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TISS की रिपोर्ट में खुलासा: दिल दहला देगी बिहार के शेल्‍टर होम्‍स की ये आपबीती, जानिए

टाटा इंस्‍टीट्यूट ऑफ सोशल सांइेसेज ने बीते दिनों बिहार के शेलटर होम्‍स की सोशल ऑडिट रिपोर्ट दी थी। इसमें पीडि़तों की दर्दनाक दास्‍तान जान कर आपकी रूह कांप जाएगी।

By Amit AlokEdited By: Published: Tue, 14 Aug 2018 09:46 PM (IST)Updated: Wed, 15 Aug 2018 02:59 PM (IST)
TISS की रिपोर्ट में खुलासा: दिल दहला देगी बिहार के शेल्‍टर होम्‍स की ये आपबीती, जानिए

पटना [सुमिता जायसवाल]। बिहार में मुजफ्फरपुर बालिका गृह दुष्कर्म कांड हैवानियत और मानवाधिकारों के उल्लंघन का अकेला मसला नहीं है। भले ही इसकी सुर्खियों में ऐसे दूसरे शेल्‍टर होम की कारगुजारियां अब भी पर्दे के पीछे हैं। पटना, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, गया, मुंगेर, मधेपुरा और मोतिहारी में ऐसे 15 शेल्‍टर होम चिह्नित किए गए हैं, जहां मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन के मामले पाए गए हैं। यह खुलासा टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टिस) की सोशल ऑडिट रिपोर्ट में हुआ है।

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समाज कल्याण विभाग को सौंपे गए इस रिपोर्ट में सभी शेल्‍टर होम के नाम के साथ वहां महिलाओं, युवतियों और बच्चों के साथ होनेवाले अमानवीय व्यवहार के बारे में स्पष्ट ब्योरा दिया गया है। शेल्‍टर होम में यौन हिंसा आम बात बताई गई है।

यौन हिंसा के कारण बच्चियाें में आतंक

सेवा संकल्प एवं विकास समिति द्वारा मुजफ्फरपुर में संचालित बालिका गृह में बच्चियों ने बताया था कि यहां के पुरुष कर्मी भी जब चाहे लड़कियों के कमरे में घुस जाते थे और उनके संवेदनशील अंगों पर पिटाई करते थे। मारपीट और यौन हिंसा के कारण बच्चियां हर वक्त आतंकित रहती थीं। यहां लड़कियों के मनोरंजन और वोकेशनल ट्रेनिंग के नाम की कोई चीज नहीं थी।

मोतिहारी में बड़ी बेरहमी से होती रही बच्चों की पिटाई

बॉयज चिल्ड्रेन होम, मोतिहारी गैर सरकारी संस्था निर्देश द्वारा संचालित है। इस होम में बच्चों के साथ भयंकर हिंसा और यौन उत्पीडऩ के मामले पाए गए। यहां कोई एक बच्चा या बच्चों का कोई ग्रुप छोटी-मोटी शरारत करे, आपस में झगड़े या यहां से भागने की कोशिश करे तो उन्हें मोटे पाइप से बुरी तरह मारा जाता था। छोटे बच्चों और किशोरों ने भी यौन उत्पीडऩ की बात स्वीकारी।

सखी एनजीओ द्वारा संचालित यहां के दूसरे होम में मानसिक रूप से बीमार लड़कियों और महिलाओं के साथ खुद काउंसलर ही बुरी तरह मारपीट करती थी। यहां संवासिनों को अपने धर्म के अनुसार आचरण करने पर मारा पीटा गया।

भागलपुर में बच्चों ने कहा- होता अमानुषिक अत्याचार

द बॉयज चिल्ड्रेन होम, भागलपुर का संचालन रुपम प्रगति समाज समिति करती थी। यहां ऑडिट टीम को एक शिकायत पेटी मिली, जिसमें मारपीट और अन्य अमानवीय व्यवहारों के बारे में दर्जनों पत्र पाए गए। टीम ने यहां भारी वित्तिय अनियमितता पाई। यहां बच्चों की शिक्षा, मनोरंजन और वोकेशनल ट्रेनिंग के कोई साधन उपलब्ध नहीं थे।

