Move to Jagran APP

उद्योगपति का अपहरणः गूगल से तलाशी कुंडली, मजदूर बनकर की रेकी, ईडी अफसर बन किया अपहरण

वैशाली के कुख्यात पप्पू चौधरी ने पूरी तैयारी से रायपुर के उद्योगपति प्रवीण सोमानी का अपहरण किया था। इसके लिए गूगल पर भी उद्योगपतियों की कुंडली खंगाली थी।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Fri, 24 Jan 2020 08:26 AM (IST)Updated: Fri, 24 Jan 2020 08:26 AM (IST)
उद्योगपति का अपहरणः गूगल से तलाशी कुंडली, मजदूर बनकर की रेकी, ईडी अफसर बन किया अपहरण

पटना, जेएनएन। रायपुर के उद्योगपति प्रवीण सोमानी का अपहरण करने से पहले वैशाली के कुख्यात पप्पू चौधरी ने पूरी तैयारी की थी। सूरत जेल में ही उसने तय कर लिया था कि जेल से बाहर निकलने के बाद अपहरण करना है। करीब पांच माह पूर्व जब वह जेल से बाहर आया तो उसने गूगल पर सर्च कर छत्तीसगढ़ के पांच उद्योगपतियों की प्रोफाइल खंगाली। चूंकि रायपुर में उसका एक रिश्तेदार पहले से था, इसलिए उसने सबसे पहले स्टील कारोबारी प्रवीण सोमानी को ही उठाने का फैसला किया।

loksabha election banner

घर से अॉफिस तक हर बात की जुटाई जानकारी

इसके लिए तीन महीने तक पप्पू का रिश्तेदार अरुण दैनिक मजदूर बनकर सोमानी की रेकी की। घर से लेकर ऑफिस तक हर बात की जानकारी जुटाई। पूरी जानकारी मिलने के बाद आठ जनवरी को पप्पू ने ओडिशा, बिहार, उत्तरप्रदेश और कर्नाटक के अपराधियों के साथ ईडी अफसर बनकर प्रवीण का अपहरण कर लिया।

अपहरण का किंगपिन पप्पू चौधरी पहले चंदन सोनार का गुर्गा था। चंदन के साथ मिलकर गुजरात के सोहेल ङ्क्षहगोरा का अपहरण किया था। सूत्रों की मानें तो करोड़ों रुपए लेकर गिरोह ने हिंगोरा को हाजीपुर में रिहा कर दिया था। बाद में पप्पू चौधरी गिरफ्तार हो गया और उसे गुजरात के सूरत जेल भेज दिया गया। इसके बाद वह चंदन सोनार की तरह अपहरण की योजना बनाने लगा।

गौरव नाम से बनवाया था आधार कार्ड

पप्पू मूल रूप से वैशाली के बिदुपुर स्थिम मजलीशपुर पंचायत के गोपालुपर घाट निवासी पप्पू चौधरी एक और नाम गौरव कुमार बताया जा रहा है। उसने अपने आधार कार्ड से लेकर अन्य सभी पहचान से जुड़े कागजात को गौरव नाम से तैयार किया था।

ताड़ी बेचते बेचते कुख्यात बन गया पप्पू

सुहेल ङ्क्षहगोरा अपहरणकांड कांड में पप्पू भी चंदन सोनार के साथ था। पप्पू पहले अपने पिता के साथ ताड़ी बेचता था। ङ्क्षहगोरा अपहरण कांड के बाद पप्पू के हिस्से में भी फिरौती की रकम आई थी। इसके बाद उसने बिदुपुर में आलीशान मकान तैयार कराया। पप्पू के जेल जाने के बाद उसके पिता ने ताड़ी बेचना बंद कर दिया और हाजीपुर महनार रोड पर खुद की सीमेंट, बालू और सरिया की दुकान खोल ली।

गौरव सहित चार अन्य को उठाने पर मिला सुराग

प्रवीण सोमानी को सकुशल मुक्त कराया गया। पुलिस का दावा है कि उन्हें अम्बेडकर नगर और फैजाबाद के बीच कलसी के पास झोपड़ी से मुक्त कराया गया। पुलिस ने दो आरोपित को गिरफ्तार करने की बात कह रही है। सूत्रों की मानें तो रायपुर पुलिस और बिहार एसटीएफ को उद्योगपति का क्लू तब मिला जब उसने गौरव, नालंदा के एक अपराधी और गर्दनीबाग के चंदन सोनार के गुर्गे को उठाया। इनसे पूछताछ के चौबीस घंटे बाद ही उद्योगपति का सुराग मिल गया।

आखिर क्यों गिरफ्तार नहीं हुए अपराधी

उद्योगपति प्रवीण सोमानी की बरामदगी के बाद भी कई सवाल हैं, जिनका जवाब नहीं मिल सका है। अगर उठाए गए संदिग्धों की मदद से उद्योगपति की सूचना मिली तो फिर उनके जरिए गिरोह में शामिल आधा दर्जन अन्य बदमाशों को पुलिस क्यों नहीं गिरफ्तार कर सकी? जिस झोपड़ी में कारोबारी को छिपाने की बात कहीं गई वहां पुलिस ने पहुंच कर घेराबंदी की तो फिर अपहरणकर्ता फरार कैसे हो गए? सूत्रों की मानें तो सोमानी के घर का एक सदस्य भी रायपुर पुलिस के साथ पटना आया था। सोमानी को आजमगढ़ में रखा गया था। बाद में उन्हें अम्बेडकर नगर और फैजाबाद स्थित गांव में छोड़ा गया था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.