बिहार में सर्टिफिकेट फर्जी होने पर चयनित शिक्षक के खिलाफ सख्त एक्शन लेगी सरकार, अब होगी ये कार्रवाई
बिहार में फर्जी शिक्षकों पर सरकार तुरंत ए्क्शन लेने के मूड में है। 94 हजार प्रारंभिक शिक्षकों की बहाली के लिए जिन शिक्षकों का चयन हुआ है उनके प्रमाण पत्रों की जांच चल रही है। प्रमाण पत्र फर्जी पाए जाने पर सरकार अब तुरंत एक्शन लेगी।
राज्य ब्यूरो, पटना । बिहार में 94 हजार प्रारंभिक शिक्षकों के बहाली के लिए चयनित अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों की जांच चल रही है। इस क्रम में विभिन्न जिलों में चयनित शिक्षक अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र फर्जी पाए जा रहे हैं। इसे गंभीरता से लेते हुए शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने बुधवार को सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) एवं जिला कायक्रम पदाधिकारी (डीपीओ) का सख्ती से आदेश दिया कि जांच में जिन अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र फर्जी पाए जाएं, उनके ऊपर अविलंब प्राथमिकी दर्ज कराएं और इसकी सूचना मुख्यालय को मुहैया कराएं।
अपर मुख्य सचिव ने बताया कि प्रारंभिक शिक्षक पदों के लिए चयनित अभ्यर्थियों की सूची और उनके योग्यता समेत अन्य आवश्यक प्रमाण पत्र (दस्तावेज) संबंधित जिले के एनआइसी के पोर्टल पर अपलोड किए जा चुके हैं। सभी प्रमाण पत्रों का सत्यापन संबंधित संस्थानों के माध्यम से कराया जा रहा है। सत्यापन में जिन अभ्यर्थियों के दस्तावेज सही होंगे, उन्हें ही नियुक्ति पत्र दिए जाएंगे।
शिक्षक बनने के मामले में चार को चार साल की कैद
न्यायालय संवाददाता, पटना। जाली प्रमाणपत्र पर शिक्षक की नौकरी करने के मामले में सीबीआइ की विशेष न्यायाधीश गीता गुप्ता की अदालत ने चार आरोपितों को चार-चार वर्ष कैद की सजा सुनाई है। अदालत ने चारों पर जुर्माना भी लगाया है। इनमें बांका जिला के डालिया गांव की निवासी शिक्षिका रेखा कुमारी उर्फ मंजू देवी, शिक्षक मंडेश्वर भगत, बांका जिला के ही अरङ्क्षवद रविदास उर्फ अरविंद दास एवं बांका जिला निवासी नरेश साह हैं। रेखा कुमारी ने मंजू देवी के प्रमाण पत्र पर 19 अगस्त 1987 को सहायक शिक्षिका के रूप में नौकरी ज्वाइन की थी। वह 1987 से लेकर से 1992 तक वेतन भी लेती रही। बाद में हाईकोर्ट के आदेश पर इस मामले की जांच सीबीआइ को सौंपी गई। सीबीआइ ने इस मामले में 20 दिसंबर 2003 को अदालत में चार्जशीट दाखिल की थी। अन्य तीनों ने रेखा कुमारी को शिक्षिका बनने में सहायता की थी।