बिहार: गुरुजी की खुली पोल, बच्चों के मिड डे मील के अंडे व मसाले ले जाते घर
बिहार के सरकारी स्कूल में चल रही मिड डे मील योजना में हो रही गड़बड़ी में पता चला है कि बच्चों के अंडे और सब्जियों के मसाले चुराकर गुरुजी अपने घर ले जाते हैं।
पटना, दीनानाथ साहनी। बिहार के सरकारी विद्यालयों में चल रही मिड डे मिल योजना की पोल खुल गयी है। बच्चों के निवाले में गुरुजी हकमारी कर रहे हैं। इसमें मिड डे मील से जुड़े अफसर भी कठघरे में आ गए हैं। सरकार से नामांकन पंजी के आधार पर बच्चों के लिए चावल, दाल, अंडे, आलू, प्याज, तेल व मसाले आदि की व्यवस्था होती है।
मगर जो बच्चे दाखिले लेने के बाद स्कूलों में नहीं जा पाते, उनके हिस्से की खाद्य सामग्रियों को प्रभारी प्रधान शिक्षक/प्रधानाध्यापक स्कूलों से उठा ले जा रहे हैं। लोक सूचना का अधिकार कानून की अर्जियों से मिड डे मील योजना में व्याप्त कई अनियमितताओं का पता चला है। हालांकि शिक्षा विभाग ने इस मामले में गंभीरता दिखाई है और सभी जिलों में मिड डे मील की जांच करने का आदेश संबंधित अफसरों को दिया है।
बांका के एक स्कूल प्रधान ने तेल, अंडे व मसाले के क्रय पर एक बिल पेश किया। 31 अप्रैल, 2014 (महीने में केवल 30 दिन हैं)। मगर आरटीआइ कानून की अर्जी से यह भी पता चला कि स्कूल प्रधान ने शिक्षक दिवस समारोह के लिए 1.20 लाख रुपये का व्यय पेश किया है और उसी में खाद्य सामग्री का बिल संलग्न है। शिक्षा विभाग ने उस स्कूल के खातों की जांच का आदेश दिया है। एसडीएम के नेतृत्व में जांच दल ने स्कूल के व्यय की जांच शुरू कर दी है।
खाद्य सामग्री की खरीद का फर्जी बिल, प्राथमिकी
आरटीआइ अधिनियम के तहत प्राप्त जानकारी के मुताबिक प्रदेश के सभी जिलों में मिड मील योजना के क्रियान्वयन में भारी गड़बड़ी सामने आई है। इस कड़ी में 254 प्राथमिक व मध्य विद्यालयों ने न केवल अपने व्यय को बढ़ाकर दिखाया है, बल्कि सरकार द्वारा आंवटित राशि को हड़पने के लिए फर्जी बिल भी प्रस्तुत किया है।
वहीं पटना जिले के पुनपुन और दनियावां प्रखंड में कई प्राथमिक विद्यालयों में प्रधान शिक्षकों द्वारा मिड डे मील योजना की खाद्य सामग्री को घर ले जाने का मामला सामने आया है। नवादा के हिसुआ ब्लॉक के एक विद्यालय ने मिड डे मील स्कीम के तहत बिल जारी किया था, उसकी जांच डीपीओ ने करायी तो बिल फर्जी निकला। उस बिल पर 70646 रुपये की खाद्य सामग्री की खरीद क्लेम की गई थी।
डीपीओ ने फर्जी बिल मामले में प्रधानाध्यापक पर प्राथमिकी दर्ज करायी है। स्कूल 11 मार्च से 31 मार्च तक खुला नहीं था, मगर रसीदें दिखाती हैं कि इस अवधि में बच्चों के भोजन के लिए राशि खर्च की गई। उपस्थिति के रिकॉर्ड से पता चलता है कि मार्च में स्कूल बंद होने से तीन दिन पहले 100 से कम बच्चे उपस्थित थे। पर 405 छात्रों के लिए भोजन बिल तैयार किया गया है।
जांच अफसर भी कठघरे में, होगी कार्रवाई
सरकार ने मिड डे मील की नियमित जांच के लिए हर जिले में अफसरों की तैनाती कर रही है। उन्हें देखना है कि हर रोज स्कूलों में मि डे मील स्कीम के तहत दी गई भोजन की मात्रा, दैनिक मेनू और रोस्टर, गुणवत्ता और उपयोग के बारे में जानकारी प्रदर्शित हो रही है या नहीं। मगर 80 फीसद स्कूलों द्वारा डिस्प्ले बोर्ड पर भोजन की मात्रा, गुणवत्ता और दी जाने वाली खाद्य सामग्री की सूचना प्रदर्शित नहीं की जाती है।
शिक्षा विभाग ने खुद पुष्टि की है कि जिलों के अफसरों द्वारा मिड डे मील की जांच रिपोर्ट नियमित रूप से नहीं उपलब्ध करायी जाती है। इसके लिए अब विभाग ने अफसरों की जिम्मेवारी तय कर कार्रवाई करने का आदेश डीएम को दिया है।
हाईकोर्ट में दायर होगी याचिका
आरटीआइ वर्कर शिवप्रकाश राय के मुताबिक पटना, नालन्दा, गया, नवादा, बक्सर, जहानाबाद, सिवान, दरभंगा, समस्तीपुर, बांका, मुंगेर, पूर्णिया, किशनंगज और पश्चिम व पूर्वी चंपारण जिले में मिड डे मील योजना में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर एक याचिका पटना हाईकोर्ट में दाखिल करने की तैयारी है।
मॉनीटरिंग के लिए तैयार एमआइएस भी फेल
शिक्षा विभाग ने मिड डे मील योजना की निगरानी के लिए और रिपोर्टिंग के लिए कंप्यूटर आधारित प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) स्थापित कर रखी है जहां पूरा सिस्टम फेल है। यहां हर माह की रिपोर्ट उपलब्ध नहीं है। विभिन्न जिलों के बीईओ ने मोबाइल एप्स से मिड डे मील योजना की मॉनीटङ्क्षरग नहीं होने की इसकी खामियों से संबंधित रिपोर्ट डीइओ और विभागीय अधिकारियों को सौंपी है। इसमें सुधार के लिए सुझाव भी दिये हैं।