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देश का दो हजार साल पुराना इतिहास देखना है तो पटना विश्वविद्यालय आइए

अगर आपको देश का दो हजार साल पुराना इतिहास देखना, जानना हो तो पटना विश्विविद्यालय के शताब्दी वर्ष प्रदर्शनी में भाग लेने आइए। इसका उद्घाटन बिहार के राज्यपाल करेंगे।

By Kajal KumariEdited By: Published: Fri, 08 Dec 2017 10:41 AM (IST)Updated: Fri, 08 Dec 2017 09:07 PM (IST)
देश का दो हजार साल पुराना इतिहास देखना है तो पटना विश्वविद्यालय आइए
देश का दो हजार साल पुराना इतिहास देखना है तो पटना विश्वविद्यालय आइए

पटना [जेएनएन]। देश का दो हजार साल पुराना इतिहास देखना है तो पटना विश्वविद्यालय के सेंट्रल लाइब्ररी आइए। यहां विवि शताब्दी वर्ष प्रदर्शनी का शुक्रवार को उद्घाटन राज्यपाल सह कुलाधिपति सत्यपाल मलिक करेंगे।

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प्रदर्शनी में दुर्लभ और ऐतिहासिक पांडुलिपियां, एक से डेढ़ हजार साल पुराने सिक्के, मूर्तियां, अंग्रेजी शासन काल के गजट, पेंटिंग आदि हैं। प्रदर्शनी में चार सौ साल पुरानी लैला-मजनू की पांडुलिपि विशेष आकर्षण का केंद्र है। फारसी में लिखी इस प्रेम कहानी को समझने के चित्रों का भी सहारा लिया गया है।

पटना विवि के डीन (स्टूडेंट वेलफेयर) प्रो. एनके झा ने बताया कि प्रदर्शनी 15 दिसंबर तक रहेगी। आमजन को सुबह 9:00 से शाम 7:00 बजे तक अपने आधार कार्ड तथा फोटोयुक्त पहचान पत्र दिखाने पर प्रवेश मिलेगा। इसमें विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों और कॉलेजों में संग्रहित बहुमूल्य एवं ऐतिहासिक धरोहर प्रदर्शित किए जाएंगे।  

व्हीलर सीनेट हॉल में मुख्य कार्यक्रम

कुलाधिपति लाइब्रेरी में प्रदर्शनी का शुभारंभ करने के बाद व्हीलर सीनेट हॉल में आयोजित मुख्य कार्यक्रम में शामिल होंगे। वहां पटना विश्वविद्यालय के इतिहास पर लिखी गई पुस्तक और डाक विभाग द्वारा विशेष पोस्टल कवर का  विमोचन राज्यपाल करेंगे। हिस्ट्री ऑफ पटना यूनिवर्सिटी में विश्वविद्यालय के स्थापना काल से 1917 तक की प्रमुख घटनाओं को समाहित किया गया है। 

400 साल पुरानी लैला-मजनू की पांडुलिपि

प्रदर्शनी में मुख्य आकर्षण का केंद्र 17वीं शताब्दी में लिखी गई लैला-मजनू की पांडुलिपि है। फारसी में लिखी पूरी प्रेम कहानी को समझने के चित्रों का भी सहारा लिया गया है। पांडुलिपि के दर्जनों पन्ने प्रदर्शनी में लगाए गए हैं। पटना सेंट्रल लाइब्रेरी में चार हजार पांडुलिपियां मौजूद हैं।

इसके साथ-साथ 14वीं सदी की 'सरोज कालिका और 'मालती-माधव, 15वीं सदी की 'तोलीनामा और 'रिसाला सिफत जरूरिया, 16वीं सदी की 'जहांगीरनामा और 'खतमाये फरहांशे जहांगीरी तथा 17वीं सदी की 'मसनवी सीन खुसरो की दुलर्भ पांडुलिपि देखने का भी अवसर मिलेगा। 

1862 से आजादी तक के गजट

पटना कॉलेज की स्थापना से लेकर पटना विश्वविद्यालय के अंग्रेजी काल में हुए विकास की पूरी कहानी गजट बयान कर  रही है। कंप्यूटर रूम में अभिलेख भवन से पटना विश्वविद्यालय से जुड़े 21 गजट प्रदर्शनी में लगाए गए हैं। 1842 में पटना कॉलेज की स्थापना, पटना विश्वविद्यालय की स्थापना, पटना मेडिकल कॉलेज, पटना लॉ कॉलेज, बीएन कॉलेज सहित 100 साल पुराने कई कॉलेजों के गजट प्रदर्शनी में लगाए गए हैं। 

दिखेगा सूबे का गौरवपूर्ण इतिहास

विश्वविद्यालय के पुरातत्व विभाग में संग्रहित विक्रमशिला, मौर्य काल के सिक्के, मूर्तियां और पांच सौ साल पुरानी अरबी शिक्षण संस्थानों के साक्ष्य दिखेगा। इनकी महत्ता बताने के लिए विशेषज्ञ मौजूद रहेंगे। प्राचीन मूतियों को कलर फोटो भूतल पर प्रदर्शित किए गए हैं। 


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