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आधी-अधूरी सड़कें और जुगाड़ गाड़ी ले रही जान

अभियान--सड़क सुरक्षित यातायात सप्ताह --------------- -ओवर स्पीड से निपटने के लिए यातायात पुलिस के पास यंत्र नहीं -ट्रैफिक लाइट की गणित में कहीं राहगीर उलझ रहे तो कहीं खराब वाहन हादसों के लिए जिम्मेदार -पटना में 11 ब्लैक स्पॉट जहां पिछले तीन वर्षो में हुई सबसे अधिक दुर्घटनाएं ---------- जागरण संवाददाता पटना

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 06:00 AM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 06:00 AM (IST)
आधी-अधूरी सड़कें और जुगाड़ गाड़ी ले रही जान

पटना । बिहार में शराबबंदी के बाद सड़क दुर्घटनाओं में कमी जरूर आई है, लेकिन सड़कें आज भी लाल हो रहीं। कहीं ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रहीं तो कहीं तेज रफ्तार जान ले रही है। ट्रैफिक लाइट की गणित में लोग उलझ रहे तो खराब वाहन भी दुर्घटना का कारण बन रहे। आधी-अधूरी सड़कें और जुगाड़ गाड़ी जानें ले रही हैं। हेलमेट, सीट बेल्ट, इंश्योरेंस पेपर नहीं होने पर ट्रैफिक पुलिस चालान काटने से नहीं चूकती, पर वाहनों की रफ्तार से निपटने में वह जीरो है।

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पार्किंग के विशेष इंतजाम नहीं

पटना शहर में बोरिग कैनाल रोड छोड़कर कहीं भी पार्किंग के विशेष इंतजाम नहीं किए गए हैं। अशोक राजपथ, बोरिग रोड, फ्रेजर रोड, जक्कनपुर, कंकड़बाग, पत्रकारनगर, कुर्जी मोड़ सहित ऐसे तीन दर्जन से अधिक जगहों पर बड़े मॉल, अस्पताल, मार्केट से लेकर कांप्लेक्स बने हैं, जिनमें पार्किंग नहीं है। लोग सड़क पर गाड़ियां खड़ी कर रहे हैं। तीन साल पूर्व बोरिग रोड पर सड़क पर ही सफेद पट्टी पेंट कर पार्किंग स्थल बना दिया, जो कुछ माह में ही ध्वस्त हो गया। यही हाल अन्य सड़कों का भी है। शहर में कहीं नाला निर्माण, कहीं बीच सड़क पर टेलीकॉम कंपनी के वायर तो कहीं बालू और गिट्टी के ढेर लगे हैं। इससे भी हादसे हो रहे हैं।

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फिटनेस फेल और जुगाड़ गाड़ी

शहर से लेकर हाईवे पर वाहनों के प्रदूषण पेपर की जांच जरूर होती है, लेकिन जर्जर गाड़ियां दौड़ रही हैं। इनकी फिटनेस कोई चेक नहीं करता। यहां तक की बेली रोड से लेकर अशोक राजपथ पर पुलिस के सामने से ही जुगाड़ गाड़ी दौड़ लगाती हैं। बिना लाइट के ट्रैक्टर की स्पीड देखकर लोग सहम जाते हैं।

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स्पीड मीटर यंत्र का नहीं होता इस्तेमाल :

नेशनल और स्टेट हाईवे पर 100 किमी प्रति घंटा की स्पीड से गाड़ियां चल रही हैं पर ट्रैफिक पुलिस के पास स्पीड मापक यंत्र नहीं है। यहां तक की शहर बेली रोड, अशोक राजपथ सहित एक दर्जन इलाकों में तय मानक को वाहन चालक हर मिनट रौंद रहे है। तय स्पीड के मानक के अंक मिट चुके हैं तो कहीं बोर्ड ही गायब है।

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सड़कों में खामियां ले रहीं जानें

न्यू बाईपास और अनीसाबाद गोलंबर के पास सबसे अधिक दुर्घटनाएं होती हैं। पिछले एक साल में दो दर्जन से अधिक दुर्घटनाएं हो चुकी हैं और 20 से अधिक लोगों की मौत भी हो चुकी है। ट्रैफिक पुलिस की मानें तो यहां एक ही लेन पर भारी और हल्के वाहन दौड़ रहे हैं। अनियमित ढंग से कट बनाना। यहां तक कि रात में साइन बोर्ड तक नहीं दिखता। यही हाल शहरी क्षेत्र का है। एसकेपुरी में नाला खोद कर छोड़ दिया गया। बाइक सवार नाले में गिर गया। बेली रोड पर सड़क सड़क निर्माण के दौरान स्लैब के नीचे दबने से दो मासूमों की मौत हो गई।

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फॉग लाइट चेकिंग की व्यवस्था नहीं

ठंड का मौसम शुरू हो चुका है। रात में कोहरे का असर से दुर्घटना की संभावना बढ़ गई है। शहर के अधिकांश बस, ट्रक और ऑटो में बैक लाइट तक नहीं है।

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इन इलाकों में अधिक दुर्घटनाएं

वर्ष स्थान घायल मौत

2017-19 जगनपुरा मोड़ न्यू बाईपास 23 10

2017-19 अनीसाबाद गोलंबर के पास 29 05

2017-19 मीठापुर बस स्टैंड के पास 25 09

2017-19 राजाबाजार ओवरब्रिज 17 06

2017-19 न्यू बाईपास खेमनीचक 30 14

2017-19 एलसीटी घाट के पास 18 04

2017-19 ईको पार्क के पास 07 07

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शहर के ब्लैक स्पॉट

-जगनपुरा मोड़ न्यू बाईपास, अनीसाबाद गोलंबर, मीठापुर बस स्टैंड, राजाबाजार ओवरब्रिज, न्यूबाईपास खेमनीचक, एलसीटी घाट, इको पार्क के पास, नंदलाल छपरा, गांधी सेतु पिलर नंबर 46, शीतला मंदिर आरओबी, कुम्हरार गुमटी

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हादसों के कारण

-चालकों की लापरवाही, नशे में वाहन चलाना, वाहन चलाते समय मोबाइल का प्रयोग,सड़कों की खराब स्थिति, वाहनों में खराबी, ओवरटेक करना, यातायात नियमों की अनदेखी, डेंजर प्वाइंट पर साइन बोर्ड न होना, हाईवे या मेन सड़क पर बने अनियमित कट, बिना प्रशिक्षण के तैनात ट्रैफिक जवान, पुल और बड़े नालों के पास रेलिंग न होना,बिना हेलमेट व कम उम्र के बच्चों के हाथ में वाहन

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कोट----

मेरी टीम में एनसीसी कैडेट हैं, जो सड़क सुरक्षा परिषद के निर्देशानुसार काम करती है। हादसों को रोकने के लिए ब्लैक स्पॉट को सिर्फ चिह्नित नहीं, बल्कि कमी को पता करना और बचाव के इंतजाम भी होना चाहिए। कई ऐसे मार्ग हैं, जहां एक ही लेन पर भारी और सामान्य वाहनों का परिचालन होता है। ऐसे में वहां दुर्घटना की संभावना बनी रहती है। ठंड में सड़क पर लाइट, रेडियम के साथ ही वाहनों की फिटनेस और फॉग लाइट पर ध्यान देना जरूरी है।

धीरज, राज्य मुख्य समन्वयक, कम्युनिटी ट्रैफिक पुलिस


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