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चुनाव में बक्सर के गांव-गांव हेलीकाप्टर उतार सुर्खियों में आए थे ददन, राबड़ी सरकार में बने थे मंत्री

राबड़ी देवी सरकार में मंत्री रहे ददन पहलवान की शनिवार को ईडी ने उनकी 68 लाख रुपये की संपत्ति जब्त की है। 2009 के लोकसभा चुनाव में बक्सर संसदीय क्षेत्र में प्रचार के लिए गांव-गांव में हेलीकाप्टर उतार उन्होंने देशभर में सुर्खियां बटोरी थीं

By Akshay PandeyEdited By: Published: Sun, 19 Sep 2021 05:03 PM (IST)Updated: Sun, 19 Sep 2021 05:03 PM (IST)
पूर्व मंत्री ददन सिंह उर्फ ददन पहलवान। जागरण आर्काइव।

संवाद सहयोगी, डुमरांव (बक्सर) : डुमरांव के विधायक रहे ददन सिंह उर्फ ददन पहलवान पर आय से अधिक संपत्ति के मामले में इंफोर्समेंट डायक्टरेट की कार्रवाई की बुनियाद पिछले साल चुनाव से पहले ही पड़ चुकी थी। विधानसभा चुनाव से पहले ईडी ने उनकी अचल संपत्ति की खरीद-बिक्री पर रोक लगा दी थी। 2009 के लोकसभा चुनाव में बक्सर संसदीय क्षेत्र में प्रचार के लिए गांव-गांव में हेलीकाप्टर उतार उन्होंने देशभर में सुर्खियां बटोरीं। शनिवार को ईडी ने उनकी 68 लाख रुपये की संपत्ति जब्त की है। कार्रवाई पर ददन ने अपनी ओर से कोई सफाई नहीं दी है। एक समर्थक ने बताया कि वे अभी दिल्ली में हैं। 

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2010 के विधानसभा चुनाव में भी ददन पहलवान ने हेलीकाप्टर की खूब सवारी की। उनका हवाई जहाज प्रेम उस समय भी जग जाहिर हुआ जब मार्च 2019 में छोटे बेटे निर्भय की शादी में दुल्हन लाने के लिए उड़न-खटोले से गाजीपुर के मटखन्ना गांव गए। कहा जाता है कि ददन पहलवान को ईडी के घेरे में लाने में यह हेलीकाप्टर शौक भी सहायक बना। 2015 के विधानसभा चुनाव में जदयू के टिकट पर विधायक चुने गए ददन पहलवान की सत्ता से दूरी उसी समय से उजागर होने लगी, जब उन्हीं के क्षेत्र में नंदन गांव में मुख्यमंत्री के एक कार्यक्रम के दौरान हंगामा हुआ। घटना में ददन की भूमिका की भी खूब चर्चा हुई। इसके बाद विधानसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया और डुमरांव से निर्दलीय चुनाव लड़े। 

ददन पहलवान का सियासी सफर

पहलवानी के अखाड़े से सियासत के पहलवान बने ददन शिक्षक की नौकरी छोड़ साल 1995 में डुमरांव से निर्दलीय चुनाव लड़े। हालांकि वो हार गए। इसके बाद साल 2000 में ददन पहलवान ने फिर किस्मत आजमाई और चुनाव जीतकर लालू प्रसाद के करीबी बन गए। राबड़ी देवी के राज में वे वित्त वाणिज्य कर राज्य मंत्री बने। 2010 में जदयू के डा. दाउद अली ने उन्हें हराया। इसके बाद 2015 में उन्हें मौका दिया और वे विधायक बने। पिछले साल विधानसभा चुनाव में वे निर्दलीय चुनाव लड़े और 10 हजार से भी कम वोट हासिल कर पाए। 


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