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10 मिनट में दूर हो जाएगा घुटने और कूल्हे का दर्द

पटना में घुटने और कूल्हे के दर्द से कराह रहे लोगों के लिए राहत देने के लि दवा की जगह अब फिजियोथेरेपी पर जोर देने की कोशिश की जाएगी। इसके लिए दर्द निवारक केंद्र खोलने की योजना है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Feb 2018 01:19 PM (IST)Updated: Fri, 23 Feb 2018 01:19 PM (IST)
10 मिनट में दूर हो जाएगा घुटने और कूल्हे का दर्द
10 मिनट में दूर हो जाएगा घुटने और कूल्हे का दर्द

पटना [नीरज कुमार]। घुटने और कूल्हे के दर्द से कराह रहे लोगों के लिए राहत देने वाली खबर है कि बिहार रेडक्रॉस राज्य मुख्यालय में पेन क्लीनिक (दर्द निवारक केंद्र) खोलने जा रहा है। यह सूबे में सरकारी क्षेत्र का पहला पेन क्लीनिक होगा। अगले माह से यह काम करने लगेगा। इसकी तैयारी काफी जोर-शोर से चल रही है।

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व्यायाम या फिजियोथेरेपी से मिलेगा आराम

जोड़ों के दर्द निवारण में व्यायाम एव फिजियोथेरेपी रामबाण साबित हो रहा है। पेन क्लीनिक में दो फिजियोथेरेपिस्टकी व्यवस्था की गई है। दोनों मरीजों के दर्द के अनुसार इलाज बताएंगे। घुटने एव कूल्हे का व्यायाम एव फिजियोथेरेपी अलग-अलग होगी। यहा पर नियमित अभ्यास भी कराया जाएगा। उसके बाद अगर दर्द में कमी नहीं आएगी तो सेंकाई की भी व्यवस्था की जाएगी। सेंकाई के लिए अत्याधुनिक मशीनें मगाई गई हैं। इसके लिए तेजी से काम चल रहा है। फिजियोथेरेपी और सेंकाई से काम नहीं होने पर दवाओं का उपयोग किया जाएगा।

जोड़ प्रत्यारोपण को पीड़ित मानें अंतिम विकल्प

डॉ. सिन्हा का कहना है कि जोड़ों का दर्द जब असहनीय हो जाए, व्यक्ति कार्य करने में असमर्थ हो और चलना फिरना भी मुश्किल हो जाए। दवाएं काम करना बद कर दे, तब व्यक्ति को जोड़ प्रत्यारोपण पर विचार करना चाहिए। जोड़ प्रत्यारोपण विशेषज्ञों की राय लेनी चाहिए। कोई विकल्प नहीं होने पर ही जोड़ प्रत्यारोपण सही होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि जोड़ प्रत्यारोपण आजकल काफी आसान हो गया है। बेहतर जीवन गुजारने और दर्द निवारण के लिए जोड़ प्रत्यारोपण अच्छा विकल्प है लेकिन उसके लिए कुशल चिकित्सक का होना बहुत जरूरी है।

जीवनशैली में आए बदलाव से बढ़ी दर्द की समस्या

बिहार रेडक्रॉस के अध्यक्ष डॉ. विनय बहादुर सिन्हा का कहना है कि वर्तमान में लोगों की जीवनशैली में आए बदलाव के कारण दर्द की समस्याएं काफी बढ़ गई हैं। खासकर, जोड़ों के दर्द ने बड़ी सख्या में लोगों को परेशान कर रखा है। भागदौड़ के कारण युवा पीढ़ी भी दर्द की शिकार होने लगी है।


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