Heritage Ignored: पीएमसीएच में लकड़ी का फ्रिज व लोहे का कंसंट्रेटर, 1925 की तिजोरी में बंद हैं राज
विरासत की अनदेखी पीएमसीएच में स्क्रैप बेचने के निर्देश के क्रम में सामने आ रहे ऐतिहासिक उपकरण। लकड़ी का रेफ्रिजरेटर 1867 का ताला और 1925 की तिजोरी ही अबतक संज्ञान में। प्राचार्य ने विभागाध्यक्षों से मांगी हेरिटेज सामान की सूची बेचा जा चुका 19 लाख का कबाड़
पटना, जागरण संवाददाता। खून सुरक्षित रखने के लिए लकड़ी का रेफ्रिजरेटर, गंभीर रोगियों को आक्सीजन देने के लिए लोहे का कंसेट्रेटर, अंग्रेजों के जमाने का माइक्रोस्कोप व तिजोरी और 1867 में बने ताले को पीएमसीएच (PMCH) प्रशासन ने कबाड़ में बेचने की तैयारी कर ली थी। ऐसे ऐतिहासिक सामान को अलग किए बिना 19 लाख का कबाड़ बेचा भी जा चुका है। उपरोक्त सामान भी कबाड़ में बिक जाता पर समाजसेवी गुडडू बाबा के पत्र ने ऐसा नहीं होने दिया। उन्होंने इन ऐतिहासिक सामानों (Heritage) को संरक्षित करने के लिए पीएमसीएच व अन्य संबंधित अधिकारियों को चिट्ठी लिख दी। इस पत्र के आलोक में प्राचार्य ने सभी विभागाध्यक्षों को निर्देश जारी किया है। इसमें कहा गया है कि शेष सामान को कबाड़ में बेचने के पूर्व ऐतिहासिक सामान के बारे में कार्यालय को जानकारी दें।
देखने लायक है प्राचीन चिकित्सकीय उपकरण
1925 में स्थापित पीएमसीएच में कई ऐसे प्राचीन उपकरण हैं जो चिकित्सा के इतिहास के अध्ययन की बुनियादी सामग्री साबित हो सकते हैं। उस समय जब मेडिकल आक्सीजन प्लांट नहीं होते थे, उस समय हवा से आक्सीजन बनाने वाला आक्सीजन कंसेट्रेटर, शुरुआती दौर का माइक्रोस्कोप, यह देखकर वर्तमान उपकरण खास हैं। प्राचार्य अब अंग्रेजों के जमाने के मेडिकल उपकरण को धरोहर के रूप में संरक्षित करने की बात कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग से मिले पत्र के आलोक में प्राचार्य डा. विद्यापति चौधरी ने मंगलवार को सभी विभागाध्यक्षों को पत्र जारी किया है।
अब तक मिले महत्वपूर्ण ऐतिहासिक सामान
लकड़ी का फ्रिज : पीएमसीएच स्थित देश के दूसरे सबसे पुराने ब्लड बैंक में रखा है लकड़ी का रेफ्रिजरेटर। इसमें उस समय खून सुरक्षित रखा जाता था।
1925 का माइक्रोस्कोप : ईएनटी विभाग में यह पुराना माइक्रोस्कोप मौजूद है।
लोहे का आक्सीजन कंसेट्रेटर : अस्पतालों में आपातकाल के लिए आक्सीजन कंसेट्रेटर रखे जाते थे। यहां लोहे का एक कंसेट्रेटर अब भी रखा है।
प्राचार्य कक्ष की तिजोरी : प्रिंस आफ वेल्स के नाम से 1925 में स्थापित आज के पीएमसीएच के प्राचार्य कक्ष में आज भी वह तिजोरी मौजूद है। हालांकि, चाबी गुम होने से आजतक इसे खोला नहीं जा सका। अभी तक कोई इसकी चाबी नहीं बना सका।
1867 का बना ताला : पीएमसीएच की स्थापना भले ही 1925 में हुई है लेकिन यहां एक ताला मिला है जो कि 1867 का बना हुआ है।