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बिहार संवादी: पत्रकारों ने बताईं मीडिया की चुनौतियां', कहा- बढ़ाएं लोगों का हौसला

दैनिक जागरण के साहित्‍य उत्‍सव 'बिहार संवादी' के दौरान पत्रकारों ने मीडिया की चुनौतियाें पर खुलकर चर्चा की। कार्यक्रम की पूरी जानकारी के लिए पढ़ें यह खबर।

By Amit AlokEdited By: Published: Sat, 21 Apr 2018 08:58 PM (IST)Updated: Sun, 22 Apr 2018 05:21 PM (IST)
बिहार संवादी: पत्रकारों ने बताईं मीडिया की चुनौतियां', कहा- बढ़ाएं लोगों का हौसला
बिहार संवादी: पत्रकारों ने बताईं मीडिया की चुनौतियां', कहा- बढ़ाएं लोगों का हौसला

पटना [जेएनएन]। आम तौर नए विषय, सवालों और बहस को जन्म देनी वाली मीडिया आज खुद कठघरे में खड़ी थी। बिहारी संवादी के तीसरे सत्र में मीडिया के उन अनछुए पहलूओं छुआ गया, जो बातें सामान्य तौर पर न्यूज टीवी चैनल्स का प्राइम शो नहीं बन पाती हैं। 'बिहार : मीडिया की चुनौतियां' विषय पर संवादी कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार पटना के साहित्य प्रेमियों से रूबरू थे। सत्र का संचालन वरिष्ठ पत्रकार विकास कुमार झा कर रहे थे।

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सर्वप्रथम वरिष्ठ पत्रकार मारिया शकील मीडिया की चुनौतियां पर कहा कि आज के रिपोर्टर ग्राउंड रिपोर्टिंग नहीं कर रहे हैं। दैनिक जागरण के एसोसिएट एडिटर सदगुरु शरण अवस्थी ने बिहार के पत्रकारों से यहां के बाशिंदों का मनोबल बढ़ाने की अपील की। वरिष्ठ पत्रकार राणा यसवंत ने सोशल मीडिया पर हो रही पत्रकारिता को चुनौती माना।

न्यूज रूम से आदर्श स्थिति का लगाते हैं अनुमान

वरिष्ठ पत्रकार मारिया ने आगे कहा कि हम बस न्यूज रूम के स्टूडियो में बैठकर मान लेते हैं कि बाहर आदर्श व्यवस्था है, मगर आप जब जमीन पर जाकर ग्राउंड रिपोर्टिंग करते हैं तो आपका हकीकत से वास्ता होता है। पत्रकारिता का काम है कि ग्राउंड से आम लोगों की आवाज को प्रसारित या प्रकाशित करना।

उन्‍होंने कहा, यदि आप किसी वैचारिक मत को जेहन में रखकर ग्राउंड में रिपोर्टिंग करने जाएंगे तो जाहिर है आपकी रिपोर्ट में उसका प्रभाव दिखेगा। मैं न्यूज चैनल में एंकर होने के बावजूद भी फील्ड में ग्राउंड जीरो पर जाकर रिपोर्टिंग करना पसंद करती हूं।

गंगा नदी है, अच्छी खेती है बस हौसला पैदा कीजिए

दैनिक जागरण ने एसोसिएट एडिटर सदगुरु शरण अवस्थी ने कहा कि बिहार में अच्छी खेती है, गंगा नदी है। यहां कोई कमी नहीं हैं। बस मीडिया को यहां के लोगों में हौसला पैदा करने की जरूरत है। बिहार की पत्रकारिता को विकास और सफलता के नायक चुनने होंगे। उनसे संबंधित खबरें प्रकाशित करनी पड़ेंगी। ताकि, आम लोग प्रेरित हो सकें। बिहार में जो सामाजिक बदलाव हो रहा है, उससे संबंधित सकारात्मक रिपोर्टिंग करने की जरूरत है।

उन्होंने आगे कहा कि बिहार में घटित किसी अप्रिय घटना को राष्ट्रीय मीडिया ऐसे पेश करता है, जैसे देश में इस तरह की घटना होती ही नहीं।

तथ्य पवित्र होते हैं, विचार नहीं

सत्र का संचालन कर रहे वरिष्ठ पत्रकार विकास कुमार झा ने कहा मीडिया को ध्यान रखना होगा कि तथ्य पवित्र होते हैं, मगर विचार नहीं। स्पॉट पर जाकर रिपोर्टिंग करना बहुत जरूरी है। उन्होंने आगे कहा कि पत्रकारों को सामाजिक मुद्दों को लिखने के लिए नौकरी करनी चाहिए। न कि पैसे के लिए। बिहार पत्रकारिता का मक्का मदीना है।

कहा, बिहार की पत्रकारिता ने हमेशा नायकों की छवि खंडन किया। यहां के पत्रकारों ने किसी को नायक बनने ही नहीं दिया। आज के पत्रकार बिना मजबूत कंटेंट के पैनल डिस्कशन में बैठ जाते हैं।

नाकाब उतारना मीडिया का काम

वरिष्ठ पत्रकार यसवंत राणा ने कहा कि मीडिया काम है कि राजनीति के ऊपर जो तमाम चेहरे हैं। उसका नाकाब उतारने की जरूरत है। क्षेत्रीय पत्रकारिता को बचाए रखने की जरूरत है। क्षेत्रीय पत्रकारों के सामने रोज स्थानीय दारोगा और बीडीओ आदि अधिकारों से जूझने की चुनौती रहती है। मीडिया को संकल्प लेने की जरूरत है कि मुझे किसी विचार के साथ चलना है जन सरोकार के साथ।

उन्‍होंने कहा कि किसी विचार के साथ चलने वाले पत्रकारों की सोच गिरवी हो जाती है। पत्रकारों को अपने जमीर से पूछने की जरूरत है कि आप पेशे के प्रति प्रतिबद्ध है या नहीं। उन्होंने कहा कि 36 करोड़ लोग सोशल मीडिया से जुड़ गए हैं। सोशल मीडिया पर बड़ी तादाद होने की वजह से सांप्रदायिक तनाव आदि मामले तेजी से भड़कते हैं। यह बड़ी चुनौती है।


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