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बिहार में 42 बड़े नालों का गंदा पानी सीधे गंगा में, बक्‍सर से कटिहार तक एक सा हाल; पटना में योजनाओं का ये हाल

बिहार में 42 स्थानों पर बड़े नाले से सीधे गंगा में गिर रहा गंदा पानी। बक्‍सर से कटिहार तक प्रदूषित हो रही गंगा। कहीं चाइनिज कंपनी ने अधूरा छोड़ा काम तो कही रफ्तार सुस्‍त। पटना में नमामि गंगे परियोजना के कार्य जून तक पूर्ण करने का लक्ष्य

By Jagran NewsEdited By: Shubh Narayan PathakPublished: Tue, 08 Nov 2022 10:01 AM (IST)Updated: Tue, 08 Nov 2022 05:30 PM (IST)
बिहार में 42 बड़े नालों का गंदा पानी सीधे गंगा में, बक्‍सर से कटिहार तक एक सा हाल; पटना में योजनाओं का ये हाल
बिहार में सीधे गंगा में गिराया जा रहा नालों का गंदा पानी। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

मृत्युंजय मानी, पटना। नमामि गंगे परियोजनाएं पूर्ण नहीं होने के कारण प्रदेश के 42 स्थानों पर बड़े नालों का गंदा पानी सीधे गंगा में गिर रहा है। बिहार राज्य प्रदूषण पर्षद के सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार पटना में 23, भागलपुर में छह, बक्सर में पांच, कहलगांव में चार, मुंगेर में एक, सुल्तानगंज में एक, सोनपुर में एक एवं छपरा में एक स्थान पर सीधे गंदा पानी गिरता है। नमामि गंगे परियोजना की शुरूआत केंद्र सरकार ने 2014 में गंगा को प्रदूषण मुक्त, अविरल और जैव समृद्धि के लिए की थी।  

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छह हजार करोड़ से अधिक की योजनाएं चल रहीं 

बिहार में नमामि गंगा से जुड़ी 6356.88 करोड़ रुपये की परियोजनाएं चल रही है। कई जगह सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट पहले बना दिए गए और सीवर लाइन बाद में बनाई जा रही है। पटना शहर में 1097 किमी सीवर लाइन तथा 350 एमएलडी क्षमता की छह सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण जारी है।

पटना में चार प्रोजेक्‍ट का काम पूरा 

इनमें कर्मलीचक, पहाड़ी, बेउर और सैदपुर सीवरेज नेटवर्क जोन पूरा है। अब प्लांट को नेटवर्क से जोड़ने का कार्य चल रहा है। फिलहाल शुद्धिकरण के बाद पानी पुनपुन में गिराया जा रहा। कंकड़बाग और दीघा एसटीपी और सीवरेज नेटवर्क का कार्य जून 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य है। 

445 किमी की दूरी तय करती है गंगा

बिहार में गंगा बक्सर जिले के चौसा से लेकर कटिहार जिले के मनिहारी तक 445 किलोमीटर की दूरी तय करती हैं। शहर के गंदे पानी को गंगा में प्रवाहित होने से रोकने के लिए गंगा किनारे बसे 12 जिलों के 24 शहरों में सीवरेज नेटवर्क एवं सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण कार्य चल रहा है। 

पहले चरण में आधी रकम ही खर्च कर सका बिहार 

वित्त वर्ष 2010 से 17 के दौरान नेशनल मिशन फार क्लीन गंगा (एनएमसीजी) से राज्य को 376.06 करोड़ प्राप्त हुए। जिसमें से 51.97 प्रतिशत यानी 195.44 करोड़ रुपये का उपयोग किया जा सका। हालांकि, इस साल अगस्त तक राज्य को 3193.08 करोड़ रुपये प्राप्त हुए, जिसमें 98.15 प्रतिशत यानी 3134.07 करोड़ का उपयोग किया गया है। राज्य की 32 सीवरेज परियोजनाओं में से कुल 27 सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (669.1 एमएलडी क्षमता) हैं। 

आधे शहर को खोद भागी एजेंसी

वैशाली में गंगा हाजीपुर से राघोपुर होते महनार से गुजरती है। 2010 में हाजीपुर में 103 करोड़ की लागत से सीवर लाइन बिछाने की योजना शुरू की गई, जो अब तक अधूरी है। आधे शहर की सड़कों को खोदने के बाद कार्य एजेंसी भाग खड़ी हुई। 2021 में सिवरेज प्लांट व सीवर लाइन के लिए 316 करोड़ रुपये मंजूर किए गए। काम धरातल पर नहीं दिख रहा।

