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पटना एयरपोर्ट की देश ही नहीं, विदेशों में भी हो रही चर्चा, जानिए वजह

अपनी बदहाली और यात्रियों की असुविधा के लिए पटना एयरपोर्ट देश में ही नहीं, विदेशोें में भी चर्चा में है। एयरपोर्ट प्रशासन का भी मानना है कि यात्रियों को परेशानी हो रही है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Tue, 02 Jan 2018 06:07 PM (IST)Updated: Wed, 03 Jan 2018 09:22 AM (IST)
पटना एयरपोर्ट की देश ही नहीं, विदेशों में भी हो रही चर्चा, जानिए वजह
पटना एयरपोर्ट की देश ही नहीं, विदेशों में भी हो रही चर्चा, जानिए वजह

पटना [काजल]। पटना एयरपोर्ट के यात्रियों की परेशानी दिखाती तस्वीरें व वीडियो पिछले नवंबर महीने से ही इतनी हो रहीं हैं कि एयरपोर्ट की चर्चा अब देश-विदेश में होने लगी है। मौसम की मार, क्षमता से ज्यादा यात्रियों की संख्या और विमानन कंपनियों के तरह-तरह के लुभावने अॉफर से कुव्यस्था का शिकार हो रहा पटना एयरपोर्ट कराह रहा है। जिस तरह बस टर्मिनल पर यात्रियों में बस में चढ़ने को ले भीड़ लगी रहती है, ठीक वैसी ही भीड़ आजकल पटना एयरपोर्ट पर देखी जा रही है। 

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नवंबर के दूसरे सप्ताह में एयरपोर्ट के फर्श पर लेटे यात्रियों की तस्वीरों ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं। दावे किए गए थे कि भविष्य में ऐसी दिक्कतें नहीं होंगी। लेकिन, हालात आज भी वैसे ही हैं। सुरक्षा जांच के नाम पर यात्रियों की लंबी लाइन लगती है। सर्द मौसम में भी पसीना आने तक यात्रियों के धैर्य की परीक्षा ली जाती है।

एक यात्री को सिक्योरिटी चेक कराने में 30 से 50 मिनट का समय लगता है। फ्लाइट लेट होती हैं। यात्री परेशान होते हैं। बावजूद इसके न एयरपोर्ट अथॉरिटी, न सुरक्षा संभालने वाले सीआइएसएफ के पदाधिकारी जिम्मेवारी लेने को तैयार होते हैं। जो चीजें महज बेहतर प्रबंधन से सुधर सकती है, उसके लिए जगह कम होने की दुहाई दी जाती है।

पटना एयरपोर्ट अथॉरिटी और जिला प्रशासन के संज्ञान लेने के बाद मंगलवार को स्थिति में थोड़ा सुधार तो दिखा, लेकिन क्षमता से अधिक यात्री और मौसम की मार ने पूरी व्यवस्था की पोल खोल दी। हालत में सुधार के बाद भी यात्रियों की परेशानी आज भी वैसी ही रही। आज भी सुबह कड़ाके की ठंड में यात्री एयरपोर्ट पहुंचे और ठिठुरते हुए अपनी फ्लाइट का इंतजार करते रहे।  

एयरपोर्ट निदेशक ने भी माना-हैं तमाम परेशानियां

मौसम की खराबी तो एक समस्या है ही लेकिन दूसरी बड़ी समस्या बताते हुए पटना के जयप्रकाश नारायण एयरपोर्ट के निदेशक राजेन्द्र सिंह लाहोरिया ने बताया कि एयरपोर्ट पर फ्लाइट की संख्या बढ़कर दोगुनी हो गई है। सुरक्षाकर्मियों की संख्या एक ही लगेज स्कैनर की है। संख्या बढ़ाने के लिए बार-बार लिखा जा रहा है।

क्षमता से अधिक विमान यात्री और साथ में मौसम के तेवर के साथ ही सुविधाओं का अभाव ये कहानी पिछले तीन दिसंबर से चल रही है।

मौसम विभाग, एयरपोर्ट अथॉरिटी और एयरलाइंस कंपनियों के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में मौसम विभाग ने स्पष्ट किया है कि लगातार दो दिनों तक दिन के 11.00 बजे से फ्लाइट लैंड करने लायक विजिबिलिटी हो जाएगी। आज हालांकि विजिलिबिटी की समस्या से थोड़ी निजात जरूर मिली।

