दास्ताने जलियां में दिखी अंग्रेजों की बर्बरता और भारतीयों के प्रति नफरत
बिहार विधानमंडल का बजट सत्र सोमवार से आरंभ हो गया।
पटना। बिहार विधानमंडल का बजट सत्र सोमवार से आरंभ हो गया। दिन भर सत्र चलता रहा और शाम को बिहार विधान परिषद के सेंट्रल हॉल में विधानसभा भवन के सौ वर्ष पूरे होने पर 'किस्सागोई' कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आनंद उठाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी, विधायक, मंत्री एवं बिहार विधान परिषद के सदस्य मौजूद थे।
कार्यक्रम आरंभ होने के पहले बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमारी चौधरी ने कहा कि विधायिका का इतिहास काफी स्वर्णिम रहा है। देश का पहला संविधान संशोधन एवं उसका प्रस्ताव बिहार विधानसभा से बनकर ही संसद में भेजा गया था। विधानसभा भवन के सौ साल पूरे होने पर 'किस्सागोई' कार्यक्रम के बहाने जलियावाला बाग की कहानी एवं राजस्थान की लोक कहानी 'चौबोली' को आधार बनाकर 'दास्तान-ए-शहजादी चौबोली' की उम्दा प्रस्तुति से सभी का मनोरंजन कराया। कार्यक्रम में शिरकत करने आए मोहम्मद फारूकी, एनी फारूकी एवं नुशरत ने दास्तानगोई में नाटकीय ढंग से कहानी को पेश कर सभी का दिल जीता। कहानी में उर्दू अल्फाज और राजस्थानी बोली की झलक साफ झलक रही थी।
अंग्रेज अफसर और उसकी बर्बरता को किया बयां
किस्सागोई कार्यक्रम के दौरान एनी फारूकी और नुशरत ने 'दास्ताने जलिया' के बहाने अंग्रेजों के शासनकाल में उपजी बर्बरता और अंग्रेजी अफसरों में हिदुस्तानियों के प्रति नफरत को भाव-भंगिमा के जरिए पेश किया। सेंट्रल हॉल में बैठे अतिथि भावुक होकर कलाकारों के कहानी कहने का अंदाज पर गौर फरमा रहे थे। कहानी के जरिए बताया कि अमृतसर के जलियांवाला बाग में निहत्थे, शांत बूढ़े, महिलाएं और बच्चों सहित सैकड़ों की संख्या में आए लोगों को गोलियां से अंग्रेजी अफसरों ने मार गिराया। लोग अपनी जान बचाने को बाग में स्थित कुएं में गिरे, जिसमें लोगों की मृत्यु हो गई। इस घटना के बाद पूरे देश में खलबली मच गई। अंग्रेज अफसर जनरल डायर की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे। गुरु रवीेंद्र नाथ टैगोर ने दुख जताते हुए जमकर विरोध किया और नाइटहुड का तमगा अंग्रेजों को वापस लौटा दिया।
ठाकुर साहब की अदाओं पर लगे ठहाके
कार्यक्रम के दौरान उत्तरप्रदेश के गोरखपुर के रहने वाले मोहम्मद फारूकी ने सफेद कुर्ता-पायजामा और सिर पर टोपी पहने 'दास्तान शहजादी चौबेली' के बहाने राजस्थान की लोक कहानी को मंच पर जीवंत किया। कहानी के जरिए कलाकारों ने राजस्थान के राजपूत ठाकुर साहब की कहानी को बयां किया। ठाकुर साहब को तीरंदाजी का काफी शौक था। वे परम वीर और अपने जमाने के मशहूर राजा थे। वही ठाकुर साहब की पत्नी ठकुराइन उनके तीरंदाजी से प्रसन्न और नाखुश दोनों होतीं। ठाकुर साहब अपनी पत्नी की बात अनसुना करते और कहते कि वे मर्द ही क्या जो औरतों की बातों में आए। कलाकारों ने अपने अभिनय से महोत्सव को यादगार बना दिया।