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लाइव- धरहरा मीनार तक पहुंची राहत-बचाव टीम, हटाया जा रहा मलबा

पिछले दिनों नेपाल में आए भूकंप के जबरदस्त झटके से जमींदोज हुई मशहूर भीमसेन टावर (धरहरा मीनार) तक राहत व बचाव टीम पहुंच गई। टीम ने मीनार के मलबे को हटाने का कार्य शुरू कर दिया है।

By pradeep Kumar TiwariEdited By: Published: Fri, 01 May 2015 07:27 PM (IST)Updated: Fri, 01 May 2015 07:56 PM (IST)
लाइव- धरहरा मीनार तक पहुंची राहत-बचाव टीम, हटाया जा रहा मलबा

दैनिक जागरण, काठमांडू। पिछले दिनों नेपाल में आए भूकंप के जबरदस्त झटके से जमींदोज हुए मशहूर भीमसेन टावर (धरहरा मीनार) तक राहत व बचाव टीम पहुंच गई। टीम ने मीनार के मलबे को हटाने का कार्य शुरू कर दिया है। बताया जाता है कि मीनार के अंदर 72 लोग थे, जिनके बचे होने की आशंका कम है। शनिवार को आए भूकंप में धरहरा मीनार ताश के पत्तों की तरह ढह गई थी ।

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इस नौ मंजिले ईमारत में करीब 72 लोगों के दबे होने की आशंका जताई जा रही है। ये मीनार विदेशी पर्यटकों के बीच काफी चर्चित थी। इसे नेपाल का कुतुबमीनार भी कहा जाता थी। धरहरा मीनार में भूकंप का कहर का शिकार हो गया है भीमसेन टावर की आठवीं मंजिल से पूरे नेपाल को देखा जा सकता था। भीमसेन टावर की सौंदयर्ता इसकी 213 स्टेप वाली घूमती हुई सीढ़ियां थी। इस मीनार का निर्माण 1832 में महारानी ललित त्रिपुरा सुंदरी के आदेश पर तत्कालीन प्रधानमंत्री भीमसेन थापा ने कराया था। इसीलिए इसे भीमसेन टावर के नाम से भी जाना जाता है। सामान्य पर्यटकों के लिए इसे 2005 में खोला गया था। यहा एक नौ मंजिला था । तत्कालीन प्रधानमंत्री द्वारा 1832 में बनाया गया था। यह यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त काठमांडू की वास्तुकला का एक हिस्सा था। 1832 में इसके बगल में रानी त्रिपुरा सुंदरी के आदेश पर एक और टावर बनाया गया। 1834 के एक बड़े भूकंप में पहले टावर को भारी नुकसान हुआ था और 1993 के भूकंप में ये पूरी तरह नष्ट हो गया। 1993 के भी भूकंप में दूसरे टावर ने जो कि 11 मंज़िल का था अपनी सात मंज़िलों को खो दिया। ये महज़ 4 मंज़िल का बचा रह गया। तत्कालीन प्रधानमंत्री ने नौ मंज़िलों तक इसका पुनर्निर्माण कराया। तब इसकी ऊंचाई 61.88 मीटर तक पहुंची, लेकिन आज के भूकंप ने इसे फिर ज़मीन पर ला दिया है।


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