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बिहारः पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह साक्ष्य के अभाव में बरी, लालू यादव के विधायक सहित चार को क्लीन चिट

विशेष मजिस्ट्रेट एमपी एमएलए एमएलसी सह एसीजेएम प्रथम रणधीर कुमार ने महाराजगंज के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को आचार संहिता उल्लंघन के मामले में साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। वहीं साक्ष्य के अभाव में सोनपुर के विधायक रामानुज राय सहित चार लोगों को बरी कर दिया।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Fri, 23 Jul 2021 10:46 PM (IST)Updated: Fri, 23 Jul 2021 10:46 PM (IST)
महाराजगंज के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह। जागरण आर्काइव।

जासं, छपरा: विशेष मजिस्ट्रेट एमपी, एमएलए, एमएलसी सह एसीजेएम प्रथम रणधीर कुमार ने महाराजगंज के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को आचार संहिता उल्लंघन के मामले में साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। बीडीओ राजेश्वर प्रसाद ने 16 अप्रैल 2014 को भगवान बाजार थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। प्राथमिकी में बीडीओ ने कहा था कि 12 अप्रैल 2014 को सारण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से राष्ट्रीय जनता दल की प्रत्याशी पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद जिला स्कूल के बोर्डिंग मैदान में आमसभा में भाषण के दौरान आचार संहिता का उल्लंघन किया गया। इसको लेकर प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। वहीं एक अन्य मामले में साक्ष्य के अभाव में सोनपुर के राजद विधायक रामानुज राय सहित चार लोगों को बरी कर दिया।

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सोनपुर विधायक रामानुज सहित चार को क्लीन चिट

जासं, छपरा : विशेष मजिस्ट्रेट एमपी, एमएलए, एमएलसी, सह एसीजेएम प्रथम रणधीर कुमार ने सोनपुर थाना कांड संख्या 138/96 के विशेष वाद संख्या 19/ 21 में सरकार बनाम सतीश कुमार में साक्ष्य के अभाव में सोनपुर के राजद विधायक रामानुज राय सहित चार लोगों को बरी कर दिया। विधायक के साथ ग्राम शाहपुर निवासी बच्चन राय, ग्राम पहलेजा निवासी मोहन राय तथा सतीश कुमार सभी थाना सोनपुर को बरी करने का आदेश दिया है। विदित हो कि 19 जुलाई 1996 को 1:30 बजे दिन में सोनपुर के तत्कालीन विधायक राजकुमार राय ने सोनपुर थाना में जाकर अपनी जान बचाने की गुहार लगाई थी। उसी समय सभी आरोपी और लगभग 500 अज्ञात व्यक्ति हरवे हथियार से लैस होकर नाजायज मजमा बनाकर थाने पर गए और नारा लगाने लगे। हथियार से पुलिस बल पर हमला किए एवं सरकारी वाहन को क्षतिग्रस्त करने तथा गोली चलाने का आरोप लगाया था। पुलिस द्वारा 29 मई 2001 को चारों आरोपियों के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल किया गया था। परंतु विचारण के दौरान न्यायालय में विधायक एवं अन्य के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिल पाया। जिसके बाद कोर्ट ने सभी चारों आरोपितों को रिहा करने का आदेश दे दिया।


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