अगले माह राष्ट्रपति करेंगी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का उद्घाटन

सारण में बुडको के कार्यपालक पदाधिकारी शत्रुघ्न शरण सिन्हा ने बताया कि नमामि गंगे योजना के तहत सोनपुर में चार अरब की लागत से सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनकर तैयार है। अगले महीने इसका उद्घाटन राष्ट्रपति के पटना दौरे के दौरान उन्हीं के हाथों किया जाएगा। प्लांट में नाले के गंदा पानी को साफ कर सिंचाई में उपयोग किया जाएगा। छपरा के शेरपुर में 250 करोड़ की लागत से बन रहा ट्रीटमेंट प्लांट अगले साल जून तक पूर्ण हो जाएगा। कार्य तेजी से चल रहा है।

बक्सर में चीनी कंपनी ने लगाया पलीता

बक्सर में नमामि गंगे परियोजना आठ साल से विभिन्न कारणों से लटकी हुई है। दो किश्तों में 140 करोड़ खर्च के बाद भी गंगा में सीधे नाले का गंदा पानी गिराया जा रहा है। सिवेज पाइप नहीं बिछ सकी है, सीवरेज ट्रिटमेंट प्लांट निर्माण का काम भी शुरू नहीं हुआ है। चीनी कंपनी ट्राइटेक ने 2013 तक काम पूरा करने का वादा किया था, परंतु वह भाग खड़ी हुई। वर्ष 2014 में 70 करोड़ की योजना स्वीकृत हुई थी, वह भी आगे नहीं बढ़ सकी। तटों के सुंदरीकरण का काम भी अधर में है। 

वर्ल्‍ड बैंक ने भी पीछे खींचे हाथ 

बक्सर में बुडको के कार्यपालक पदाधिकारी विजय कुमार ने बताया कि परियोजना पूरी करने के लिए 154 करोड़ रुपये की वर्ल्ड बैंक के साथ डील हुई थी। बाद में किसी तकनीकी बिंदु पर मतभेद होने के कारण वर्ल्ड बैंक के साथ करार टूट गया। अब गत वर्ष से ही विभाग अपने स्तर पर रिवाइज स्टीमेट बना रहा है, पर इसकी प्रक्रिया लंबी और जटिल होने के कारण अभी तक न तो स्टीमेट तैयार हो सका और न काम आगे बढ़ाया जा सका।

बेगूसराय में नहीं गिराया जाता गंदा पानी

बिहार में बेगूसराय उद्योग का हब और घनी आबादी के बावजूद अपशिष्ट जल गंगा में नहीं गिराता। नगर निगम क्षेत्र के घरों का अपशिष्ट पानी नाले व खेतों में रह जाता है। उपनगर आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि खासोपुर में 2023 तक 237.8 करोड़ की लागत से 17 एमएलडी क्षमता का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनकर तैयार हो जाएगा, यहां से शुद्धिकरण के बाद पानी का इस्तेमाल पटवन के कार्य में होगा।

सिमरिया घाट पर लग रहा शुद्धिकरण संयंत्र 

नगर निगम क्षेत्र में 90.5 किलोमीटर सीवर लाइन बिछाई जानी है, इसमें 77 किलोमीटर में काम हो चुका है। एनएच व पीडब्यूडी की सड़कों में 13.5 किलोमीटर सीवर लाइन बिछानी है। एनएचआई से अनापत्ति मांगी गई है। एनटीपीसी की इकाई गंगा के पानी का इस्तेमाल करने को सिमरिया घाट पर शुद्धिकरण संयंत्र लगा रही है। बरौनी रिफाइनरी भू गर्भ जल को रिसाइकल करके परिसर में ही उपयोग कर लेता है।

बुडको के एमडी धर्मेंद्र सिंह का कहना है कि चल रही परियोजनाओं के कार्य में तेजी लाई गई है। पटना शहरी क्षेत्र की परियोजनाएं जून 2023 तक पूर्ण हो जाएंगी। पटना के चार सीवरेज ट्रेटमेंट प्लांट का पानी शुद्ध करने का कार्य शुरू हो गया है। दो परियोजनाओं को जून 2023 तक पूर्ण कर लिया जाएगा। 24 शहरों में कार्य प्रगति पर हैं। योजना मिलने के बाद कार्य किए जाते हैं। सीवरेज ट्रेटमेंट प्लांट बनाने के साथ-साथ नेटवर्क जोड़ने का भी कार्य चल रहा है। 


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