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इंटरनेशनल हैकर गैंग का भंडाफोड़: पटना में बैठकर अमेरिका के लोगों से करते थे ठगी

पटना पुलिस ने अंतरराष्ट्रीय हैकर गिरोह का भंडाफोड़ किया है। ये लोग इमेल हैक कर पैसे वसूलते थे।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Tue, 04 Jul 2017 04:29 PM (IST)Updated: Tue, 04 Jul 2017 08:51 PM (IST)
इंटरनेशनल हैकर गैंग का भंडाफोड़: पटना में बैठकर अमेरिका के लोगों से करते थे ठगी
इंटरनेशनल हैकर गैंग का भंडाफोड़: पटना में बैठकर अमेरिका के लोगों से करते थे ठगी

पटना [जेएनएन]। राजधानी पुलिस की विशेष टीम ने पहली बार दो ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो पटना में बैठकर तकनीक की मदद से अमेरिका के लोगों से ठगी कर रहे थे। इनके निशाने पर भारतीय मूल के प्रवासी और भारत दर्शन पर आने वाले आगंतुक थे। गिरफ्तार जालसाजों की पहचान आशीष गुप्ता, विक्रांत और रवींद्र कुमार गुप्ता के रूप में हुई है।

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मूलरूप से भागलपुर जिले के कहलगांव काजीपुरा का निवासी आशीष पटना के शास्त्री नगर थानान्तर्गत साईं अपार्टमेंट के फ्लैट संख्या 501 में रहता था। वह पाटलिपुत्र थानान्तर्गत चंद्रावती इंक्लेव के तीसरी मंजिल पर 'ऑल वॉयस टेक कम्यूनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड' के नाम पर कॉल सेंटर खोल रखा था।

वहीं एक्जीबिशन रोड में कुमार कॉमर्शियल कांप्लेक्स स्थित डोमेस्टिक एंड इंटरनेशनल कॉल सेंटर का मैनेजर रवींद्र कुमार भागलपुर के कमलीगंज का निवासी है। इसी कार्यालय में कॉलिंग स्टाफ विक्रांत पाटलिपुत्र थाना क्षेत्र के सत्यम अपार्टमेंट के फ्लैट संख्या 102 में रहता था।

वह वैशाली जिले के लालगंज का निवासी है। दोनों कार्यालयों से पुलिस ने 34 मॉनिटर, 35 सीपीयू, तीन लैपटॉप, विभिन्न बैंकों के एटीएम कार्ड, चेकबुक व अन्य उपकरण जब्त किए। रवींद्र और विक्रांत का मालिक मौके से भागने में कामयाब रहा। उसकी तलाश में छापेमारी की जा रही है।

तीन तरीकों से करते थे ठगी
1. ठग दूतावास के अधिकारी बनकर भारतीय मूल के प्रवासियों और भारत घूमने आए लोगों को इंटरनेट के जरिए कॉल करते थे। उनसे कहते थे कि भारत आने-जाने के क्रम में उनके द्वारा देशांतरवास प्रमाणपत्र के फॉर्म (इमीग्रेशन फॉर्म) भरने में त्रुटि की गई थी। इसके लिए जुर्माना देना होगा। वह फर्जी नाम बताकर 600 से 1000 डॉलर तक वसूल लेते थे।

2. आरोपित अमेरिकावासियों को फोन कर पूछते थे कि आपके सिस्टम में किसी तरह की तकनीकी गड़बड़ी आ गई है? आमतौर पर अधिकांश लोगों के कंप्यूटर सिस्टम में किसी न किसी तरह की परेशानी रहती है। जब सामने वाला व्यक्ति अपनी परेशानी बताता तो वह वार्षिक मरम्मत करने के नाम पर 99 से 299 डॉलर तक की उगाही कर लेते थे।

3. मरम्मत के नाम पर वह शिकार के कंप्यूटर का सारा डाटा हैक कर लेते थे और समय-समय पर डाटा रिकवरी के नाम पर ब्लैकमेल करते थे। यूएसए से डॉलर में वसूली की जाती थी। जालसाज 'वेस्टर्न यूनियन' और 'मर्चेंट' मनी ट्रांसफर के माध्यम से डॉलर को रुपयों में मंगाया जाता था।

