टीबी उन्मूलन को धार देंगे हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर
नए रोगियों की पहचान पुष्टि जांच दवा फालोअप के साथ पोषण के लिए राशि मुहैया कराने से लेकर पोर्टल पर डाटा अपलोड करने तक की जिम्मेदारी कम्युनिटी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के स्तर से की जानी हैं। इसमें एनटीईपी और एनएचएम के जिला कार्यक्रम समन्वयक मिलकर कार्य करेंगे। इसमें बच्चों व समाज के हर वर्ग को बचाव-उपचार समेत तमाम जानकारी देकर टीबी के प्रति लोगों के भ्रांतियों को दूर करने के लिए कार्यक्रम चलाना भी इन्हीं की जिम्मेदारी होगी।
पटना। देश और दुनिया में मौत के चौथे सबसे बड़े कारण यक्ष्मा यानी ट्यूबरक्यूलोसिस (टीबी) के उन्मूलन में नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) और नेशनल ट्यूबरक्यूलोसिस इलिमिनेशन प्रोग्राम (एनटीईपी) के जिला प्रोग्राम समन्वयकों के बीच तालमेल बेहतर करने के लिए शुक्रवार को राज्य स्वास्थ्य समिति में एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें नए रोगियों की पहचान, पुष्टि जांच, दवा, फालोअप के साथ पोषण के लिए राशि मुहैया कराने से लेकर पोर्टल पर डाटा अपलोड करने तक की जिम्मेदारी कम्युनिटी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के स्तर से की जानी हैं। इसमें एनटीईपी और एनएचएम के जिला कार्यक्रम समन्वयक मिलकर कार्य करेंगे। इसमें बच्चों व समाज के हर वर्ग को बचाव-उपचार समेत तमाम जानकारी देकर टीबी के प्रति लोगों के भ्रांतियों को दूर करने के लिए कार्यक्रम चलाना भी इन्हीं की जिम्मेदारी होगी।
बताते चलें कि प्रदेश में 1000 हजार कम्युनिटी हेल्थ अफसर टीबी उन्मूलन के लिए नियुक्त किए गए हैं।
उन्मुखीकरण कार्यक्रम में राज्य स्वास्य समिति के एडीशनल एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर केशवेंद्र कुमार, टीबी के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डा. बीके मिश्र, आयुष्मान भारत के एसपीओ डा. एके शाही, एनटीईपी के प्रशिक्षक, मानीटर व इवैल्यूएशन प्रभारी टीबीडीसी के डा. रविशंकर, विश्व स्वास्थ्य संगठन समेत कई संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद थे। बताते चलें कि प्रधानमंत्री ने 2025 तक देश से टीबी को खत्म करने का अभियान शुरू किया है। 2020 में इसके लिए नेशनल ट्यूबरक्यूलोसिस इलिमिनेशन प्रोग्राम (एनटीईपी) शुरू किया। जन-जन को टीबी से बचाव और समय पर पूरे उपचार के लिए जागरूक करने के लिए नेशनल हेल्थ मिशन को भी इससे जोड़ा गया है।
केशवेंद्र कुमार ने कहा कि टीबी उन्मूलन में लगे सभी कार्यक्रमों के अधिकारी आपस में बेहतर तालमेल स्थापित कर ही लक्ष्य को जल्द प्राप्त कर सकते हैं। आपस में समन्वय कर यह सुनिश्चित किया जाए कि हर जिले के सभी यक्ष्मा रोगियों को न केवल दवा उपलब्ध कराई जाए बल्कि उनके घर जा-जाकर यह सुनिश्चित किया जाए कि वे पूरी दवा ले रहे हैं कि नहीं।
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हाईलाइटर :
- दुनिया की एक चौथाई आबादी टीबी से ग्रसित
- 40 प्रतिशत आबादी देश की माइक्रोबैक्टीरियल ट्यूबरक्यूलोसिस से पीड़ित।
- 1 लाख 36 हजार 293 नए रोगी मिले, इसमें से 1 लाख 29 हजार 578 का ही शुरू हुआ उपचार
- 22 हजार 371 रोगियों को ही निक्षय योजना समेत कार्यक्रम के सभी लाभ मिले
- 1 करोड़ नए टीबी रोगी मिल रहे दुनिया में, इनमें से 27 लाख भारतीय
- 90 प्रतिशत टीबी रोगियों में मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण नहीं प्रकट होते कोई लक्षण
- 80 से 90 प्रतिशत को फेफड़े शेष 10 प्रतिशत को ही लिफ नोड, आंत, हड्डी आदि अंगों में होता रोग
- मलेरिया और एचआइवी से ज्यादा मौतें होती हैं टीबी से