डेढ़ घंटे कतार में लगने पर टर्मिनल भवन के गेट पर पहुंचे यात्री

विमानों के समय पर उड़ान नहीं भरने के कारण सोमवार को एयरपोर्ट पर यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। टर्मिनल भवन में प्रवेश के लिए यात्रियों की दो कतारें लगाई गई थीं। एक से डेढ़ घंटे तक कतार में रहने के बाद गेट तक पहुंच पा रहे थे।

यात्रियों की सुविधा के लिए एयरपोर्ट अथॉरिटी ने एयरपोर्ट परिसर में ही एक टेंट लगा दिया है। उसमें करीब 200 कुर्सियां लगाई गई हैं। यात्रियों को इस टेंट के बने रहने पर थोड़ी राहत मिली है। हालांकि वे फर्श पर बैठने को मजबूर रहे। एयरपोर्ट निदेशक राजेंद्र सिंह लाहौरिया के अनुसार मौसम विभाग के पूर्वानुमान के आधार पर विमानों की उड़ान करानी है।

नए साल के मौके पर लोगों को पटना पहुंचने में हुई फजीहत

कोहरे के कारण अपनी साख बचाने को विमानन कंपनियां कुछ भी करने को तैयार हैं। नए साल के मौके पर परिजनों से मिलने के लिए खाड़ी देशों में कार्यरत बिहार के सैकड़ों यात्री 29 दिसंबर को ही जेट एयरवेज से टिकट बुक करा दिल्ली पहुंचे। इन लोगों ने दिल्ली से पटना तक की इसी कंपनी की कनेक्टिंग फ्लाइट बुक करा रखी थी। 30 दिसंबर को जब दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचे तो जेट एयरवेज के विमान को रद बताया गया।

इसके बाद यात्रियों ने पटना भेजने का दबाव बनाना शुरू कर दिया। दबाव पर जेट एयरवेज कंपनी ने वातानुकूलित वॉल्वो बस से उन्हें पटना के लिए रवाना किया। जेट एयरवेज ने तीन बसों से यात्रियों को शाम चार बजे पटना के लिए रवाना किया। हालांकि न तो उन्हें रास्ते में भोजन मुहैया कराया गया, न ही नाश्ता। रविवार देर रात आठ बजे तीन बसों से 144 यात्री पटना पहुंचे।

इनमें से अधिकांश यात्री सिवान, छपरा, बेतिया, मोतिहारी, भागलपुर, दरभंगा व मधुबनी शहरों के रहने वाले थे। जिस वक्त तीनों बसें एयरपोर्ट पर पहुंचीं, उस वक्त टैक्सी कम थीं। जो टैक्सी थीं भी, वह रिजर्व सवारी लेकर निकल गईं। अधिकांश यात्रियों को पटना जंक्शन आकर ट्रेन का इंतजार करना पड़ा अथवा पूरी रात होटल में गुजारनी पड़ी।

बेंगलुरु से यात्री तो पहुंचे, वहीं रह गया सामान

बेंगलुरु से पटना आने वाले इंडिगो के विमान संख्या 485 से पटना आने वाले कई यात्रियों का सामान बेंगलुरु में ही छोड़ दिया गया। उनका सामान दूसरे दिन भी नहीं पहुंच सका था। जब-जब वह सामान लेने पहुंच रहे थे तो कंपनी के कर्मचारी मदद के बजाय उन्हें डपट रहे थे।

यात्रियों ने बताया कि जब उन लोगों ने गुरुग्राम स्थित इंडिगो के दफ्तर में फोन कर शिकायत की और काउंटर पर बैठे कर्मचारियों के र्दुव्‍यवहार का वीडियो भेजा तो चार घंटे बाद सामान के लिए बुलाया गया। देर शाम साढ़े सात बजे के बाद उन्हें सामान सौंपा गया।

जायजा लेने पहुंचे ज्वाइंट डायरेक्टर 

पटना एयरपोर्ट की स्थिति का जायजा लेने के लिए सोमवार को एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ इंडिया के रीजनल एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर केएल शर्मा पहुंचे। उन्होंने एयरपोर्ट का निरीक्षण किया और एयरपोर्ट निदेशक आरएस लाहौरिया से वर्तमान स्थितियों के बारे में अवगत हुए।

शर्मा ने सभी विमान कंपनियों और एयरपोर्ट प्रशासन को निर्देश दिया कि यात्रियों को अधिक से अधिक सुविधा दी जा सके इसका विशेष ख्याल रखें। यात्रियों को विमान से संबंधित जानकारी समय पर देने का निर्देश दिया।

