक ट्रेन से लौटे हैं। सबौर, भागलपुर के कपिलदेव दास दिल्ली के आजमपुर में झोपड़पट्टी में किराए पर रहते थे। झोपड़पट्टी वाले ही पैसे लेते थे। उनलोगों ने किराया नहीं देने पर बाहर कर दिया।
मकान खाली करा दिया
यहीं के मो. महताब की भी यही कहानी है। महेशपुर, भागलपुर निवासी अनिल और अनुज दिल्ली के ओखला में ईंटा-गारा का काम करते थे। मकान मालिक वकील साहब ने किराया नहीं देने पर मकान खाली करा दिया। घर का सामान बेचकर उधारी चुकाई और पैदल ही परिवार के साथ चल पड़े। खरीक, भागलपुर के अब्दुल रहमान मुंबई के भाजी मार्केट में ऑटो चलाते थे। मकान किराया देना संभव नहीं हुआ तो ऑटो बेचकर आ गए।
सबकी कहानी एक जैसी
बांका जिले में 47 हजार से अधिक प्रवासी लौटकर आए हैं। फुल्लीडुमर प्रखंड के राता निवासी सौरभ कुमार एवं इंद्रजीत कुमार दिल्ली में एक बॉल वेयरिंग बनानेवाली कंपनी में काम करते थे। मकान किराया नहीं दे सके तो बदरपुर बॉर्डर क्षेत्र निवासी मकान मालिक अग्रवाल जी ने निकाल दिया। बौंसी निवासी परमेश्वर यादव, उपेन्द्र यादव, उमेश यादव, महेश यादव सहित 40 कामगारों का दल बेंगलुरू में कईवा हाउङ्क्षसग कंपलेक्स में रहकर पीनया इंडस्ट्रीयल एरिया कंपनी में काम करते थे। किराया नहीं रहने पर कंपलेक्स मालिक ने घर से निकाल दिया।
दिल्ली से पैदल ही चल पड़ा मजदूरों का जत्था
अमरपुर के ढेलवा हरिजन पत्नी के साथ पंजाब के भटिंडा में मजदूरी करते थे। किराया नहीं देने पर मकान मालिक सतपाल जी ने घर से निकाल दिया। दो दिन पहले 13 प्रवासी मजदूरों का जत्था दिल्ली से पैदल ही चलकर 25 दिनों में यहां पहुंचा। अनिल कुमार, अनुज कुमार, बिट्टू और सोनी ने बताया कि दिल्ली के लक्ष्मीनगर में रहते थे। मकान मालिक ने निकाल दिया। लौटने तक के पैसे नहीं थे तो पैदल ही चल पड़े। दिल्ली से लौटे पूर्णिया केनगर प्रखंड की रहुआ पंचायत के कल्याणपुर निवासी गणेशी ऋषि ने बताया कि लॉकडाउन के एक सप्ताह बाद ही मकान मालिक ने इनसे मकान खाली करवा दिया।
घड़ी बेचकर देना पड़ा किराया
बांका के फुल्लीडुमर प्रखंड के राता निवासी सुबोध मंडल गुजरात में कपड़ा मिल में काम करते थे। किराया नहीं देने के कारण मकान मालिक ने उन्हें भी घर छोडऩे को कहा। मधेपुरा के सिंहेश्वर प्रखंड के लालपुर निवासी पप्पू कुमार हरियाणा में रहते थे। मकान मालिक ने मकान खाली करवा लिया। अंबाला में काम करने वाले मधेपुरा के रामेश्वर यादव को भी घड़ी और चांदी की चेन बेचकर मकान किराया देना पड़ा।