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सदानंद समेत इन कांग्रेस MLA को मिल जाए मौका तो लड़ेंगे लोकसभा चुनाव,जानिए

मौका मिले तो कांग्रेस के छह विधायक लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। इनमें से सबसे पहला नाम सदानंद सिंह का आ रहा है जिन्होंने हाल ही में राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Tue, 09 Oct 2018 10:21 AM (IST)Updated: Tue, 09 Oct 2018 11:52 PM (IST)
सदानंद समेत इन कांग्रेस MLA को मिल जाए मौका तो लड़ेंगे लोकसभा चुनाव,जानिए

पटना [अरुण अशेष]। कांग्रेेस के बड़े नेता सदानंद सिंह की चुनावी राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा पर गौर कीजिए। वर्ष के तौर पर 2020 दर्ज है। उससे पहले एक चुनाव 2019 में है। अवसर मिले तो लोकसभा चुनाव लडऩे से उन्हें परहेज नहीं है। यह दीगर सवाल है कि भागलपुर उनकी पसंदीदा सीट है। इस पर राजद काबिज है। पसंद की दूसरी सीट नालंदा हो सकती है।

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2014 के लोकसभा चुनाव में यह कांग्रेस के कोटे में थी। कांग्रेस ने आशीष रंजन सिन्हा का राजद से आयात किया था। बहरहाल, सदानंद सिंह अपनी पसंद का खुल कर इजहार नहीं कर रहे हैं। लेकिन, लडऩे का अवसर मिले तो छोडऩे वाले भी नहीं हैं। सिंह कहते हैं-अभी समय है।

सदानंद सिंह की तरह कांग्रेस के आधे दर्जन से अधिक विधायक लोकसभा में जाने के बारे में गंभीरता से विचार कर रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष डा. अशोक कुमार पिछली बार मामूली वोटों के अंतर से चुनाव हार गए थे। विधायक बनने के बावजूद समस्तीपुर लोकसभा सीट से हार की पीड़ा उन्हें अब भी सता रही है। जाहिर है, वह इस बार भी चुनाव लड़ेंगे।

तय नहीं है कि महागठबंधन में कांग्रेस को लोकसभा की कितनी सीटें मिलेंगी। उम्मीदवारों की सेहत पर इसका असर नहीं है। विधायक डा. शकील अहमद खान कटिहार के मौजूदा सांसद तारिक अनवर से दो-दो हाथ करने की तैयारी पहले से कर रहे हैं। समीकरण बदला है। तारिक के बारे में बताया जा रहा है कि वह कांग्रेस में शामिल होंगे। जब होंगे, तब होंगे, फिलहाल तो खान पूरी मुस्तैदी से क्षेत्र में डटे हुए हैं।

विधायक मो. जावेद इंतजार कर रहे हैं कि उनकी पार्टी भी अधिक बुजुर्ग सांसदों को घर बैठने की सलाह दे दे। ऐसा हुआ तो किशनगंज पर उनकी स्वाभाविक दावेदारी होगी। किशनगंज के सांसद मौलाना असरारूल हक बुजुर्ग हैं। अगले साल उनकी उम्र 77 वर्ष होगी। 

पूर्व मंत्री अवधेश कुमार सिंह दो लोकसभा क्षेत्र में अपने लिए जमीन खोज रहे हैं। औरंगाबाद और काराकाट। औरंगाबाद की सीट छोटे साहब और उनके परिजनों के लिए लंबे समय से आरक्षित है। पिछली बार निखिल कुमार हार गए थे। उम्र के लिहाज से वे मो. असरारूल हक से साल भर बड़े हैं। फिर भी यही माना जाता है कि कांग्रेस औरंगाबाद में निखिल कुमार की सिफारिश का सम्मान करेगी।

अवधेश सिंह विकल्प के रूप में काराकाट को रखे हुए हैं। काराकाट की तीन विधानसभा सीटें-नवीनगर, गोह और ओबरा औरंगाबाद जिले में हैं। सिंह 2009 में काराकाट से कांग्रेस उम्मीदवार थे।

रीगा के कांग्रेस विधायक अमित कुमार टुन्ना शिवहर के लिए लॉबिंग कर रहे हैं। लंबे समय तक शिवहर को राजपूत बहुल क्षेत्र माना जाता रहा है। अगले चुनाव में यहां से रामकिशोर सिंह भी अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। रामाकिशोर वैशाली से लोजपा के सांसद हैं।उनके महागठबंधन में शामिल होने की संभावना है।

खबर यह भी है कि इनमें से कुछ दावेदार वैकल्पिक उपाय में भी लगे हुए हैं। मतलब कांग्रेस नहीं तो कोई और दल सही। विधायक बंटी चौधरी जमुई के लिए प्रयासरत हैं।


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