पान मसाला-सिगरेट के धंधे में करोड़ों में जीएसटी चोरी
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में पान मसाला और सिगरेट कारोबारियों ने सुराख कर ही दिया।
पटना । वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में पान मसाला और सिगरेट कारोबारियों ने सुराख कर ही दिया। सुराख का सूत्रधार बना 50 हजार रुपये तक के माल के लिए ई-वे बिल में छूट। मकसद छोटे कारोबारियों को राहत देने का था लेकिन पान मसाला, जर्दा और सिगरेट कारोबारी टैक्स की चोरी के साथ जीएसटी रिफंड के भी दावेदार बनने लगे हैं। एक ही ई-वे बिल पर महीने भर में कई बार माल बिहार के बाजार में पहुंच रहा है।
वाणिज्यकर विभाग को ऐसे साक्ष्य मिले हैं कि कानपुर स्थित पान मसाला कंपनी और पटना के थोक कारोबारी के बीच सांठगांठ से एक ई-वे बिल पर कई बार आपूर्ति होती है। ई-वे बिल की मियाद एक माह तक होने का फायदा कारोबारी करोड़ों में फायदा उठा रहे हैं। एक करोड़ के माल पर अवैध धंधे से 80 लाख रुपये की ठोस कमाई होती है। पटना में औसत 100 बोरा से अधिक पान मसाला की खपत है। आने के बाद ही गोदाम में रखने की जरूरत नहीं होती है। वितरक एक-एक बोरा माल परचुनियां वेंडर को गली-गली पहुंचाने के लिए दे देते हैं। इसी तरह सिगरेट का कारोबार हो रहा है। फैक्ट्री से माल बाजार में जाते समय ई-वे बिल पर जीएसटी लागू करता है। एक ई-वे बिल पर एक से अधिक बार जितना माल आपूर्ति होती है वह शुद्ध 80 प्रतिशत मुनाफा देता है।
: टैक्स चोरी की पराकाष्ठा :
एक ई-वे बिल पर एक से अधिक बार माल आपूर्ति और बिना कागजात बिक्री से टैक्स चोरी से आगे की बात है कि कारोबारी माल को डैमेज दिखाकर जीएसटी रिफंड भी हासिल करते हैं। खासकर पटना के करबिगहिया इलाके में एक सिगरेट कारोबारी इस खेल में शामिल है। पान मसाला, जर्दा और सिगरेट को मौसम अथवा अन्य कारण से खराब दिखाने में कंपनी के कर्मी भी शामिल होते हैं। कागज का ढेर जलाकर विनष्ट करने का फोटो भी साक्ष्य के तौर पर पेश कर देते हैं।
: फिर भी महकमा क्यों खुश :
सरकार खुश है कि बिहार में वैल्यू एडेड टैक्स (वैट) के तहत निबंधित 1.39 लाख कारोबारी जीएसटी में माइग्रेट किए थे। करीब 1.25 लाख नए कारोबारियों ने निबंधन बीते वित्तीय वर्ष के दौरान कराया है। अब जीएसटी निबंधित हुए कारोबारियों की संख्या बढ़कर करीब 3.25 लाख से भी अधिक हो गई है। राज्य का टैक्स करीब 7 प्रतिशत बढ़ गया है।
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