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Govardhan puja 2021: बिहार में गोवर्धन पूजा आज, ये है शुभ मुहूर्त और 56 भोग के पीछे की पौराणिक कथा

Govardhan Puja Mahurat Time 2021 बिहार में गोवर्धन पूजा धूमधाम से मनाया जा रहा है। दीपावली के अगले दिन यह पूजा होती है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन गाय और भगवान कृष्ण के साथ माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

By Rahul KumarEdited By: Fri, 05 Nov 2021 12:06 PM (IST)
Govardhan puja 2021: बिहार में गोवर्धन पूजा आज, ये है शुभ मुहूर्त और 56 भोग के पीछे की पौराणिक कथा
दीपावली के अगले दिन की जाता ही गोवर्धन पूजा। सांकेतिक तस्वीर

 पटना, आनलाइन डेस्क। Govardhan puja 2021: दीपावली पर्व के अगले दिन गोवर्धन पूजा का विधान है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है। गोवर्धन पूजा का विधान तो पूरे देश भर में है। लेकिन उत्तर प्रदेश के मथुरा में इसका खास महत्व देखने को मिलता है। बिहार में भी गोवर्धन पूजा का काफी महत्व है। गोवर्धन पूजा के दौरान खास तौर पर गाय की पूजा की जाती है। लेकिन लोग इस दिन भगवान कृष्ण और लक्ष्मी की भी पूजा करते हैं। पौराणिक कथा के मुताबिक भगवान कृष्ण ने इस दिन ही इंद्रदेव के घमंड को खत्म किया था। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा के नाम से भी लोग जानते हैं। गोवर्धन पूजा पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, जनता दल यूनाइडेट के अध्यक्ष ललन सिंह ने बिहार वासियों को बधाई दी है। 

ये है पौराणिक कथा

गोवर्धन पूजा को लेकर पौराणिक कथाएं हैं। ऐसी कथा है कि भगवान कृष्ण इंद्रदेव के अभिमान को नाश करने चाहते थे। धार्मिक कथा के मुताबिक कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाकर मथुरावासियों को भगवान इंद्र से बचाया था। पौराणिक कथा के मुताबिक यह भी बताया जाता है कि इसके बाद भगवान कृष्ण ने 56 भोग बनाकर कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की बात कही थी। इसके बाद से ही यह प्रथा लगातार चलती आ रही है और लोग दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा करते हैं। 

गोवर्धन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त

गोवर्धन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 6.36 बजे से लेकर 08.47 बेज तक का है। सुबह में 2 घंटे 11 मिनट तक गोवर्धन पूजा के लिए सही वक्त बताया गया है। जबकि दोपहर 03.22 बजे से लेकर 05.33 बजे तक भी गोवर्धन पूजा के लिए शुभ बताया गया है। 

गोवर्धन पूजा के दौरान लोग गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाते हैं। फिर से फूलों से सजाते हैं। यह पूजा सुबह और शाम के वक्त की जाती है। लोग इस दौरान व्रत कथा भी सुनते हैं। इसके साथ ही तरह तरह के पकवानों को भोग भी लगाया जाता है।