दो दर्जन से अधिक ठग लगे रहे थे कॉलिंग में
दोनों कॉल सेंटर रात में ही काम करते थे, क्योंकि उस वक्त अमेरिका में दिन होता है। आरोपित 10-15 हजार रुपये मासिक तनख्वाह में दो दर्जन से अधिक फोन करने वाले लोगों को कॉल सेंटर नौकरी दे रही थी। ये लोग इंटरनेट के विभिन्न साफ्टवेयरों के माध्यम से यूएसए के लोगों को कॉल करते थे। कॉल सेंटर में नौकरी के लिए बाकायदा विज्ञापन भी प्रकाशित किया जाता रहा है।

दोनों कॉल सेंटर तीन सालों से संचालित हो रहे हैं। इनके द्वारा अब तक करोड़ों रुपयों की ठगी की जा चुकी है। आशीष ने हाल में एक्सयूवी और 85 लाख रुपये में फ्लैट खरीदा है। आरोपितों की संपत्ति का ब्योरा खंगाला जा रहा है।

वाइटपेज डॉट कॉम से मिलता था डाटा
जालसाजों ने बताया कि वाइटपेज डॉट कॉम पर भारतीय मूल के प्रवासियों और भारत घूमने आए लोगों के नाम, मोबाइल नंबर सहित अन्य जानकारियां उपलब्ध रहती हैं। यहां से वह शिकार को ढूंढते हैं। फिर उन्हें फोन करते हैं।

मैं इमिग्रेसन ऑफिसर बोल रहा हूं...
फोन कर लोगों को देशांतरवास प्रमाणपत्र के फॉर्म में ऐसी छोटी-छोटी गलती बताते थे, जिस पर उनका कभी ध्यान ही नहीं गया हो। मसलन, वो लोगों को कहते - मैं इमिग्रेसन ऑफिसर बोल रहा हूं। आपने फॉर्म में जन्मतिथि भरने में गड़बड़ी कर दी है। तिथि की जगह महीना लिख दिया है। आप पर 600 डॉलर जुर्माना लगाया जा रहा है। जुर्माने की राशि अदा कर दें, वरना आप के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

एनआरआइ ने वाट्सएप पर की थी शिकायत
पिछले सप्ताह एक एनआरआइ ने यूएसए से पुलिस कप्तान मनु महाराज को वाट्सएप पर जानकारी दी कि उसे पांच दिन पहले एक व्यक्ति ने इमीग्रेशन अफसर बनकर कॉल किया था और उनसे फॉर्म भरने के दौरान जन्मतिथि में त्रुटि होने की बात कहकर जुर्माना के रूप में 600 डॉलर ठग लिए।

संयोग से उसे फॉर्म की छायाप्रति मिल गई। उसने जब देखा तो कहीं गलती नहीं मिली। तकनीकी सहायता से उसे मालूम हुआ कि कॉल पटना से की गई थी। पुलिस ने एनआरआइ का नाम नहीं खोला है। शिकायतकर्ता बेतिया का रहने वाला बताया जा रहा है।

नौकरी मांगने के बहाने के गए पुलिस अधिकारी
अपर पुलिस अधीक्षक (मुख्यालय सह अभियान) राकेश कुमार दुबे के नेतृत्व में पिपरा थानाध्यक्ष विकास कुमार और बुद्धा कॉलोनी थाने के दारोगा राजीव कुमार की टीम गठित की गई। कैलिफॉर्निया की एक सॉफ्टवेयर कंपनी के माध्यम से पुलिस ने ऑल वॉयस टेक कम्यूनिकेशन का आइपी एड्रेस ट्रेस किया। इसके बाद विकास और राजीव वहां टेलीकॉलर की नौकरी मांगने के बहाने रेकी करने गए।

तीन दिन तक रेकी करने के बाद सोमवार की रात आशीष के दफ्तर पर धावा बोला। आशीष अपने चैंबर में शराब पीते रंगेहाथ दबोचा गया। कैलिफॉर्निया की कंपनी द्वारा दिए गए विवरण के आधार पर डोमेस्टिक एंड इंटरनेशनल कॉल सेंटर में आधी रात के बाद छापेमारी की गई। इस कॉल सेंटर का संचालक भागने में सफल रहा, लेकिन रवींद्र और विक्रांत पकड़ लिए गए।

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आइटी का दुरुपयोग कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ठगी करने वाले दो गिरोह का भंडाफोड़ किया गया है। एक कॉल सेंटर का सरगना फरार हो गया। उसका नाम और पता पुलिस को मिल गया है। दोनों कॉल सेंटरों के कारनामों के बारे में अधिक जानकारी जुटाई जा रही है।
- मनु महाराज, एसएसपी।

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