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फर्जी प्रमाणपत्र पर नौकरी करने वाले पांच बर्खास्त

आइटीआइ के फर्जी प्रमाणपत्र पर नौकरी करने वाले पांच जूनियर लाइनमैन को साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी ने बर्खास्त कर दिया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 31 Aug 2018 01:42 AM (IST)Updated: Fri, 31 Aug 2018 01:42 AM (IST)
फर्जी प्रमाणपत्र पर नौकरी करने वाले पांच बर्खास्त

पटना । आइटीआइ के फर्जी प्रमाणपत्र पर नौकरी करने वाले पांच जूनियर लाइनमैन को साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी ने बर्खास्त कर दिया है। इस कार्रवाई से राज्यभर में हड़कंप मच गया है। जिन पर कार्रवाई हुई है उनमें जूनियर लाइनमैन फतुहा मनोज कुमार झा, मनेर में कार्यरत महेश कुमार, हरनौत में कार्यरत कृत्यानंद राम, बाढ़ में कार्यरत अर्जुन पासवान और बेलछी में कार्यरत ऋषिकेश आनंद शामिल हैं। महेश और अर्जुन के आइटीआइ प्रमाणपत्र को फर्जी पाया गया है। जबकि अन्य तीन पर आइटीआइ के अंक प्रमाणपत्र में छेड़छाड़ का आरोप है। नौकरी के नौ वर्ष बाद इनको सेवा से बर्खास्त किया गया है।

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विद्युत कंपनी में 2009 में अनुबंध पर नियुक्त कर्मियों को एक अप्रैल 2015 को स्थायी नौकरी दी गई थी। करीब एक हजार कर्मियों को स्थायी किया गया था। विद्युत कंपनी ने अनुबंध से स्थायी हुए सभी कर्मियों के शैक्षणिक प्रमाणपत्र की जांच का निर्देश दिया है।

संबंधित क्षेत्र के कार्यपालक अभियंताओं को निर्देश दिया गया है कि बर्खास्त जूनियर लाइनमैन पर मुकदमा दर्ज कराएं। इस पद पर रहते भुगतान किए गए मानदेय की गणना कर वसूली की कार्रवाई प्रारंभ करें।

अब तक सिर्फ साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी ने जांच की है। नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी और ट्रांसमिशन कंपनी इस दिशा में धीमी गति से चल रही हैं। चर्चा का बाजार गर्म है कि प्रमाणपत्रों की ईमानदारी से जांच कराई जाएगी तो बड़ी संख्या में कामगार सेवा से वर्खास्त हो जाएंगे। पांच कर्मियों पर प्राथमिकी दर्ज करने के साथ वेतन मद में भुगतान की गई राशि की वापसी का आदेश निर्गत हुआ है।

विद्युत कंपनी में कई फर्जी अंकपत्र या प्रमाणपत्र के नाम पर नौकरी का मामला प्रकाश में आ गया है। 21 जून 2018 को बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी के सीएमडी के सेल में कार्यरत आइटी मैनेजर नीरज कुमार सहित उमाशंकर कुमार को बर्खास्त किया गया था। दोनों पर आरोप था कि 'गेट' के स्कोर में छेड़छाड़ कर नौकरी प्राप्त कर ली थी। दोनों के उच्च पदों पर रहने के बाद भी वेतन वसूली की कार्रवाई नहीं की गई। हाल में कनीय लेखा लिपिक के पद पर चयनित अभ्यर्थियों से ज्वाइनिंग लेटर लेने के पूर्व मोटी रकम मांगने के मामले में भी कोतवाली थाने में प्राथमिकी दर्ज हुई। कुछ लोगों ने प्रमाण के साथ सीएमडी को साक्ष्य उपलब्ध कराए थे। इस मामले में अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।


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