मुंगेर की संस्था पनाह में इंफ्रास्ट्रक्चर बैरक के समान

द मुंगेर बॉयज चिल्ड्रेन होम का संचालन पनाह संस्था करती है। इस होम का इंफ्रास्ट्रक्चर बैरक के समान था। यहां बच्चों को अधीक्षक के घर के काम में पूरे दिन लगाया जाता था। एक गूंगे और बहरे नाबालिग लड़के ने, जो अधीक्षक के घर खाना बनाता था, अपनी गाल पर तीन इंच गहरे घाव का निशान दिखाया। बताया कि एक बार खाना बनाने से इन्कार करने पर उसे बुरी तरह मारा पीटा गया। यहां रहनेवाले सात साल के बच्चे ने भी भयानक तरीके से मारपीट की शिकायत की।

मुंगेर में ही शेल्‍टर होम का संचालन एक दूसरी संस्था नॉवेल्टी वेलफेयर सोसायटी भी करती है। होम के एक भाग को 10 हजार रुपये किराए पर दे दिया गया है। लड़कियों से बातचीत के दौरान पूरे समय यहां के स्टाफ उनकी कड़ी निगरानी करते रहे। डर से लड़कियों ने सिर्फ इतना कहा कि यहां के वॉशरूम में अंदर से बंद करने के लिए लॉक नहीं है, जिससे वे असुरक्षित महसूस करती हैं। ऑडिट टीम ने जब एक बंद कमरा खुलवाया तो वहां मानसिक रूप से बीमार एक युवती मिली, जिसकी हालत अत्यंत दयनीय थी। टीम को देखते ही एक को पकड़कर वह बुरी तरह रोने लगी।

गया, मधुबनी, कैमूर में भी कम नहीं है उत्पीडऩ

द बॉयज चिल्ड्रेन होम, गया  डीओआरडी संस्था द्वारा संचालित है। इस होम में लड़कों को ताले में बंद रखा जाता है। छोटी सी गलती पर भी बुरी तरह मारपीट की जाती थी। इसी तरह नारी गुंजन (पटना), आरवीईएसके (मधुबनी) और ज्ञान भारती दत्तकग्रहण एजेंसी (कैमूर) में भी अधोसंरचना के भयानक कमी के कारण बच्चे अत्यंत दयनीय स्थिति में रह रहे हैं। बच्चे अक्सर भूखे, नाखुश और अस्वस्थकर वातावरण में रहते हैं। यहां के स्टाफ को लंबे समय से वेतन भी नहीं दिया गया था।

अररिया में पुलिस जवान ने तोड़ दी थी बच्चे की हड्डी 

आब्जरवेशन होम, अररिया यूं तो सरकार द्वारा संचालित है। पर यहां  बिहार पुलिस द्वारा नियुक्त एक गार्ड लड़कों के साथ भयावह तरीके से शारीरिक हिंसा करता था। लड़कों ने अपनी छाती और शरीर के विभिन्न हिस्सों पर नुकीले हथियारों से मारपीट के भयावह निशान दिखाए। एक लड़के ने बताया कि गार्ड ने एक बार मार कर उसकी हड्डी तोड़ दी थी और उसे कई दिनों तक कोई दवा नहीं दी गई। लड़कों ने बताया कि यह सुधार गृह नहीं बिगाड़ गृह है। जेल भी यहां से बेहतर जगह है।

पटना के शेल्‍टर होम में खुदकशी कर चुकी है लड़की

आइकेएआरडी एनजीओ द्वारा संचालित इस होम में कई लड़कियां जो अपने परिवार से बिछड़ गईं थीं, रहतीं थीं। उनके पास परिवारीजन के फोन नम्बर थे, लेकिन उन्हें परिवार के पास जाने नहीं दिया गया था। होम के आरटीओ और अकाउंटेंट लड़कियों के साथ मौखिक और शारीरिक हिंसा करते थे। कर्मियों के अमानवीय व्यवहार से तंग आकर एक लड़की ने खुदकशी कर ली थी। एक लड़की ने कर्मियों की यातना के कारण मानसिक संतुलन खो दिया था । लड़कियों को कपड़े, दवा और बुनियादी जरूरतों की चीजों से वंचित रखा जाता था ।

