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CAG REPORT: बिहार में विधायकों-अधिकारियों को बांट दिए दो करोड़ के उपहार

बिहार की सरकारी कंपनियों ने 2014 से 2016 के बीच जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों आदि के बीच दो करोड़ से अधिक के उपहार बांट दिए। इसकर खुलासा विधानसभा में पेश सीएजी की रिपोर्ट से हुआ है।

By Amit AlokEdited By: Published: Wed, 25 Jul 2018 12:08 PM (IST)Updated: Wed, 25 Jul 2018 10:31 PM (IST)
CAG REPORT:  बिहार में विधायकों-अधिकारियों को बांट दिए दो करोड़ के उपहार
CAG REPORT: बिहार में विधायकों-अधिकारियों को बांट दिए दो करोड़ के उपहार

पटना [स्‍टेट ब्‍यूरो]। बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने मंगलवार को विधानसभा में सार्वजनिक उपक्रमों पर नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट प्रस्तुत की। रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि सरकारी कंपनियों ने जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों के बीच दो करोड़ से अधिक के उपहार बांट दिए।

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छह सरकारी कंपनियों ने बांटे उपहार

अभिलेख की जांच में यह बात सामने आई है कि सरकारी कंपनियों ने वर्ष 2014-16 के दौरान 2.08 करोड़ के उपहार खरीदे और उन्हें विधानमंडल के सदस्यों, पत्रकारोंं, वरिष्ठ अधिकारियों एवं अन्य गणमान्य लोगों के बीच बांट दिए। इनमें 69.31 लाख की घडिय़ां (रिस्ट वॉच), 90.44 लाख के मोबाइल फोन तथा 10 लाख के ब्रीफकेस व अन्य सामान शामिल हैं। छह सरकारी कंपनियों ने ये उपहार वितरित किए।

74 में 56 उपक्रमों ने नहीं दिया लेखा

नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में सार्वजनिक क्षेत्र के 74 उपक्रम हैं, जिनमें से 30 कार्यशील हैं। इन 74 उपक्रमों में से 56 ने 2015 से 2017 के दौरान अपना कोई लेखा पेश नहीं किया है। रिपोर्ट के अनुसार कार्यशील उपक्रमों में से 16 तथा अकार्यशील उपक्रमों में से मात्र दो ने अपने लेखा की सीएजी से जांच कराई है। इनके लेखा के अनुसार, 10 उपक्रमों ने 278.18 करोड़ का लाभ कमाया है, वहीं सात ने 1,437.93 करोड़ की हानि उठाई है। एक उपक्रम बिना लाभ एवं हानि का रहा।

स्थिति की समीक्षा करे सरकार

इन उपक्रमों ने 31 दिसंबर, 2017 तक 11,277.70 करोड़ रुपये का टर्न-ओवर दर्ज किया है। सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च-2017 तक राज्य के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में 16,533 कर्मचारी थे। सीएजी ने अनुशंसा की है कि अकार्यशील एवं हानि वहन करने वाले उपक्रमों के अस्तित्व में बने रहे से राजकोष से काफी अधिक मात्रा में राशि की बर्बादी होती है, ऐसे में राज्य सरकार द्वारा सभी हानि वहन करने वाले उपक्रम के क्रियाकलाप एवं अकार्यशील उपक्रमों की स्थिति की समीक्षा की जानी चाहिए। उनके समापन की प्रक्रिया पर विचार किया जाना चाहिए।  


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