फर्जी शपथ पत्र के सहारे दूसरों के नाम पर हो रहा गाड़ी का ट्रांसफर, हुआ बड़ा खुलासा
बिहार में फर्जी शपथ पत्र के सहारे गाडि़यों का ट्रांसफर हो रहा है। यह बड़ा खुलासा तब हुआ जब दिवंगत भाजपा नेता कृष्णा शाही की पत्नी डीटीओ ऑफिस पहुंची।
पटना [जेएनएन]। बिहार में जमीन-खरीद में फर्जीवाड़ा का मामला तो काफी समय से सामने आते रहा है, अब फर्जी शपथ पत्र के सहारे किसी की गाड़ी किसी और के नाम पर ट्रांसफर कर दी जा रही है। यह बड़ा खुलासा तब सामने आया, जब दिवंगत भाजपा नेता कृष्णा शाही की पत्नी अपने पति की गाड़ी अपने नाम पर ट्रांसफर करवाने के लिए डीटीओ ऑफिस पहुंची। इस मामले में डीटीओ सहित परिवहन कार्यालय के कर्मचारियों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है।
दरअसल, कृष्णा शाही की हत्या 2017 में हुई थी, जबकि सुभाष ने उनके नाम से फरवरी, 2018 बना शपथ-पत्र देकर पटना जिला परिवहन कार्यालय की मिलीभगत से फर्जीवाड़ा किया। जानकारी शाही की मुखिया पत्नी शांता देवी को हुई, तब उन्होंने जिला परिवहन अधिकारी (डीटीओ) अजय कुमार ठाकुर एवं कार्यालय कर्मियों तथा सुभाष और फर्जी शपथ-पत्र बनाने वाले अधिवक्ता के खिलाफ बुधवार को गांधी मैदान थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई। थानाध्यक्ष दीपक कुमार ने बताया कि ट्रांसफर से संबंधित कागजात की जांच चल रही है। इसके बाद विधि-सम्मत कार्रवाई की जाएगी।
बताते चलें कि 10 फरवरी 2012 को कृष्णा शाही ने अपने नाम पर स्कॉर्पियो खरीदी थी और पत्नी को नामांकित किया था। शाही की 19 जुलाई 2017 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। जब शांता देवी स्कॉर्पियो का स्वामित्व लेने के लिए 11 जून को डीटीओ कार्यालय गईं, तब पता चला कि गोपालगंज के मिर्जापुर गांव निवासी सुभाष राय के नाम पर गाड़ी का रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर कर दिया गया है।
सुभाष पूर्व में उनके पति का मैनेजर था। इसकी शिकायत उन्होंने डीटीओ से की तो जवाब मिला, गलती हो गई होगी, मैं तुरंत रजिस्ट्रेशन रद करवा देता हूं। रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर के लिए कृष्णा शाही का हस्ताक्षर किया शपथ-पत्र देखकर शांता देवी अवाक रह गईं। शपथ-पत्र 21 मई 2018 का था, जबकि कृष्णा शाही की हत्या 11 महीने पहले हो चुकी है। इससे स्पष्ट है कि जाली शपथ-पत्र बनवाया गया था।
वहीं, डीटीओ का कहना है कि सुभाष राय ने कृष्णा शाही के नाम पर ऑनलाइन काउंटर से फर्जी चालान कटा लिया था। शांता देवी की शिकायत पर मामला प्रकाश में आया था। जानकारी मिलते ही चालान को रद कर दिया गया। अब तक गाड़ी सुभाष राय के नाम पर ट्रांसफर ही नहीं हुई। केवल ई-चालान काटा गया था।