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जदयू नेता का बड़ा बयान: सहयोगियों की जरूरत नहीं तो सभी सीटों पर अकेली लड़ ले BJP

सीट शेयरिंग के मुद्दे पर जदयू नेता संजय सिंह ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि बिहार में जदयू सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगा। भाजपा को अगर सहयोगी नहीं चाहिए तो वह स्वतंत्र है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Mon, 25 Jun 2018 03:12 PM (IST)Updated: Tue, 26 Jun 2018 11:10 PM (IST)
जदयू नेता का बड़ा बयान: सहयोगियों की जरूरत नहीं तो सभी सीटों पर अकेली लड़ ले BJP
जदयू नेता का बड़ा बयान: सहयोगियों की जरूरत नहीं तो सभी सीटों पर अकेली लड़ ले BJP

पटना [जेएनएन]। जदयू नेता संजय सिंह ने लोकसभा चुनाव में सीट शेयरिंग के मुद्दे पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि बिहार में जदयू सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगा चाहे कुछ भी हो जाए। सीटों के मामले में कमी जदयू को मंजूर नहीं। उन्होंने धमकी भरे लहजे में कहा कि सीटों के बंटवारे को लेकर भाजपा नेता अनाप शनाप बयान देना बंद करें।

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उन्होंने कहा कि ये साल 2014 का नहीं  2019 का लोकसभा का चुनाव है। तब और अब में बहुत अंतर है। बीजेपी को पता है कि वह बिहार में बिना नीतीश कुमार के साथ चुनाव जीतने में सक्षम नहीं है और अगर बीजेपी को सहयोगियों की जरूरत नहीं है, तो वह बिहार में सभी 40 सीटों पर लड़ने के लिए वो स्वतंत्र है।

एनडीए के साझेदारों में सीट बंटवारे को लेकर बातचीत अभी शुरू नहीं हुई है , लेकिन जेडीयू ये आगाह कर बीजेपी को यह सुनिश्चित करने के लिए आगे आना चाहिए कि सीट बंटवारे पर फैसला जल्द हो ताकि चुनावों के वक्त कोई गंभीर मतभेद पैदा न हो।

वहीं इस मामले में लोकजनशक्ति पार्टी सुप्रीमो रामविलास पासवान का भी कहना है कि सीटों का तालमेल पहले ही हो जाना चाहिए। 

बता दें कि साल 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू को राज्य की 243 सीटों में से 71 सीटें हासिल हुई थीं जबकि भाजपा को 53 और लोजपा-रालोसपा को दो-दो सीटें मिली थीं। जदयू उस वक्त राजद एवं कांग्रेस का सहयोगी था, लेकिन पिछले साल वह इन दोनों पार्टियों से नाता तोड़कर राजग में शामिल हो गया और राज्य में बीजेपी के साथ सरकार बना ली है।  

वहीं बात करें आम चुनावों की तो साल 2014 के आम चुनावों में भाजपा को बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से 22 पर जीत मिली थी जबकि इसकी सहयोगी लोजपा और रालोसपा को क्रमश: छह और तीन सीटें मिली थीं।जदयू 2013 तक भाजपा का सहयोगी था और उस वक्त वह राज्य में निर्विवाद रूप से वरिष्ठ गठबंधन साझेदार था और लोकसभा एवं विधानसभा चुनावों में वह हमेशा ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ता था।


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