Gaya PitruPaksha Mela 2019 Vs 2020 Photo Essay : गयाजी में विदेशी भी आते हैं पिंडदान को, इस बार पंडे खुद कर रहे परंपरा का निर्वहन
Gaya PitruPaksha Mela 2019 Vs 2020
पटना/गया, जेएनएन। Gaya PitruPaksha Mela 2019 Vs 2020 : गयाजी में हर साल देश से ही नहीं विदेशों से भी हजारों श्रद्धालु अपने पितरों के पिंडदान और तर्पण करने पहुंचते हैं। पिछले साल रुस से आई महिलाओं ने पूरी श्रद्धा से पिंडदान, पूजा और तर्पण किया। इस साल कोरोना के कारण पितृ पक्ष मेला स्थगित है। पिंडवेदी सूना ना रहें इसलिए गयाजी के पंडे स्वयं ही पिंडदान कर परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं।
देखिए तस्वीरों में : रुस से आई महिलाएं कर्मकांड करती हुईं
विदेशी से क्यों आते हैं श्रद्धालु
सनातन धर्म सिर्फ भारत ही नहीं विदेशों में भी अपना शनै शनै अपना पांव पसार रहा है। बनारस के रहने वाले लोकनाथ गौड़ ने मॉस्को में नताशा नाम की एक संस्था बनाई है। यह संस्था सनातन धर्म के प्रचार प्रसार का काम करती है। पिछले वर्ष गौड़ के नेतृत्व में मास्को से कई विदेशी महिलाएं अपने पूर्वजों को पिंडदान करने के लिए आई थी।
विदेशी महिलाओं ने फल्गु नदी, विष्णुपद वेदी, प्रेतशीला, अक्षयवट आदि स्थानों पर पिडंदान और तर्पण का कर्मकांड की।
इस साल सूनी पड़ी वेदियों पर पंडे कर रहे हैं परंपरा का निर्वहन
गयाजी के प्रमुख वेदी विष्णुपद वेदी के प्रांगण में 16 वेदियां हैं। पूरे गयाजी के पंचकोश में 54 वेदियां विद्यमान हैं। जहां धर्मशास्त्र के अनुसार पिंडदान व तर्पण का कर्मकांड किया जाता है। धार्मिक मान्यता यह भी है कि गयाजी में एक पिंड अवश्य पड़ना है। इस परंपरा का निर्वहन जब से विष्णुपद वेदी के प्रवेश द्वार पर ताले लगे हैं तब से किया जा रहा है। यह कर्मकांड गयापाल पंडा समाज ने स्वयं उठाया है। वह खुद अपने पितरों को पिंडदान और तर्पण दे रहे हैं। 17 दिवसीय पितृपक्ष में यह परंपरा रूकी नहीं है। विष्णुपद वेदी सहित अन्य वेदियों पर भी गया पाल पंडा के द्वारा कर्मकांड किए जा रहे हैं। जिससे धार्मिक परंपरा कायम रहे ।