RJD पर फिर भड़के मांझी, महागठबंधन के बिखराव पर JDU का तंज- यह तो होना ही था
महागठबंधन में मचे घमासान के बीच हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा अलग राह चलने की तैयारी में जुट गया है। जीतनराम मांझी एक बार फिर राजद पर भड़के हैं। वहीं जदयू ने चुटकी ली है।
पटना, राज्य ब्यूरो। महागठबंधन में मचे घमासान के बीच हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा अलग राह चलने की तैयारी में जुट गया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी का मानना है कि उन्होंने काफी पहले ही यह अपनी बात रख दी थी कि नाथनगर और किशनगंज सीट पर पार्टी अपने उम्मीदवार देगी। लेकिन कांग्रेस की मांग पर उन्होंने किशनगंज से प्रत्याशी नहीं देने का फैसला किया। उन्होंने इसे लेकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) पर ठीकरा फोड़ा है। वहीं, पूरे मामले पर जदयू ने चुटकी ली है। महागठबंधन के बिखराव पर जदयू के प्रदेश अध्यक्ष बशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि यह तो होना ही था।
हम ने कहा- नाथनगर पर नहीं करेंगे समझौता
इधर राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने राजद पर बड़े सवाल उठाते हुए कहा है कि उपचुनाव में सीटों को लेकर जिस प्रकार का विवाद हो रहा है उसकी असल वजह राजद है। राजद अपना एकाधिकार चला रहा है जो कहीं से महागठबंधन हित में नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि राजद महागठबंधन की मजबूती चाहता है तो नाथनगर से तत्काल अपने प्रत्याशी का नाम वापस ले। अगर ऐसा नहीं होता है तो राजद के बगैर भी महागठबंधन की कल्पना की जा सकती है। उन्होंने कहा कि राजद यदि नाथ नगर से प्रत्याशी देगा तो ऐसी स्थिति में पार्टी सिमरी बख्यितारपुर में विकासशील इंसान पार्टी और शेष सीटों पर कांग्रेस द्वारा खड़े किए गए प्रत्याशियों की मदद करेगी।
जदयू प्रदेश अध्यक्ष बशिष्ठ नारायण सिंह बोले
उधर, विधानसभा की पांच और लोकसभा की एक सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर महागठबंधन में शामिल दलों के बीच बिखराव पर जदयू प्रदेश अध्यक्ष बशिष्ठ नारायण सिंह ने गुरुवार को कहा कि यह तो होना ही था। इसमें अप्रत्याशित जैसा कुछ भी नहीं। उन्होंने कहा कि महागठबंधन में ऐसे दल शामिल थे, जिनका काम करने का तरीका अलग-अलग रहा है। सोच में भी साम्यता नहीं रही है। ऐसे में लंबे समय तक ये लोग एकजुट नहीं रह सकते थे। विरोध की राजनीति में ये लोग इकट्ठा हुए थे। लंबी अवधि तक इस तरह से गठबंधन का चलना मुश्किल होता है।
महागठबंधन के पहले ये लोग कहां थे
बशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा, मुकेश सहनी हों या फिर जीतन राम मांझी। महागठबंधन में आने के पहले ये लोग कहां थे? किस उद्देश्य से ये लोग महागठबंधन में शामिल हुए थे। यही वजह है कि इस तरह का गठबंधन बहुत दिनों तक अस्तित्व में नहीं रहता। उपचुनाव को लेकर एनडीए के प्रत्याशियों के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि नाम लगभग तय हो गए हैैं। अब एलान की औपचारिकता है।
संजय सिंह बोले: सेमीफाइनल में ही ढेर
दूसरी ओर जदयू के ही मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि तेजस्वी यादव दावा करते थे कि उनके गठबंधन में सब ठीक चल रहा है, लेकिन सेमीफाइनल में ही पूरी टीम ढेर हो गई। संजय ने कहा कि महागठबंधन जब बना था तो उसका चेहरा नीतीश कुमार थे। उन्हीं के चेहरे पर घटक दलों को वोट भी मिले थे। अब जब वह नहीं हैं तो घटक दलों ने अपनी राह अलग कर ली।