Bihar Politics: लालू प्रसाद की जगह लेंगे तेजस्वी यादव, बनाए जाएंगे राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष
25 साल पुरानी राष्ट्रीय जनता दल अब पार्टी की पूरी कमान तेजस्वी को सौंपने की तैयारी में है। यह काम एकबारगी नहीं सिलसिलेवार होगा। रोडमैप पर काम शुरू हो गया है। इसमें जगदानंद सिंह बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
अरविंद शर्मा, पटना। राजद में पीढ़ी परिवर्तन का दूसरा दौर शुरू होने वाला है। राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने पांच साल पहले तेजस्वी यादव को विधायक दल का नेता बनवाया था। अब 25 साल पुरानी पार्टी की पूरी कमान सौंपने की तैयारी में हैं। यह काम एकबारगी नहीं, सिलसिलेवार होगा। रोडमैप पर काम शुरू हो गया है। पहले चरण में तेजस्वी को राजद का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जा सकता है। उसके बाद पार्टी की संपूर्ण जिम्मेदारी दी जा सकती है।
कोरोना की तीसरी लहर की आशंका अभी अड़चन बन रही है। जैसे ही इसका डर खत्म हो जाएगा, वैसे ही लालू का पटना आने का कार्यक्रम है। उसके साथ ही प्रक्रिया पर अमल शुरू हो जाएगा। राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के इस्तीफे को इसी मकसद से टाल दिया गया है। लालू चाहते हैं कि पूरी प्रक्रिया में तेजस्वी को जगदानंद का साथ मिले।
हर तीन वर्ष में होता है चुनाव
राजद में हर तीन साल पर राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होता है। अगला संगठनात्मक चुनाव नवंबर 2022 में प्रस्तावित है। इसमें अभी डेढ़ वर्ष का वक्त है। लालू के पारिवारिक सूत्रों का दावा है कि तेजस्वी को इसके पहले ही वैकल्पिक तौर पर संगठन की बागडोर सौंपने की तैयारी है। इसकी प्रमुख वजह लालू की सेहत बताई जा रही है। जेल से जमानत पर रिहा होने के बाद लालू अभी दिल्ली में मीसा भारती के सरकारी आवास पर हैं। उनका स्वास्थ्य अभी पूरी तरह ठीक नहीं है। कोरोना संक्रमण के डर से सीमित लोगों से ही मिलना है। उनकी देखरेख की जिम्मेदारी खुद राबड़ी देवी और मीसा भारती ने संभाल रखी है। तेजस्वी का भी अधिकतर समय दिल्ली में पिता की तीमारदारी में ही गुजर रहा है। इससे उन्हें संगठन के लिए समय निकालना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में कोरोना का डर खत्म होते ही लालू प्रसाद को पटना लाने की कोशिश है, ताकि तेजस्वी पार्टी और पिता दोनों को पर्याप्त समय दे सकें। राजद के स्थापना दिवस के मौके पर खुद लालू ने भी इस बात की तस्दीक की है।
लालू के वफादारों में हैं जगदानंद
जगदानंद सिंह की गिनती लालू के प्रमुख वफादारों में होती है। उन्होंने अपने व्यवहार और कार्य से लालू परिवार को काफी हद तक प्रभावित किया है। राजनीतिक समझ है। पार्टी पर गहरी पकड़ है और तेजस्वी से भी अच्छा तालमेल है। लालू की अनुपस्थिति में विधानसभा चुनाव में जगदानंद ने इसे साबित भी किया है। इसलिए लालू प्रसाद चाहते हैं कि राजनीतिक विरासत के संपूर्ण स्थानांतरण तक जगदानंद अपने पद पर बने रहें। यही कारण है कि तेजप्रताप यादव के बयानों से आहत जगदानंद से लालू ने भावनात्मक अपील करके तेजस्वी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने तक साथ देने के लिए राजी कर लिया है।