कथाओं को अभिव्यक्त करने की कला है कथक : शोभना
बिहार इप्टा की ओर से लाइव पॉडकास्ट कार्यक्रम के दौरान रविवार को पद्मश्री शोभना नारायण हुई रूबरू
पटना। बिहार इप्टा की ओर से लाइव पॉडकास्ट कार्यक्रम के दौरान रविवार को पद्मश्री शोभना नारायण दर्शकों से फेसबुक पर रूबरू थीं। शोभना से बातचीत पटना से आमिर अब्बास ने की। कार्यक्रम के दौरान नृत्य और आज का समय पर शोभना नारायण ने शास्त्रीय नृत्य की महत्ता और समय के साथ हो रहे बदलाव पर अपने विचार दिए। शोभना ने कहा कि शास्त्रीय नृत्य हजारों वर्ष पुराना है। कथक पौराणिक कथाओं को अभिव्यक्त करने का माध्यम है। उन्होंने कहा कि पौराणिक कथाओं से इतर समसामयिक विषयों पर कथक के जरिए कलाकार विषय के प्रति लोगों को जागरूक करने में लगे हैं। नृत्य और संगीत की परंपरा पर उन्होंने कहा कि पटना में भी इस परंपरा का निर्वाह होता रहा है। 1970 से पटना में आकर प्रस्तुति देते रहे हैं। उस दौर में शहर के चौक- चौराहे पर संगीतकारों और नृत्य की महफिल सजती थी, जिसे देखने के लिए पूरा शहर रातभर जगता था, लेकिन समय के साथ आज परंपरा टूट गई। कोविड-19 पर शोभना ने कहा कि हमलोग सभी रफ्तार के साथ भाग रहे हैं। लोगों में आगे बढ़ने की होड़ इस कदर बढ़ी है कि किसी के बारे में सोचने की फुरसत नहीं है। ऐसे में कोविड हमें ठहराव की ओर ले जाता है। कोविड ने लोगों को सोचने पर विवश किया है। कोविड के कारण वातावरण में बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि इंसान का सबसे बड़ा शत्रु भय होता है। ऐसे में कोविड को अपने उपर हावी नहीं होने दें। जागृति हर व्यक्ति के अंदर होती है। उसे जगाने की जरूरत है। बाहर से कोई भी देवी-देवता आने वाले नहीं हैं। वह हमारे अंदर हैं, जिसे समझने की जरूरत है।