उन्होंने बताया कि मौसम पर किसी का कंट्रोल नहीं है, लेकिन अधिक से अधिक सुविधा दे सकें इसका प्रयास होगा। पैसेंजर इंफार्मेशन सिस्टम को बेहतर करने का निर्देश दिया गया। पहले से एक टेंट बनाया गया था और सोमवार से एक नया टेंट यात्रियों के बैठने के लिए बनाया गया है। 

एयरपोर्ट प्रबंधन की ओर से यात्रियों के बैठने के लिए अलग से व्यवस्था की गई थी। वाहनों को व्यवस्थित करने के लिए लोकल पुलिस के काफी जवान लगे थे। इंट्री गेट पर भी कई जवान तैनात थे। शाम चार बजे से स्थिति में काफी सुधार हुआ था। 

 - प्रभारी निदेशक, जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट, पटना

सूटकेस-ट्रॉली पर बैठे दिखे यात्री

टर्मिनल भवन में मौजूदा क्षमता से दोगुने से भी अधिक है. इससे आधे से अधिक लोगों को बैठने की जगह भी नहीं मिल  रही थी। कुछ खड़े थे जबकि कुछ जमीन पर बैठे या चादर बिछा कर लेटे  दिखे। कई लोग सूटकेस-ट्रॉली को भी कुर्सी की तरह इस्तेमाल कर रहे थे।

प्रतिदिन आठ हजार यात्री करते हैं सफर

पटना एयरपोर्ट से प्रतिदिन 8000 यात्रियों का आना-जाना होता है। इतने यात्रियों के लिए मात्र दो ही लगेज स्कैनर लगाए गए हैं। एयरपोर्ट प्रबंधन की ओर से यात्रियों की सुरक्षा जांच के लिए महिलाओं के लिए एक और पुरुषों के लिए दो फ्रिस्किंग बूथ खोले गए हैं। जांच के लिए एक यात्री को औसतन 32 सेकंड का समय लगना चाहिए था, लेकिन अव्यवस्था के कारण यह समय काफी बढ़ जाता है।

विमानों और यात्रियों की संख्या के अनुसार नहीं बढ़े जवान

पांच साल पहले पटना एयरपोर्ट से मात्र 16 से 18 विमान उड़ान भरते थे। उस वक्त सीआइएसएफ के 190 जवानों और अधिकारियों को तैनात किया गया था। पिछले पांच वर्षों मेें विमानों की संख्या दोगुनी हो गई, यात्रियों की संख्या तिगुनी हो गई लेकिन सीआइएसएफ की संख्या में आज तक वृद्धि नहीं की गई है। 250 से 300 यात्री प्रति घंटे के हिसाब से एयरपोर्ट पर आते थे। आज इनकी संख्या 800 तक पहुंच गई है।

एयरपोर्ट निर्माण के समय इसकी क्षमता सालाना पांच लाख यात्रियों की थी। अब यात्रियों की संख्या 30 लाख के पार हो चुकी है। पहले जहां साल भर में 3000 से 3500 उड़ानें थीं, अब यह संख्या 22 हजार से पार हो चुकी है। 

इसलिए लगती हैं कतारें 

1. पटना एयरपोर्ट से प्रतिदिन 8000 से अधिक यात्री उड़ान भरते हैं। इनकी सिक्योरिटी जांच के लिए पहले की तरह आज भी दो ही लगेज स्कैनर लगाए गए हैं। 

2. फ्रिस्किंग बूथ नाम के पांच हैं।  सीआइएसएफ जवानों की कमी के कारण तीन ही बूथ चलाए जाते हैं। 

3.एयरपोर्ट के प्रवेश द्वार पर दो ही जवानों की ड्यूटी लगाई गई है। एक महिला और एक पुरुष जवान को टर्मिनल भवन के अंदर जाने वाले यात्रियों के टिकट और सामान की जांच करनी है। 

कैसे सुधरेगी स्थिति

- पटना एयरपोर्ट पर दो के बजाय छह लगेज स्कैनर लगाने होंगे।  

- विजिबिलिटी 1200 मीटर से कम कर 300 मीटर तक रहने पर विमानों की हो लैंडिंग। 

- तत्काल रडार सिस्टम इंस्टाल करने की आवश्यकता है। देश के सारे एयरपोर्ट पर रडार लगाए जा चुके हैं।

- रन वे की लंबाई बढ़ाकर 6800 से 8000 मीटर करना होगा। 

- विमानों का पार्किंग स्टैंड चार से बढ़ाकर कम से कम छह करना होगा। 

- यात्रियों के बैठने के लिए पर्याप्त संख्या में कुर्सी लगाने की आवश्यकता है।


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