Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सीएम नीतीश के ये तीखे तेवर, महागठबंधन के लिए नया संदेश तो नहीं....

    By Kajal KumariEdited By:
    Updated: Tue, 04 Jul 2017 11:06 PM (IST)

    मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के तीखे तेवर को लेकर लोगों के जेहन में यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर वो चाहते क्या हैं? लेकिन इतना तय है कि नीतीश महागठबंधन नहीं छोड़ेंगे।

    सीएम नीतीश के ये तीखे तेवर, महागठबंधन के लिए नया संदेश तो नहीं....

    पटना [काजल]। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के तेवर आजकल कुछ अलग कहानी कह रहे हैं। कभी वो एनडीए के खिलाफ दिखते हैं तो कभी अपने सहयोगी और देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस को नसीहत देते दिखते हैं। कभी वो खुद को किसी का पिछलग्गू नहीं कहते तो कभी एनडीए से नजदीकियां बढाने की कोशिश करते दिखते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    एेसे में लोगों के मन में तमाम तरह के प्रश्न हैं कि क्या नीतीश महागठबंधन का दामन छोड़कर एनडीए का दामन थाम लेंगे? क्या एेसी कोई उनकी मजबूरी है या वो एकला चलो रे की कोशिश करने में लगे हुए हैं। लेकिन भाजपा के साथ राह पकड़कर सुशासन बाबू की छवि बनाने वाले नीतीश क्या एक बार फिर उनका दामन थामेंगे? इसे लेकर अटकलों का दौर जारी है।

    ख़ास बात ये है कि नीतीश कुमार के कुछ बयानों से इन अटकलों को हवा मिलना लाजिमी है। पहले उन्होंने महागठबंधन के सहयोगी दल लालू प्रसाद यादव के राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस पार्टी से इतर जाकर नोटबंदी का समर्थन किया, जिसके बाद बवाल मचा और ये मामला कुछ दिनों तक जोर-शोर से चला कि नीतीश कुमार को पीएम मोदी पसंद आ रहे। 

     

    उसके बाद राष्ट्रपति चुनाव के मसले पर उन्होंने विपक्षी पार्टियों से बात किए बगैर एनडीए के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद के नाम का समर्थन करने की घोषणा कर दी। जीएसटी के मसले पर जहां कांग्रेस और राजद ने विशेष सत्र का बहिष्कार करने की बात कही, वहीं नीतीश कुमार ने इसे सही निर्णय करार दिया।

     

    इतना ही नहीं, रविवार को जनता दल यूनाइटेड की राज्य कार्यकारिणी की बैठक हो या फिर सोमवार को लोक संवाद के बाद प्रेसवार्ता हो, दोनों दिन लगातार कांग्रेस पर हमलावर रहे और कांग्रेस को बड़ी नसीहत देते हुए उसकी खामियों को उजागर कर दिया। एेसे में यह सवाल लाजिमी है कि नीतीश कुमार वो सब कर रहे हैं जिससे महागठबंधन के अस्तित्व पर सवाल उठ रहे हैं। 

     

    कांग्रेस पर तल्खी, जीएसटी का समर्थन

    सोमवार को नीतीश कुमार ने अपने बयान में कांग्रेस पर आरोप लगाया कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए जदयू को कांग्रेस ने भरोसे में नहीं लिया। नीतीश कुमार का कहना है कि विपक्ष की आज जो स्थिति है उसके लिए कांग्रेस खुद ही जिम्मेदार है। नीतीश ने कहा कि सिर्फ एकता की बात करने से काम नहीं चलता है। राष्ट्रीय स्तर पर सिर्फ गठबंधन बनाने से कुछ नहीं होगा। हमें अहम मुद्दे पर एकजुटता दिखानी होगी। 

     

    जीएसटी लोकहित से जुड़ा मुद्दा, किया समर्थन

    जीएसटी के मुद्दे पर नीतीश ने कहा कि इस पर तो यूपीए के समय से ही काम हो रहा है। हम पहले से ही उसकी हिमायत करते रहे हैं। एक ही तरह के टैक्स वाली व्यवस्था सही कदम है और इससे टैक्स की चोरी पर लगाम लगाया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि जो जनहित में हो, जो देशहित में हो, मैं हमेशा उसका पक्षधर रहा हूं।

     

    उन्होंने यह भी कहा कि वो और उनकी पार्टी जीएसटी के पक्ष में है। उन्होंने कहा कि जीएसटी एक अच्छी व्यवस्था है और मैंने शुरू से ही इसका समर्थन किया है।

     

    भाजपा के साथ जाने का कोई इरादा नहीं

    नीतीश कुमार ने रविवार को साफ कहा कि भाजपा के साथ जाने का उनका कोई इरादा नहीं। इस बारे में लगाए जा रहे कयास को बकवास बताते हुए नीतीश इस बात से भी इन्कार किया कि वे किसी के दबाव में काम कर रहे हैं।

    उन्होंने कहा कि मेरे बारे में कहा जा रहा कि भाजपा के साथ जा रहे। यह भी कहा जा रहा है कि किसी के दबाव में काम कर रहे हैं। ये सारी बातें बकवास हैं। मैं बिहार में ही राजनीति करूंगा, बिहार के विकास के लिए काम करूंगा।

     

    भाजपा पर साधा निशाना, पूछा-आजादी में क्या है भूमिका?

    भाजपा पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि देश की आजादी में भाजपा की कोई भूमिका नहीं है, फिर भी आज देश की सत्ता संभाले है। भाजपा गाय की बात करती है तो सड़क पर घूमने वाली गायों को क्यों नहीं पालती? बिहार से ज्यादा उत्तर प्रदेश की सड़कों पर गाय घूमती हैं।

     

    बेनामी संपत्ति, नोटबंदी पर दिया था साथ

    नीतीश कुमार ने नोटबंदी को सही ठहराते हुए पीएम मोदी की तारीफ की थी और कहा था कि इससे कालेधन पर लगाम लगेगा। वहीं महागठबंधन की दोनों पार्टियों, कांग्रेस और राजद ने नोटबंदी का जमकर विरोध किया था। इसके तुरत बाद ही नीतीश कुमार ने ही बेनामी संपत्ति पर कड़ी कार्रवाई की बात कही थी और केंद्र की एनडीए सरकार ने इसे लागू किया और आज लालू यादव के परिवार के खिलाफ एक-एक कर बेनामी संपत्ति के मामले उजागर हो रहे हैं।

     

    यह भी पढ़ें: चुनााव आयोग से मिले सुशील मोदी, तेजप्रताप की सदस्यता रद करने की मांग

     

    इस तरह के बयानों से एक ओर जहां जनता भी कंफ्यूज है वहीं उनके इन तमाम फैसलों से ज्यादातर लोग सहमत भी दिखते हैं। लेकिन लोग ये बात नहीं समझ पा रहे हैं कि आखिर नीतीश कुमार के दिल में क्या चल रहा है?

     

    वो जहां एक ओर राजनीति के मंझे खिलाड़ी की भूमिका में दिखाई देते हैं तो वहीं कभी आक्रामक रूख दिखाकर अपने ही सहयोगियों के लिए तनाव पैदा कर देते हैं। हालांकि इन बयानों से कयास लगाए जा रहे हैं कि बिहार के महागठबंधन में फेर-बदल भी संभव है।

     

    यह भी पढ़ें: CM नीतीश ने कांग्रेस को दिखाया रास्ता, कहा- मैं पीएम पद के लायक नहीं