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दानापुर में प्रतिमा स्थापना को लेकर निकली कलश यात्रा

नवनिर्मित देवी मंदिर में प्रतिमा स्थापना को लेकर दानापुर दियारा के हावसपुर में सात दिवसीय यज्ञ का शुभारंभ

By JagranEdited By: Published: Tue, 11 Feb 2020 01:33 AM (IST)Updated: Tue, 11 Feb 2020 01:33 AM (IST)
दानापुर में प्रतिमा स्थापना को लेकर निकली कलश यात्रा

पटना। नवनिर्मित देवी मंदिर में प्रतिमा स्थापना को लेकर दानापुर दियारा के हावसपुर में सात दिवसीय अनुष्ठान का शुभारंभ हुआ। इसको लेकर सोमवार को कलशयात्रा निकाली गयी। गाजे-बाजे के साथ निकली कलश यात्रा मंदिर से निकलकर बंगलापर, पतलापुर और शकरपुर होते हुए गंगाघाट पहुंची। आचार्य पंडित कुमुद तिवारी व लवकुश तिवारी ने मंत्रोच्चार के साथ कलश में जल भरवाया। देवी-देवताओं के जयकारा के साथ कलश में गंगाजल भरकर सभी श्रद्धालु पूजा स्थल पर पहुंचे। आयोजकों ने बताया कि मंगलवार को पंचाग पूजन, वेदी पूजन और मंडप प्रवेश के साथ पाठ प्रारंभ होगा। बुघवार को प्रतिमा का नगर भ्रमण होगा। कलश यात्रा में मुख्य रूप से जितेंद्र कुमार, गोविंदा, शंभूनाथ सिंह, तारक कुमार आदि शामिल थे। मनेर में श्रीमद् भागवत सप्ताह यज्ञ का शुभारंभ

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मनेर के हरिहरनगर बालूपर में सोमवार को श्रीमद् भागवत सप्ताह यज्ञ सह शिव पार्वती हनुमान मंदिर प्राणप्रतिष्ठा को लेकर विशाल शोभायात्रा निकाली गई। गाजे-बाजे के साथ निकली शोभायात्रा में शामिल सभी महिलाएं एवं पुरुष हल्दी छपरा स्थित संगम घाट पर पहुंचे और गंगाजल भरकर नगर परिक्रमा करते हुए यज्ञ स्थल पर वापस लौटे। यज्ञाचार्य पुरुषोत्तम जी महाराज ने कलश स्थापना करायी। इस मौके पर पुरुषोत्तमजी महाराज ने कहा कि जिन पर परमात्मा की विशेष कृपा हुई है, वही इस कथा मंडप में पहुंचे हैं। कहा, जीव ईश्वर का स्वरूप होते हुए भी ईश्वर को पहचानने का प्रयत्‍‌न नहीं करता है। इसी कारण उसे आनद की प्राप्ति नहीं होती है। भागवत जीवन दर्शन का ग्रंथ है। यह जीवन जीने की कला का मार्गदर्शन करता है। भागवत की भक्ति का आदर्श कृष्ण की गोपिया हैं। गोपियों ने घर नहीं छोड़ा। उन्होंने स्वधर्म त्याग नहीं किया। वे वन में नहीं गई। फिर भी वह श्री भगवान को प्राप्त कर सकीं। भागवत ज्ञान, वैराग्य को जागृत करने की कथा है। ज्ञान और वैराग्य मनुष्य के अंदर हैं, पर वह सोए हुए हैं। भागवत के अलावा अन्य कोई ग्रंथ नहीं जो मनुष्य मात्र को सात दिन में मुक्ति का मार्ग दिखा दे। इससे पूर्व मंगलाचारण के साथ व्यासपीठ का पूजन-अर्चन किया गया।


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