बिहार के पूर्व सीएम मांझी ने कोलेजियम सिस्टम पर जताई आपत्ति, कुशवाहा भी उठाते रहे हैं सवाल
कोलेजियम सिस्टम पर अब बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने भी सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि इस वजह से आदिवासी समाज के लोग जज नहीं बन पा रहे हैं। जदयू नेता उपेंद्र कुशवाहा पहले से यह मामला उठाते रहे हैं।
पटना, राज्य ब्यूरो। हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी (Former CM Jitan Ram Manjhi) ने कोलेजियम सिस्टम (Collegium System) पर सवाल उठाया है। हालांकि कोलेजियम सिस्टम पर सवाल उठाने वाले मांझी अकेले नहीं हैं। इससे पहले जदयू संसदीय दल के नेता उपेंद्र कुशवाहा, पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद भी इसपर आपत्ति जता चुके हैं।
कोलेजियम सिस्टम के कारण आदिवासी समाज के लेाग नहीं बन पाते जज
मांझी ने आदिवासी जातियों से जज न पाने का कारण कोलेजियम सिस्टम को बताया है। उन्होंने रविवार को ट्वीट किया कि 'हमारे आदिवासी भाई-बहन मुख्यमंत्री बन रहे, गवर्नर बन रहे हैं, टाप आफिसर बन रहे हैं, डाक्टर-इंजीनियर बन रहे हैं, लेकिन कोलेजियम सिस्टम उन्हें जज नहीं बनने दे रहा है। राष्ट्रपति से अनुरोध है कि सुप्रीम कोर्ट में आदिवासी जातियों को प्रतिनिधित्व दें।
कुशवाहा प्रमुखता से उठाते रहे हैं कोलेजियम सिस्टम का मुद्दा
उनका कहना है इसे बंद किया जाना चाहिए। कुशवाहा ने कहा कि कोलेजियम सिस्टम में जजों का नहीं बल्कि उत्तराधिकारियों का चयन होता है। वर्तमान में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति की स्थिति ऐसी ही है। उन्होंने कहा कि कोर्ट के फैसले पर लोगों में भरोसा पैदा करना है। इसके लिए कोर्ट में समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व होना चाहिए। केंद्र सरकार ने प्रयास भी किया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे नहीं माना। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में जो जज नियुक्त होते हैं वे बस दो से ढाई सौ परिवारों से आते हैं। इसके विरोध में जदयू हल्ला बोल दरवाजा खोल कार्यक्रम भी चलाएगा। कोलेजियम सिस्टम खत्म होने से न केवल अजा-अजजा और पिछड़े वर्ग के बल्कि सामान्य वर्ग के मेधावी बच्चे भी चुनकर आएंगे।
पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद भी जता चुके हैं आपत्ति
गौरतलब है कि पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद भी कोलेजियम प्रणाली पर सवाल उठा चुके हैं। उन्होंने कहा था कि देश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति से लेकर कई बड़े पदों पर नियुक्ति में पीएम की अहम भूमिका होती तो फिर जजों की नियुक्ति में क्यों नहीं ऐसा होता। इस क्रम में उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाने वाले प्रधानमंत्री क्या ईमानदार जज की नियुक्ति नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि कोलेजियम सिस्टम की जगह छह सदस्यीय आयोग के गठन का सुझाव सरकार की ओर से दिया गया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे नकार दिया।