लोकसभा चुनाव: लालू के गढ़ में यादवों के बीच दिलचस्प होगा मुकाबला, सजने लगी बिसात
राजनीति के लिहाज से हाई प्रोफाइल मधेपुरा सीट कभी राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव का गढ़ हुआ करती थी। लालू यादव यहां से दो-दो बार चुनाव जीत चुके हैं। पर इस बार स्थिति कुछ और है।
पटना [सुनील राज]। राजनीति के लिहाज से हाई प्रोफाइल मधेपुरा सीट कभी राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव का गढ़ हुआ करती थी। लालू यादव यहां से दो-दो बार चुनाव जीत चुके हैं। पर इस चुनाव लालू खुद मैदान में नहीं होंगे। उनकी जगह इस बार उनके पुराने मित्र और पुराने समाजवादी नेता शरद यादव राजद के सिंबल पर मधेपुरा से चुनाव मैदान में होंगे, जबकि उनके सामने होंगे उनके पुराने सिपहसलार राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव। यहां मुकाबला और दिलचस्प होने की संभावना बढ़ गई है, क्योंकि एनडीए गठबंधन ने यहां से दिनेश चंद्र यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है।
मधेपुरा को यादव बेल्ट कहा जाता है। यही वजह रही कि जेपी आंदोलन से निकले शरद यादव ने 90 के दशक में मधेपुरा को अपनी राजनीतिक जमीन बनाया और 1991 के लोकसभा चुनाव में यहां से जीत दर्ज कराने में सफल भी रहे। इसके बाद 1996 में उन्होंने यहां से दोबारा किस्मत आजमाई और फिर सफलता प्राप्त की। 1998 में लालू प्रसाद मधेपुरा से जोर आजमाइश को उतरे। लालू प्रसाद ने जो दांव चला था, उसमें वह सफल हुए और चुनाव जीत भी गए, लेकिन एक साल के बाद ही दोबारा चुनाव हो गए, जिसमें शरद यादव जनता दल यू के टिकट पर यहां से खड़े हुए और जीत गए लेकिन शरद जीत का सिलसिला आगे नहीं बढ़ा सके। 2004 में इस सीट पर एक बार फिर लालू प्रसाद यादव का कब्जा हो गया।
हालांकि लालू ने यहां से इस्तीफा दे दिया था, क्योंकि वह छपरा सीट से भी चुनाव जीते थे। उप चुनाव में यहां से राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव मैदान में उतारे गए और राजद के टिकट पर वह लोकसभा पहुंचने में सफल भी रहे। 2009 के चुनाव में मधेपुरा सीट पर एक बार फिर शरद यादव ने जीत दर्ज कराई। 2014 के चुनाव में राजद प्रत्याशी के रूप में पप्पू यादव से यहां से जीतने में सफल रहे, पर बाद में लालू से अदावत कर पप्पू ने अपनी पार्टी बना ली।
अब एक बार मधेपुरा में चुनावी मैदान सज गया है। बदले राजनीतिक हालातों में इस बार शरद यादव फिर यहां से ताल ठोकने की तैयारी कर चुके हैं। वे राजद के सिंबल पर मधेपुरा से चुनाव लड़ेंगे। यहां उनका मुकाबला राजद के पुराने सिपाही पप्पू यादव से होना है। पप्पू यादव हालांकि मधेपुरा सीट छोडऩे को तैयार थे। उनकी शर्त थी कि उन्हें महागठबंधन में जगह मिले और पूर्णिया या मधेपुरा से चुनाव लडऩे का मौका दिया जाए, पर अब तक उनकी दाल गली नहीं है। जाहिर है ऐसे में शरद और पप्पू का आमने-सामने होना तय है। मधेपुरा में दो यादवों के द्वंद्व में जदयू ने तुरूप के पत्ते के रूप में अपने यादव दिनेश चंद्र को मैदान में उतार दिया है। दिनेश चंद्र यादव पूर्व में खगडिय़ा से सांसद रह चुके हैं। कोसी इलाके के यादवों पर इनकी अच्छी पकड़ है। जाहिर है ऐसे में मधेपुरा का द्वंद्व सबके लिए चर्चा का विषय बन गया है। देखना यह होगा कि तीन यादवों में अंतत जीत का ताज किसके सिर सजता है।