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फूलपुर में लोहिया से जीतकर नेहरू ने दिखाई थी दरियादिली, अपने ही मैदान पर बोल्ड हो गए थे मोहम्मद कैफ

जदयू अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा था कि मुख्यमंत्री को यूपी की कई सीटों से आफर मिला है। इन सीटों में फूलपुर लोकसभा का नाम प्रमुखता से आया। अब इस लोकसभा क्षेत्र की चर्चा बिहार में भी तेजी से चलने लगी।

By Akshay PandeyEdited By: Mon, 19 Sep 2022 01:35 PM (IST)
फूलपुर में लोहिया से जीतकर नेहरू ने दिखाई थी दरियादिली, अपने ही मैदान पर बोल्ड हो गए थे मोहम्मद कैफ
मोहम्मद कैफ, रोम मनोहर लोहिया और जवाहर लाल नेहरू। साभारः इंटरनेट मीडिया।

जागरण टीम, पटना। कमल के साथ फूल तो जुड़ता ही है। राजनीति में कमल के चटख रंग को फीका करने के लिए 'फूल' पर दांव लगाया जा सकता है। उत्तर प्रदेश की फूलपुर लोकसभा सीट ने सियासी सीढ़ी चढ़ाकर कइयों को ऊंचे पदों पर बैठाया तो दिग्गजों को हार का मुंह दिखाकर जमीन का एहसास भी दिलाया। नेहरू ने लोहिया को हराया पर दरियादिली दिखाकर राज्यसभा भी पहुंचाया। इंग्लैंड में अपनी पारी से भारत के कप्तान सौरभ गांगुली को जर्सी उतारने पर मजबूर करने वाले मोहम्मद कैफ तो अपने ही मैदान पर बोल्ड हो गए। एक सच्चाई यह भी है कि फूलपुर से अबतक केवल दो ही बार भाजपा जीत सकी। नीतीश लड़े तो पहली बार किसी दूसरे राज्य का मुख्यमंत्री भाग्य आजमाता दिखेगा। 

फूलपुर से समाजवाद के सबसे बड़े नेता राम मनोहर लोहिया हारे तो बसपा के संस्थापक काशीराम को भी निराशा हाथ लगी। जवाहर लाल नेहरू, वीपी सिंह, विजय लक्ष्मी पंडित, जनेश्वर मिश्र, केशव प्रसाद मोर्य ऐसे नाम रहे जो इसी सीट का प्रतिनिधित्व कर बड़े पदों पर पहुंचे। इस सीट से बाहुबलियों का नाम भी जुड़ा। अतीक अहमद सांसद बने तो कपिलमुनि करवरिया भी लोकसभा पहुंचे।

रोचक रही नेहरू-लोहिया की लड़ाई

फूलपुर में कई बार दिग्गजों का सामना हुआ। 1962 की लड़ाई काफी चर्चा में रही। जवाहर लाल नेहरू को टक्कर देने मैदान में राम मनोहर लोहिया उतर गए। सीट नेहरू के लिए सुरक्षित मानी जाती थी। प्रधानमंत्री को भला कौन नहीं जानता, पर लोहिया का नाम भी कम नहीं था। चुनाव हुआ, परिणाम पर सबकी नजरें थीं। लोहिया नेहरू से हार गए। पंडित नेहरू का मानना था कि लोहिया जैसे आलोचक का संसद में होना जरूरी है। अपनी इन्हीं बातों को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने लोहिया को राज्यसभा पहुंचा दिया। इस घटनाक्रम की चर्चा देश की राजनीति में रही।  

लाजवाब क्षेत्ररक्षक कैफ सियासी मैदान पर निकले कमजोर

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने आखिरी समय पर अपना प्रत्याशी घोषित किया। मोहम्मद कैफ देश में कहीं से भी चुनाव लड़ते उनका नाम तो सबको पता था। इंग्लैंड में नेटवेस्ट सीरीज में 87 रन की ऐसी पारी खेली थी कि कप्तान सौरभ गांगुली ने जीत की खुशी में अपनी टी-शर्ट उतार दी थी। कैफ जब फूलपुर से कांग्रेस का चेहरा बने तो लगा कि पार्टी में फिर जान फूंक देंगे। खेल के मैदान में लाजवाब क्षेत्ररक्षक अपने ही शहर की सियासी पिच पर कमजोर साबित हुए। जीत का दावा कर रहे पूर्व भारतीय क्रिकेटर कैफ के लिए चुनाव परिणाम शून्य पर आउट होने जैसा एहसास लेकर आया। भाजपा की आंधी में केशव प्रसाद मोर्य को जीत मिली। विश्वपटल पर इलाहाबाद का नाम रौशन करने वाले कैफ अपने ही शहर में चौथे नंबर पर चले गए।