मधेपुरा में जमीन पर सोतीं लड़कियां

महिला चेतना विकास समिति द्वारा यहां लड़कियों को सड़क से पकड़कर लाया जाता था। उन्हें अपने परिवार से मिलने, उन्हें फोन करने और इस जगह को अपनी इच्छा से छोड़कर जाने की भी इजाजत नहीं थी। ऑडिट के वक्त सिर्फ एक रसोइया मौजूद था, जो बेहद डरा हुआ था। लड़कियों को सोने के लिए खाट या गद्दे नहीं थे, वे जमीन पर सोती थीं।

ग्राम स्वराज का गार्ड ही लड़कियों से करता था छेड़खानी

कैमूर के शेल्‍टर होम में ग्राम स्वराज सेवा संस्थान द्वारा लड़कियों के रहने की बुनियादी व्यवस्था भी की गई नहीं थी। यहां गार्ड लड़कियों के साथ छेड़खानी और उनका यौन उत्पीडऩ करता था।

शौचालय का पानी पी रही थीं लड़कियां

ओम सांई फाउंडेशन द्वारा संचालित सेवा कुटीर (मुजफ्फरपुर) में लड़कियों ने जो यौन उत्पीडऩ और हिंस व्यवहार की घटनाएं  और तरीके बताए, वे काफी डरावने थे। वहां लड़कियों को काम देने का लालच देकर लाया गया था। उनके कमरे में न तो पंखा था ना ही बल्ब। पीने का पानी वे शौचालय में से लेकर पीती थीं। खाना बेहद खराब क्वालिटी का और कम मात्रा में दिया जाता था। ऑडिट टीम को किसी तरह की फाइल देखने को नहीं दी गई।

गया में रोज लड़कियों को रॉड या छड़ी से पिटाई

गया में मेट्टा बुद्धा ट्रस्ट द्वारा संचालित सेवा कुटीर के वासी दुबले-पतले थे। ऑडिट टीम से बातचीत के दौरान वहां के स्टाफ रहने वालों से कुछ भी ना बोलने का धमकी भरा इशारा कर रहे थे। लड़कियों ने बताया कि रोज उन्हें रॉड और छड़ी से मारा-पीटा जाता है।  उनकी कई साथी यहां के वातावरण और यातना से तंग आकर धीरे-धीरे अपना मानसिक संतुलन खो चुकी हैं। उन्हें पता है कि वे भी एक दिन अपनी साथी जैसी हो जाएंगी मगर वे असहाय हैं। कोई उनकी सुननेवाला या मदद करनेवाला नहीं है।

पटना के कौशल कुटीर में पाया गया बंधुआ मजदूर

डॉन बॉस्को टेक सोसायटी द्वारा कौशल विकास का प्रशिक्षण देने के लिए स्थापित पटना की कौशल कुटीर संस्था अपने उद्देश्य को हासिल करने में पूरी तरह विफल  दिखी। यहां महिलाओं और पुरुषों को रोजगारपरक प्रशिक्षण देने के लिए लाया जाता था मगर उन्हें डिटेन कर रखा जाता था। महिलाओं और पुरुषों को एक-दूसरे से बात करने की भी इजाजत नहीं थी। ऐसे करने पर अधीक्षक उन्हें प्रताडि़त करते थे। ऑडिट टीम ने कई वासियों को रहस्यमय तरीके से गायब पाया। एक पुरुष जिसे प्रशिक्षण देकर नौकरी दिलाने का दावा किया गया था, वो बंधुआ मजदूर के रूप में काम करते पाया गया। उसे कई महीनों से वेतन नहीं दिया गया था और जबरदस्ती उसे बंद रखा गया था।


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