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सिर्फ दो घंटे में 200 गाडि़यों की फिटनेस जांच!

अभियान--सड़क सुरक्षा सप्ताह- ---------- -लचर व्यवस्था में बिना उपकरण गाड़ियों की हो रही है फिटनेस जांच -फिटनेस स्थल पर एक साथ नहीं खड़ी हो सकतीं 20 गाड़ियां -जिला परिवहन कार्यालय में तीन एमवीआइ पर कोई क्लर्क ही नहीं -दो घंटे में ही 300 से 400 लोगों का ले लिया जाता है ड्राइविंग टेस्ट ------------ जागरण संवाददाता पटना

By JagranEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2020 06:22 AM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2020 06:22 AM (IST)
सिर्फ दो घंटे में 200 गाडि़यों की फिटनेस जांच!

पटना । ठंड का मौसम शुरू होते ही वाहन दुर्घटनाएं अप्रत्याशित रूप से बढ़ जाती हैं। इनमें बड़ी संख्या में लोगों की जान जाती है। अधिकांश दुर्घटनाओं के पीछे जर्जर वाहन, फॉग लाइट न होना, बैक लाइट खराब होना आदि कारण सामने आते हैं। ऐसी अनफिट गाड़ियों का परिचालन दुर्घटनाओं को आमंत्रण दे रहा है। ठंड में जब कोहरे के कारण दृश्यता कम होती है और तेज रफ्तार बगैर हेड लाइट वाला ट्रैक्टर सामने आ जाए तो दुर्घटना तय है। ऐसी गाड़ियों को फिटनेस कैसे मिल जाती है, यह यक्ष प्रश्न है। वैसे पटना जैसे बड़े शहर में फिटनेस का आलम यह है कि लचर व्यवस्था में भी प्रतिदिन 150 से 200 बड़े-छोटे वाहनों की फिटनेस जांच हो जाती है।

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परिवहन विभाग दुर्घटनाओं को रोकने के लिए पुरानी गाड़ियों को एक साल, दो साल या तीन साल के लिए फिटनेस प्रमाण पत्र जारी करता है। पटना जिला परिवहन कार्यालय की ओर से भी फिटनेस टेस्ट के लिए अलग से एमवीआइ तैनात है। इसी एमवीआइ पर ड्राइविंग लाइसेंस टेस्ट लेने का भी भार है।

फिटनेस व ड्राइविंग टेस्ट के लिए फुलवारीशरीफ स्थित बिहार राज्य पथ परिवहन निगम की पुरानी वर्कशॉप में छोटी जगह दी गई है। यहां एक साथ मुश्किल से दो-तीन छोटी गाड़ियां खड़ी हो सकती हैं। पटना में प्रतिदिन 150 से 200 बड़े-छोटे वाहनों की फिटनेस जांच की जाती है। इसके लिए सुबह नौ से 11 बजे तक का समय मुकर्रर किया जाता है। इसी दो घंटे में इतनी गाड़ियों की जांच हो जाती है और 400 से 500 लोगों का ड्राइविंग टेस्ट भी ले लिया जाता है। यह स्थिति हतप्रभ करने वाली है।

कम समय में जांच करना मजबूरी : परिवहन अधिकारी भी मानते हैं कि एक व्यक्ति को ड्राइविंग टेस्ट देने में तीन मिनट का समय लगता है। इस तरह से दो घंटे में अधिकतम 40 से 50 लोगों का ही टेस्ट हो सकता है। इसी तरह वाहनों के फिटनेस जांच में छह से आठ मिनट तक लगते हैं। लिहाजा, दो घंटे में 20 से अधिक वाहनों का फिटनेस टेस्ट संभव नहीं है, परंतु इस परिस्थिति में दो घंटे में 200 गाड़ियों का फिटनेस टेस्ट भी ले लेते हैं और 400 से 500 लोगों का ड्राइविंग टेस्ट भी हो जाता है।

जर्जर वाहन आराम से चल रहे :

राजधानी का शहरी हो या ग्रामीण क्षेत्र, हर जगह जर्जर वाहनों की लंबी कतारें देखने को मिल जाती हैं। सवारी वाहनों की स्थिति काफी खस्ताहाल है। अधिकांश गाड़ियों के पास फिटनेस प्रमाण पत्र तो मिल जाएगा, परंतु वास्तविक स्थिति यह है कि एक हेड लाइट खराब मिलेगी या फिर बैक लाइट बंद होगी। नब्बे फीसद वाहनों में फॉग लाइट नहीं मिलेगी।

डीटीओ कार्यालय में तीन एमवीआइ की तैनाती :

जिला परिवहन कार्यालय में तीन-तीन एमवीआइ तैनात हैं। एक एमवीआइ को लर्निग टेस्ट लेने तो दूसरे को फिटनेस व ड्राइविंग टेस्ट लेने को अधिकृत किया गया है। तीसरे एमवीआइ को सरकारी गाड़ियों का फिटनेस टेस्ट लेने के लिए अधिकृत किया गया है। तीन एमवीआइ तो हैं, परंतु उन्हें एक भी क्लर्क नहीं दिया गया है। इस कारण निजी तौर पर दलालों से ही क्लर्क का काम लिया जा रहा है।

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कोट :-

वाहनों की फिटनेस जांच के लिए एमवीआइ को अधिकृत किया गया है। ड्राइविंग लाइसेंस के लिए एडीटीओ अधिकृत हैं। पटना में भीड़ अधिक है। इस कारण काम का दबाव है। स्टाफ की कमी से परेशानी है। अगले कुछ महीनों में एक भवन में पूरी व्यवस्थाएं होंगी। सबकुछ कंप्यूटरीकृत हो जाएगा।

-पुरुषोत्तम कुमार, जिला परिवहन अधिकारी, पटना


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