बिहार में मजबूत संगठन के साथ चुनाव में उतरेगा जदयू, जानिए पार्टी का फ्यूचर प्लान
जदयू इस बार पूरे तेवर के साथ बिहार के चुनावी मैदान में उतरेगा। पार्टी के पास अभी 40 लाख से अधिक प्रारंभिक सदस्य हैं। इन्हीं के सहारे चुनावी नैया पार करने की तैयारी है।
पटना [एसए शाद]। पिछले लोकसभा चुनाव में कमजोर संगठन का नुकसान झेल चुका जदयू इस बार पूरे तेवर के साथ मैदान में उतरेगा। पार्टी के पास तीन गुना अधिक प्रारंभिक सदस्य होंगे और हर बूथ पर चार-चार कार्यकर्ता मौजूद रहेंगे। 2014 के लोकसभा चुनाव में लगभग 40 प्रतिशत बूथों पर पार्टी के एजेंट भी मौजूद नहीं थे। जदयू बिना किसी से तालमेल किए अकेले चुनाव में उतरा था और इसने सभी 40 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। मगर जीत सिर्फ दो ही सीटों पर मिली थी।
संगठन के स्तर पर पार्टी का इस दफा यह लाभ है कि इसके पास अभी 40 लाख से अधिक प्रारंभिक सदस्य हैं। पिछले चुनाव के समय मात्र 12 लाख सदस्यों से ही पार्टी को काम चलाना पड़ा था। कारण यह था कि जदयू पूर्व में गठबंधन में चुनाव लड़ता रहा था, जबकि 2014 में पहली बार अकेले मैदान में पार्टी उतरी थी। करीब 40 प्रतिशत बूथों पर पार्टी के एजेंट भी तैनात नहीं थे। तब पार्टी ने प्राथमिक सदस्य बनने के लिए कम से कम एक पौधा लगाने की शर्त लगा रखी थी। करीब 12 लाख सदस्य बन पाए थे।
जदयू इस बार फिर गठबंधन में चुनाव लड़ेगा, मगर इसके बावजूद पार्टी ने अपना संगठन सुदृढ़ कर लिया है। दो वर्ष पूर्व सदस्यता अभियान फिर आरंभ हुआ तो पार्टी ने दो मुख्य बदलाव किए। पौधा लगाने की शर्त हटा दी और अनिवार्य कर दिया कि सक्रिय सदस्य बनने के लिए 25 प्रारंभिक सदस्य बनाने की औपचारिकता कार्यकर्ता अपने इलाके में ही पूरी करें। इससे किसी एक जगह सदस्यों की अधिक संख्या होने की बजाय पूरे प्रदेश में समान रूप से सदस्य बने। प्राथमिक सदस्यों की संख्या अभी 40 लाख का आंकड़ा पार कर चुकी है।
दूसरी ओर एंटीइंकम्बेंसी फैक्टर पनपने नहीं देने के लिए जदयू नेतृत्व वाली सरकार विभिन्न वर्गों को लक्षित कर योजनाएं लागू कर रही है। युवा पीढ़ी पर विशेष ध्यान है। इनमें अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अतिपिछड़ों के लिए यूपीएसी या बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा पास करने पर प्रोत्साहन राशि, हर जिले में अल्पसंख्यकों के लिए आवासीय विद्यालय जैसी कई योजनाएं हैं।
पार्टी नेतृत्व का स्पष्ट कहना है कि हम अपने काम के आधार पर वोट मांगेंगे। इसे ध्यान में रख सरकार हर पंचायत में 'निश्चय प्रभारी' नियुक्त करने जा रही है ताकि सात निश्चय कार्यक्रम के कार्यान्वयन को गति दी जा सके। सात निश्चय में अधिकांश योजनाएं युवाओं के लिए बनी हैं।
पार्टी के युवा प्रकोष्ठ ने इसे मद्देनजर रखते हुए इन योजनाओं के प्रति जागरूकता फैलाने का 5 जून को संकल्प लिया है। पार्टी के लिए यह भी एक प्लस प्वाइंट है कि उसके पास राजद के बाद सबसे अधिक विधायक हैं। औसतन हर लोकसभा सीट के अंदर छह विधानसभा क्षेत्र हैं। इन विधानसभा क्षेत्रों में से करीब 28 प्रतिशत पर जदयू का कब्जा है।