अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा दिवस: 16 वर्षों में आठ गुना से अधिक हुई बिजली की खपत, जानें पहले क्या था हाल
राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में 20 घंटे और शहरी क्षेत्रों में 22 से 24 घंटे बिजली मिल रही है। अब तक 1.61 करोड़ घरों में बिजली पहुंच गई है।
By Akshay PandeyEdited By: Published: Sun, 03 May 2020 09:40 AM (IST)Updated: Sun, 03 May 2020 09:40 AM (IST)
मृत्युंजय मानी, पटना। आज अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा दिवस है। राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में 20 घंटे और शहरी क्षेत्रों में 22 से 24 घंटे बिजली मिल रही है। अब तक 1.61 करोड़ घरों में बिजली पहुंच गई है। गर्मी के मौसम में अधिकतम 5891 मेगावाट बिजली खपत हो रही है। बिहार में 16 वर्षों में आठ गुना तथा पटना में ढाई गुना बिजली की खपत बढ़ी है। 2005 अप्रैल में बिहार के लिए सात सौ मेगावाट बिजली उपलब्ध थी, तब 17 लाख उपभोक्ता थे। गर्मी के मौसम में अब पटना में सात सौ मेगावाट बिजली की खपत हो रही है। यानी 16 वर्ष पहले राज्यभर के लिए उपलब्ध बिजली के बराबर अब सिर्फ पटना में खपत हो रही है।
यहां-यहां होती थी खपत
2006 में पटना के लिए तीन सौ मेगावाट बिजली उपलब्ध थी। संरचनाओं में कमी के कारण जमकर लोडशेडिंग होती थी। 2007 में इसमें कमी लाई गई। 2008 में एक हजार मेगावाट उपलब्ध बिजली में 750 नेपाल, रेलवे, डिफेंस, एयरपोर्ट और पटना शहर के लिए आवंटित कर दी गई थी।
अब टोला-टोला पहुंच गई है बिजली
2008 में राज्य के 39015 गांवों में से 27500 गांव तक बिजली पहुंच गई थी। अब तो टोला-टोला बिजली पहुंच गई है। अक्टूबर 2018 में ही बिहार पूर्णरूप से विद्युतीकरण राज्य बन गया। नवंबर 2012 में 12 सौ से 13 सौ मेगावाट बिजली उपलब्ध थी। 2016 में 3789 मेगावाट बिजली की खपत होने लगी। अब पिकलोड 5700 मेगावाट बिजली की खपत हो रही है। ग्रिड की संख्या 34 से बढ़कर 143 पर आ गई है।
हर घर तक पहुंची बिजली, अब खेत तक पहुंचाने की कोशिश
साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड के एमडी संजीवन सिन्हा ने कहा, राज्य में हर घर तक बिजली पहुंच गई है। अब खेत-खेत बिजली पहुंचाने का कार्य चल रहा है। बिजली उपलब्धता की अब कमी नहीं है। लोग बिल जमा कर कंपनी का साथ दें।
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