साथी के हाथ में ही रह गई एके-47, मिलता मौका तो बच सकती थी जान
हत्या और रंगदारी मांगने के आरोपित उज्ज्वल को दबोचने गई पुलिस भले नाकामियाब रही पर शहीद मुकेश साथी ने उसे बचाने की पूरी कोशिश की। अगर उसे मौका मिलता तो शायद शहीद जिंदा होता।
पटना, जेएनएन। हत्या और रंगदारी मांगने के आरोपित उज्ज्वल को दबोचने के क्रम में शहीद हुए जवान मुकेश कुमार के साथी के हाथ में एके-47 रखी रह गई और अपराधियों की गोली ने उसकी जान ले ली। मुकेश ने बहादुरी का परिचय दिया। उसने पेट में एक गोली लगने के बाद भी उज्ज्वल को नहीं छोड़ा। अगर मुकेश के साथ रहे पुलिस जवान को भी गोली चलाने का मौका मिल जाता तो उसकी जान बच सकती थी।
पुलिस ने बच-बचकर की फायरिंग
वहीं, एसएसपी मनु महाराज ने पुलिस की तरफ से भी फायर किए जाने का दावा किया है। उनका कहना है कि सड़क पर भीड़ के कारण पुलिस ने बच-बचाकर गोली चलाई। सूत्रों की मानें तो घटनास्थल से अपराधियों की पिस्टल के चार खोखे बरामद हुए, जो 7.65 बोर के हैं। तीन खोखे एसएसपी ने बरामद किए, जबकि एक खोखा एसटीएफ की टीम को गिरा मिला था। पुलिस की ओर से चली गोलियों के खोखे बरामद नहीं हुए। घटनास्थल के आसपास मौजूद लोगों के मुताबिक, छह-सात राउंड गोली चलने की आवाजें सुनाई दी थीं।
पहले से सचेत था उज्ज्वल
विश्वस्त सूत्रों की मानें तो एक मामले में पुलिस ने परसा बाजार निवासी पंडित को हिरासत में लिया था। पुलिस के कहने पर पंडित ने उज्ज्वल को कॉल कर जगनपुरा मोड़ पर मिलने के लिए बुलाया था। दो दिन से पंडित से उसकी कोई बात नहीं हुई थी, इसलिए उज्ज्वल सचेत हो गया था। क्यूआरटी टीम में रहा मुकेश बाइक से आगे बढ़ गया, जबकि दूसरे पुलिसकर्मी काले शीशे वाली स्कॉर्पियो से आ रहे थे। स्कॉर्पियो में पंडित भी था। यह गाड़ी जाम में फंस गई और मुकेश बाइक से स्कूल के पास पहुंच गया। स्कॉर्पियो सवार पुलिसकर्मी एके-47 से लैस थे।
पीड़ के कारण नहीं पकड़ सकी पुलिस
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, उज्ज्वल ने जगनपुरा मोड़ से पंडित को कॉल की। मोड़ पर काफी भीड़ थी, इसलिए उसने पकड़ पाना पुलिस के लिए मुश्किल होता। पुलिस के कहने पर पंडित ने उज्ज्वल को स्कूल की तरफ बुलाया। मुकेश मौके की तलाश में थे। जैसे ही उज्ज्वल सब-वे के मुहाने पर पहुंचा, वैसे ही मुकेश ने उसे दबोच लिया। इसके बाद उनके बीच हाथापाई शुरू हो गई। मुकेश को पता नहीं था कि उज्ज्वल के साथ एक बदमाश और है। वह पल्सर 220 बाइक से था। उसने आर्मी के रंग का जैकेट पहन रखा था। वह बाइक से तेज रफ्तार में आया और गोलियां तड़तड़ाने लगा। मुकेश को दो गोलियां दागने के बाद वह उज्ज्वल को लेकर फरार हो गया।
घटना के बाद पहुंचे दूसरे पुलिसकर्मी
जाम में फंसे रहने के कारण एके-47 जवानों से लैस स्कॉर्पियो काफी देर से पहुंची। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि महज 30 सेकेंड में वारदात को अंजाम देकर अपराधी फरार हो गए। बताया जाता है कि मुकेश के साथ एक और जवान था, लेकिन पुलिस अधिकारियों ने साथ रहे जवान के नाम का खुलासा नहीं किया। इस कार्रवाई की पटना पुलिस ने पूरी तैयारी नहीं की थी। स्थानीय थाने को भी विशेष सेल की कार्रवाई के बारे में जानकारी नहीं थी।
एसएसपी बोले, गई थी सात पुलिसकर्मियों की टीम
जवान मुकेश कुमार के शहीद होने पर एसएसपी ने उन्हें बहादुर बताया। कहा कि, मुकेश ने बहादुरी का काम किया है। कायर अपराधियों ने पीछे से गर्दन में गोली मारी। दो पदाधिकारी समेत सात पुलिसकर्मी गए थे। पुलिस ने बच-बचाकर फायङ्क्षरग की, ताकि आमजनता को गोली ना लग जाए। एक बदमाश को पकड़ लिया गया है। बड़ा सवाल है कि वे कौन पुलिसकर्मी थे, जिनकी एक भी गोली उज्जवल या उसके साथी को नहीं लगी। क्या इन पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण में दोष है या लापरवाही बरती गई। बहरहाल, मुकेश की शहादत पर अस्पताल में आए सभी पुलिसकर्मियों की आंखें नम थीं। उन्होंने डेढ़ साल पहले पटना पुलिस में योगदान दिया था। इससे पूर्व वह एसटीएफ की चीता इकाई में थे। शहादत की खबर पाकर एसटीएफ के पुलिसकर्मी भी छानबीन करने पहुंचे।